परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने 51 नए ऋषिकुमारों का उपनयन संस्कार उपरान्त दिया आशीर्वाद। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र 18 जुलाई : देशभर में संचालित श्री जयराम संस्थाओं एवं कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर के तट पर श्री जयराम विद्यापीठ में गुरु पूर्णिमा महोत्सव को लेकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। गुरु पूर्णिमा महोत्सव को लेकर श्री जयराम संस्कृत महाविद्यालय के ब्रह्मचारियों एवं ऋषिकुमारों में विशेष उत्साह है। कुरुक्षेत्र में श्री जयराम संस्थाओं के मीडिया प्रभारी राजेश सिंगला ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों में श्री जयराम संस्थाओं के अंतर्गत संचालित श्री जयराम संस्कृत विद्यालयों एवं संस्कृत महाविद्यालयों में नए विद्यार्थियों, ब्रह्मचारियों एवं ऋषि कुमारों को प्रवेश से पूर्व उपनयन संस्कार करवाया जाता है। इस बार भी 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के मुख्य कार्यक्रम से पूर्व वीरवार को जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने 51 नए ऋषिकुमारों का उपनयन संस्कार करवाने के उपरान्त विधिवत आशीर्वाद आशीर्वाद दिया। ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी का लक्ष्य देशभर में भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों के साथ संस्कृत भाषा को भी प्रोत्साहित करना है। जयराम संस्थाओं में संस्कृत भाषा की शिक्षा ग्रहण कर सैंकड़ों विद्यार्थी आज उच्च पदों पर आसीन हैं। सिंगला ने बताया कि गुरु पूर्णिमा के मुख्य कार्यक्रम से पूर्व निरंतर अनुष्ठान भी चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि हरवर्ष की भांति इस वर्ष भी श्री जयराम संस्थाओं में गुरु पूर्णिमा महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। 21 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर श्री जयराम अन्नक्षेत्र ट्रस्ट ऋषिकेश में परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी गुरु परम्परा के अनुसार सभी सेवकों एवं श्रद्धालुओं को मानव सेवा एवं सर्वकल्याण का संदेश देंगे। उल्लेखनीय है कि देश के विभिन्न राज्यों में संचालित जयराम संस्थाएं आध्यात्म, शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कृति एवं संस्कृत संरक्षण, गौ सेवा इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रही हैं। प्रवक्ता ने बताया कि गुरु पूर्णिमा पर परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ब्रह्मचारी द्वारा सर्वप्रथम पहले आदि गुरु जयराम व अन्य गुरुओं सहित ब्रह्मलीन पूज्य प्रात: स्मरणीय देवेंद्र स्वरूप ब्रह्मचारी के चरणों में नमन करते हुए परम्परास्वरूप गुरु पूजन किया जाएगा। इस के उपरांत ब्रह्मचारी एवं अन्य संत महापुरुषों के सान्निध्य में श्री सत्यनारायण कथा, गुरु पूजन, आशीर्वचन एवं भंडारों का आयोजन होगा। उन्होंने बताया कि इस बार गुरु पूर्णिमा पर दीक्षा का सर्व श्रेष्ठ योग भी बना हुआ है। ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के अनुसार गुरु पूर्णिमा पर गुरु का पूजन करने की परंपरा है। महर्षि वेद व्सास की जयंती पर इस पर्व को मनाया जाता है। ब्रह्मचारी के अनुसार चारों वेदों, 18 पुराणों, महाभारत के रचयिता और कई अन्य ग्रंथों के रचनाकार का श्रेय महर्षि वेद व्यास को दिया जाता है। वेदों का विभाजन करने के कारण इनका नाम वेद व्यास पड़ा। उन्होंने बताया कि गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरुओं की पूजा और उनका सम्मान करते हुए उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। Post navigation कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय तथा इस्कॉन के मध्य होगा एमओयू, विद्यार्थियों को मिलेगा गीता का ज्ञान पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने बिरला मंदिर बचाओ संघर्ष समिति को दिया समर्थन