वानप्रस्थ संस्था ने अपने व्योवृद्ध सदस्य श्री हरप्रकाश सरदाना जी का मनाया 94वाँ जन्मदिवस

आती रहेंगी बहारें जाती रहेंगी बहारें
दिल की नजर से दुनिया को देखो दुनिया सदा ही हसीं है…..

हिसार - वानप्रस्थ सीनियर सिटीज़न क्लब ने अपने वयोवृद्ध सदस्य श्री हरप्रकाश सरदाना जी का 94वाँ जन्मदिवस बड़े हर्षोल्लास एवं उत्साह से मनाया। 

क्लब में आने पर सदस्यों ने उनका तालियों से स्वागत किया।सदस्यों ने उनको फूलों का गुलदस्ता एवम् एक पौधा भेंट किया।

सरदाना जी का स्वागत करते हुए क्लब के महासचिव डा: जे. के . डाँग ने कहा कि सरदाना जी आयु के इस पड़ाव पर चाहे शारीरिक रूप से थोड़ा कमज़ोर हो गए हैं परंतु वह सजग हैं और मानसिक रूप से मज़बूत और फिट हैं। आवाज़ में बुलंदी है । वह शांत, मृदु भाषी एवं मंद भाषी हैं ।बंगला भाषा का अच्छा ज्ञान है । बंगला और इंगलिश के गीत गुनगानाते रहते हैं । कई सामाजिक संस्थायों से जुड़े हुए हैं । प्रतिदिन दो घण्टे कई समाचार पत्र पढ़ते हैं।

डा: सुनीता एवं श्री योगेश सुनेजा ने मिलकर शिवस्तुति से जन्मदिन के कार्यक्रम का आग़ाज़ किया।

“ शिव शंकर को जिसने पूजा,
उसका ही उद्धार हुआ
अंत काल को भवसागर में,
उसका बेडा पार हुआ….”

सदस्यों ने पुरानी फ़िल्मों के गीत मिलकर गाए और समाँ बांध दिया।

“ जब कोई बात बिगड़ जाये
जब कोई मुश्किल पड जाये
तुम देना साथ मेरा, ओ हमनवा….”
“ आती रहेंगी बहारें
जाती रहेंगी बहारें
दिल की नज़र से दुनियाँ को देखो
दुनियाँ सदा ही हसीं है …..”

डा: कमलेश कुकङेजा ने सब सदस्यों की ओर से जन्मदिन की बधाई इस प्रकार से दी

“ दुआ तुमको देता जहां आज सारा
मुबारक हो तुमको जन्मदिन तुम्हारा…..”

श्रीमती राज गर्ग , डा: सतीश कालरा , श्रीमती कमला सैनी एवं डा: नरेश बंसल ने भी क्रमश: कविता और गीतों से उनको जन्म दिन की मुबारकबाद दी।

मंच संचालन करते हुए डा: सुनीता शियोकंद ने कहा कि सरदाना जी हमारे लिए आदर्श है। उनकी मुस्कान गर्मजोशी और अनुग्रह का प्रतीक है वह कम बोलते हैं लेकिन मुद्दे पर बोलते हैं । हम सब के लिए प्रेरणा का स्तोत्र हैं । डा: सुनीता जैन ने उनकी बेटी श्रीमती सुनीता महतानी की ओर संकेत करते हुए कहा कि ईश्वर बेटियाँ दे तो ऐसी दे । आजकल बच्चे माता- पिता को वृद्धावस्था में अकेले छोड़ कर विदेश चले जाते हैं, परंतु सुनीता महतानी अपने ऐशो- आराम का जीवन छोड़ कर अपनी माँ के देहांत के बाद सिंगापुर से अपने पिता की सेवा करने के लिए हिसार आ गई , समाज में ऐसे उदाहरण दुर्लभ हैं ।

डा: आर. डी. शर्मा ने कहा कि सरदाना जी ने अपने गौरवशाली जीवन में कई उतार – चढ़ाव देखे हैं और भारत विभाजन की त्रासदी के चश्मदीद गवाह हैं । इस अवसर पर उन्होंने पंजाब की महान कवियत्री अमृता प्रीतम द्वारा रचित पक्तियाँ

“ अज्ज आखां वारिस शाह नूं
कित्थे कबरां विचों बोल ते आज्ज किताबे ईश्क दा
कोई अगला वर्का फोल…, “
पेश की और सरदाना जी भावुक हो गए

डा: आर. पी . एस. खरब ने अपने समय की मशहूर फ़िल्म ‘ शोर ‘ का गीत

“ एक प्यार का नगमा है, मौजों की रवानी है
ज़िंदगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है …”
गाकर माहौल बदल दिया।

डा : आर. के . सैनी ने एक ग़ज़ल प्रस्तुत की-

“ आज मैंने पा लिया, जीने का राज़ मैंने मोहब्बत में पा लिया ..”

श्री करतार सिंह ने अपने अनोखे ढंग से यह गीत

“ इक दिन बिक जाएगा माटी के मोल जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल”

प्रस्तुत कर सब को लोट- पोट कर दिया।

श्री सरदाना जी के केक काटने पर हाल तालियों से गूँज उठा और सब ने एक स्वर में उनको “ हैप्पी बर्थ डे “ के साथ मुबारकबाद दी । सरदाना जी ने एक इंग्लिश गीत

“ लव इज ए फायर
दैट इल्यूम्स द हार्ट
लव इस ए फायर दैट
वार्म्स द हार्ट “

गा कर सब को अचंभित कर दिया । उन्होंने भारत विभाजन की कुछ यादें भी साँझा की।
अंत में उनकी बेटी सुनीता महतानी ने यह गीत

“ रुक जाना नहीं तू कहीं हार के काँटों पे चलके मिलेंगे साए बहार के रुक जाना नहीं तू कहीं हार के काँटों पे चलके मिलेंगे साए बहार के ओ राही.. ओ राही..” गाकर वरिष्ठ नागरिकों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

क्लब के वरिष्ठ सदस्य एवं पैट्रन डा : एम. पी. गुप्ता ने सब की ओर से सरदाना जी के अच्छे स्वस्थ और मंगलमय जीवन की कामना की

सरदाना परिवार की ओर से स्वादिष्ट एवं शानदार जलपान का प्रबंध किया गया। इस जन्मदिन समारोह में 52 सदस्यों ने भाग लिया

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