भारतीय राजनीति ……… हुस्न हाजिर है मोहब्बत की सजा पाने को

राजनीतीज्ञ मच्छर मारने के लिए तलवार न उठाएं

डॉ महेन्द्र शर्मा “महेश” ……. पानीपत

धर्म के दस लक्षण (धृति क्षमा दमन अस्तेय शौच इंद्रिय निग्रह धी विद्या अक्रोध सत्य) है। वेदाज्ञानुसार यह एक तरह की माला है जिस में यदि एक भी मनका टूट गया तो धर्म का अस्तित्व नहीं रहता और इन में प्रथम लक्षण धृति अर्थात धीरज धैर्य सहिष्णुता है। मुख्य विषय यह है कि हम सब में सहिष्णुता धैर्य का गुण है।

आज 24/7/2024 शाम को यूट्यूब पर न्यूज 24 चैनल देख रहा था जिस में मुजफ्फरनगर से गुजरने वाले कावड़ यात्रियों से श्री राजीव रंजन संवाद कर रहे थे, जिस में एक यात्री से यह पूछा कि क्या वह होटल या रेहड़ी वालों को सरकार द्वारा जारी निर्देश कि आप बोर्ड पर अपना नाम लिखे की खबर को जानता है या नहीं तो वह इस प्रकार की खबर से पूरी तरह से अनभिज्ञ था। उससे आगे पूछा गया कि मान लो आप को प्यास लगी हो और पानी या चाय पीनी हो जो केवल दूसरे धर्म वाले व्यक्ति के पास उपलब्ध हो तो क्या आप उसके पास से पानी या चाय को पियेंगे तो उसने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं। मेरे साथ जो दूसरा कावड़िया चल रहा है वह गंगा स्नान कर के आया है और वह मुस्लिम है। उससे जब राजीव रंजन ने नाम पूछा तो उसने अपना नाम असलम बताया। यह है भारत वर्ष के साम्प्रदायिक सद्भाव और एकता का विहंगम दृश्य।

इसी बात को लेकर विषय माननीय उच्चतम न्यायालय तक गया। जब विषय इतना ही छोटा सा था तो सरकार किसी धर्माचार्य से केवल यही व्यक्तव्य दे देते की अपनी अलग से पहचान के लिए आप अपने प्रतिष्ठानों पर धर्म ध्वज लगाए, आप के मस्तक पर तिलक सुसज्जित हो तो शायद कोई बवाल ही नहीं होता। सरकार अपनी बात भी कहलवा लेती और बवाल भी न होता। आप स्वयं को दूर से चिन्हित करवा लेते कि आप कौन से धर्म से हैं सामने वाला भी बड़ी आसानी से यह जान जाता कि आप कौन से धर्म से हैं। हमारा धर्म हम को विषयी नहीं बनाता , हम को तमसो मा ज्योतिर्गमय का मार्ग बताता है लेकिन कुछ राजनीतीज्ञ जब तक विषय में विष न घोलें तब तक उनकी आत्मा को अमन चैन नहीं मिलता। गाड़ी में यात्रा करते समय एक व्यक्ति रिजर्व डिब्बे में घुस गया और सीट को खाली देख कर उस का कब्जा कर के बैठ गया। इतने में वह यात्री आया और उसने गुस्से करने की जगह उससे बड़ी शालीनता से सीट खाली करवा ली। उसने आते ही उससे कहा आप का नाम क्या है श्रीमन … वह बोला शादी लाल। आप के पिताजी का बराती लाल। तो वह कहता आदरणीय शादीलाल जी यह सीट बराती लाल की नहीं है। कृपया उसको छोड़ दें तो वह यात्री भी बिना कुछ प्रतिक्रिया दिए वहां से चला गया। बस इतनी सी ही तो बात थी कि हम को दूसरों से जरा सा अलग दिखना है….

आज राजनीति द्वारा अध्यात्म और सौहार्द पर प्रश्न क्यों लगाए जा रहे हैं ? हिन्दू धर्म में भी मुसलमानों की तर्ज पर अब हर रोज तरह तरह के नए फतवे (narrative) जारी किए जा रहे हैं। हर जगह बिना किसी बात के नए नए नियम, नए नए शगूफे छोड़े जा रहे हैं, जो लोग धर्म नहीं जानते, जिन लोगों का व्यवहार, आचरण और आहार ही सात्विक नहीं है, जिन के सिर पर न तो चोटी है और न ही उन्होंने जनेऊ (यज्ञोपवीत) धारण कर रखा है, वह स्वयंभू धार्मिक नेता बनकर फतवे जारी कर रहे हैं। हमारे नगर के एक मुख्य रोड से जब कावड़ यात्रा गुजरती है तो रास्ते में एक दरगाह पड़ती है। इस दरगाह से मुस्लिम भाईयों ने बहुत बार कावड़ियों की सेवा की है और तो और इस दरगाह के प्रमुख सेवक का फोटो नगर के सत्ताधीश शीर्ष नेताओं के साथ बड़े बड़े होर्डिंग्स में लगा हुआ देखा जाता रहा है। श्री गीता जयंती पर जब जब यात्रा इस मार्ग से गुजरी है तो इन्होंने यात्रा का पुष्प वर्षा से स्वागत किया है। इस प्रकार की संकीर्ण राजनैतिक मानसिकता में समझदार लोग और शिक्षित युवा कटने लगे हैं और निराशा भरे माहौल में सब यही कहते हुए मिलते हैं कि अब इन की राजनीति की ट्रेन असली मुद्दों से डिरेल हो गई है।

गत लोकसभा चुनावों के फैसलों के देखते हुए यह समझ आता है कि शायद जनता का असली समस्याओं से ध्यान हटाने और नफरत फैलाने से अब इनसे वोटों का ध्रुवीकरण नहीं हो पा रहा है। जब यह कहा जाता था यह भगवान राम को यह लाए हैं तो भगवान के श्री अयोध्या धाम ने ही इन को आशीर्वाद नहीं दिया , बद्रीनाथ में राज्य सरकार विधानसभा चुनाव हार गई तो फिर इससे इनकी भगवान द्वाराअस्वीकृति के संदर्भ में और अधिक क्या कहा जाएं। भारत की लगभग आधी आबादी युवा शक्ति विद्यार्थी हैं जो नौकरी न मिलने से निराश हैं और आप उनसे पकौड़ा तलवाना चाहते हैं, व्यापारी मंदी से और गरीब महंगाई से त्रस्त है और वह सरकार से बहुत निराश हैं। इसी कारण कुछ समझदार नेताओं ने गत लोकसभा चुनावों में प्रत्याशी बनने के लिए विशेष रुचि नहीं दिखाई कि जनता के रोष का सामना कैसे किया जाए। अब जनता निडर होकर जवाब मांगती है , जनता को झूठे सपने न दिखाइए बस जनता तो धरातल पर जो काम हुए हैं उनकी सूची देखना चाहती है। अब सोशल मीडिया पूर्ण सशक्त हो चुका है कि वह सरकार वंदित किसी भी विषय की हवा को तुरन्त निकाल देने में सक्षम है। अब तो आम लोगों ने लगभग सभी सरकार समर्थित समाचार चैनल्स को देखना बंद कर दिया है यूट्यूब चैनलों पर दर्शक बढ़ते जा रहे हैं क्योंकि लोगों को सच्चाई का पता चल रहा है। यह चैनल पिछले दस वर्ष से सरकार के पार्टी प्रवक्ता बने हुए थे। गोदी मीडिया के दर्शक घटते जा रहे हैं और दूसरों पर झूठी फब्तियां कसने वालों की यूट्यूब और फेसबुक आदि पर नेता जी की असली हास्य रस की reels की भरमार है। और तो और स्कूली बच्चे जो आठवीं दसवीं कक्षा के विद्यार्थी है वह नेता जी के बौद्धिक ज्ञान पर reels देखते हुए ठहाके लगाते हैं। सरकार को चाहिए कि वह gst नंबर की तर्ज पर यह भी आवश्यक कर दे कि किसी भी प्रकार के व्यवसायी को अपना नाम बाहर नंबर के साथ लिखना होगा तो आधे से ज्यादा गोवा नाराज़ हो जाएगा जो टूरिस्ट्स को अपने होटल्स में बीफ (गोमांस) परोसता है, स्मृति ईरानी पर भी यही आरोप लगे, उत्तर पूर्व भारत से आए सांसद और मंत्री किरण रिजिजू यही कहते हैं किसी को किसी के भोजन पर ऐतराज नहीं होना चाहिए तो यह पक्का हो गया कि वह बीफ खाते हैं।

भारत विश्व में बीफ निर्यातक हैं और इस इंडस्ट्री के स्वामी हिंदू हैं जिन्होंने मुस्लिम नामों से फर्म्स रजिस्टर करवाई हुई हैं, बोर्ड पर नाम छपेगा तो सच्चाई जग जाहिर हो जाएगी अन्यथा विशेष जानकारी का गुगल भगवान से पता करें कि इस में कितनी सच्चाई है और गत चुनाव में विपक्षी राजनैतिक दलों के सरकार पर यह आरोप भी लगाए थे कि इनकी पार्टी कौन बीफ निर्यातकों ने इलेक्ट्रल बॉन्ड्स के रूप में चंदा लिया है। राष्ट्र साम्प्रदायिक सौहार्द प्रेम प्यार वात्सल्य और मिलनसारिता से चलते हैं न कि तलवार या फतवों से।

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