अब तक प्रदेश की 18 बार एसोसिएशनों, सरपंच एसोसिएशन, सैकड़ों ग्राम पंचायतों व 10 से अधिक बड़े सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने भी मांग के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया हरियाणा बनाओ अभियान के महत्वपूर्ण मुद्दे को गंभीरता से नहीं लेने वाले राजनीतिक दलों की घेराबंदी करेंगे : रणधीर सिंह बधरान एडवोकेट जल्द ही पूरे हरियाणा में लोकतांत्रिक तरीके से राज्य स्तरीय विरोध प्रदर्शन का दूसरा चरण शुरू किया जाएगा चण्डीगढ़ : भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी के बाद अब राकेश टिकैत से भी हरियाणा बनाओ अभियान को समर्थन मिलने से मिला जोश के बाद अब किसान नेता राकेश टिकैत के पूर्ण समर्थन के बाद हरियाणा बनाओ अभियान को और भी मजबूती मिली है। पिछले दो वर्षों से हरियाणा बनाओ अभियान के संयोजक रणधीर सिंह बधरान, पूर्व चेयरमैन, बार काउंसिल ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि संस्था हरियाणा की भलाई के लिए अलग उच्च न्यायालय और हरियाणा की नई राजधानी के पक्ष में पूरे हरियाणा में जोरदार अभियान छेड़े हुए है, लेकिन राजनीतिक दल इस महत्वपूर्ण मुद्दे को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। आज भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष रतन मान ने भी इसका समर्थन किया है। 35 हजार से अधिक सदस्यता वाली हरियाणा की 18 बार एसोसिएशनों ने भी इस मांग के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया। एक राज्य स्तरीय कॉन्फ्रेंस में हरियाणा के सरपंच एसोसिएशन ने भी इस मुद्दे पर अपना पूरा समर्थन दिया और प्रस्ताव पारित किया। सैकड़ों ग्राम पंचायतों ने भी हरियाणा बनाओ अभियान के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया। यहां तक कि सभी बड़े सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने भी, जिनमें 10 से अधिक हैं लाखों सदस्यों ने भी हरियाणा बनाओ अभियान को अपना समर्थन दिया। रणधीर सिंह बधरान ने खुले तौर पर घोषणा की कि वह जल्द ही इस मांग के समर्थन में पूरे हरियाणा में लोकतांत्रिक स्तर पर अपने राज्य स्तरीय विरोध प्रदर्शन का दूसरा चरण शुरू करेंगे। दो साल के दिन-रात संघर्ष के बाद अभियान को जनता का भारी समर्थन मिलने में सफलता मिल रही है। हरियाणा बनाओ अभियान में अब इस मांग को सभी दलों के घोषणापत्र में स्पष्ट शब्दों में जोड़ने की मांग की जा रही है और जो भी राजनीतिक दल इस सार्वजनिक मांग से बचने की कोशिश करेगा, जनता ऐसे दलों के उम्मीदवारों को गांवों में घुसने नहीं देगी। Post navigation सावन में खुशियों के बीज, बोने आती हरियाली तीज कितनी बार अपने ही संस्थापक बंगबंधु को मारेगा बांग्लादेश