-कमलेश भारतीय

महाभारत की भूमि कुरूक्षेत्र में फिल्म महोतसव का पूरे पांच दिन आयोजन ! आई़ं महाभारत की द्रौपदी यानी रूपा गांगुली, आये राजेंद्र गुप्ता, आये यशपाल शर्मा और आये साहित्य से गहरे जुड़े डाॅ चंद्र त्रिखा और माधव कौशिक और न जाने कितने कितने सेलिब्रिटी आये । गहन विचार विमर्श हुआ और हरियाणवी सिनेमा पर यशपाल शर्मा ने कहा कि इसमें विकास की अपार संभावनायें हैं । वर्तमान पीढ़ी हरियाणा के लोकजीवन पर आधारित कहानियों पर फिल्मों का निर्माण कर रही है । रामपाल बल्हारा‌ ने भी कहा कि हरियाणा में नये दौर के साथ सिनेमा ने अपने आप को गढ़ना शुरू कर दिया है। यह अच्छी बात है। आने वाले समय में इसके परिणाम देखने को मिलेंगे । प्रसिद्ध कलाकार राजेंद्र गुप्ता ने कहा कि जिस काम में लगो, पूरी ईमानदारी से लगो, तभी सफलता मिलेगी । राजेंद्र गुप्ता ने कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के दिनों को याद करते कहा कि जब वे यहा़ छात्र थे, तब उनका मन पढ़ाई में कम और नाटकों में ज्यादा लगता था ! इसीलिए वे एन एस डी में चले गये । राजेंद्र गुप्ता बहुत सी कविताओं का पाठ करते रहते हैं, मेरी खुशकिस्मती कि मेरी कविताओं का पाठ भी किया है और उनका कहना है कि कविता गद्य से ज्यादा प्रभावशाली होती है ।

साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक का कहना था कि साहित्य ने बाहुबली जैसी अनेक सफल फिल्में दी हैं । डाॅ चंद्र त्रिखा ने भी कहा कि साहित्यकारों की लेखनी से अनेक सफल फिल्में निकली हैं । यही नहीं कलाकारों ने छात्रों को कला की बारिकियां भी सिखाईं । एक प्रकार से नये कलाकारों के लिए यह किसी अमूल्य कार्यशाला से कम नहीं रहा ।

साहित्य, सिनेमा और समाज आपस में गहरे जुड़े हुए हैं और इस रिश्ते को टटोलने रहना चाहिए, और यही फिल्म महोत्सव का महत्त्व भी है । हरियाणा में संभवत: सबसे पहले डाॅ सुषमा आर्य ने यमुनानगर में डी ए वी गर्ल्ज काॅलेज में पहला फिल्म महोत्सव आयोजित करवाया था । उसके बाद से धर्मेंद्र दांगी ने यशपाल शर्मा के सहयोग से हिसार और अन्य स्थानों‌ पर फिल्म महोत्सवो़ का आयोजन किया । यह कोई छोटा काम नहीं है । इन आयोजनों से कितने ही नये फिल्मकार, कलाकार, गायक व निर्देशक आयेंगे । अभी तक तो कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के युवा महोत्सवों व रत्नावली महोत्सवों से हरियाणा के कलाकार निकले और मुम्बई तक धूम मचा दी । अब फिल्म महोत्सव कितना योगदान दे रहा है, यह आने वाला समय बतायेगा । शायर राणा गन्नौर कहते हैं :
ख़ुद तराशना पत्थर और ख़ुदा बना लेना, आदमी को आता है क्या से क्या बना लेना
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी
9416047075

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