कौन जाने किस घड़ी वक्त का बदले मिजाज़ …….. वक्त के दिन और रात

डा. महेंद्र शर्मा

पानीपत – आज धर्म केवल सत्ता प्राप्ति के लिए सीढ़ी मात्र से अधिक कुछ नहीं है। सनातन धर्म के शुभ चिन्हों के बिना शिखा धोती जनेऊ त्रिकाल संध्या अन्न की शुद्धता पतित लोगों का संग त्यागे बिना जप तप दया दान धीरज क्षमा दमन अस्तेय शौचाशौच धी विद्या सत्य अक्रोध इन्द्रिय संयम को अपनाए बिना हम कह रहे हैं कि हमारा धर्म खतरे में है। हमारे देश में 80%+ लोग सनातनी हिंदू है और दूसरी ओर शेष महजब। यहां तक भारत में पारसियों की संख्या एक लाख भी नहीं है परन्तु उन्होंने कभी नहीं कहा कि उनका धर्म खतरे में है तो हमारा धर्म खतरे में कैसे … इस की व्याख्या कोई नहीं करता बस यही कहता है कि धर्म खतरे में है, ऐसे लोगों ने इतिहास तो पढ़ा नहीं है पर इतिहास अवश्य बदलना चाहते है और वही पढ़ाना और बताना चाहते हैं जो सत्ता के अनुकूल हो। मैं तो ब्राह्मण हूं तो धर्म सम्मत राजनीति का पक्षधर हूं।

आज के तीव्र गति युग हम सम्भल कर चलें और यह जाने कि समय सदा किसी के अनुकूल नहीं रहता। यदि हम धर्म को धर्म, मर्यादा, सीमा, सिद्धांत या नियमन समझते हैं तो उन का पालन करना ही हम सब के लिए कल्याणप्रद है। मनुस्मृति में एक श्लोक आता है :-

धर्म एव हतो हंति धर्मों रक्षति रक्षित:। तस्मात्धर्मो न हंतव्यो मा न धर्मो हतोSवधीत।।

जो मनुष्य धर्म का हनन करता है, उसी को धर्म नाश कर देता है और जो मनुष्य धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी रक्षा करता है। सनातन धर्म में इसीलिए यही कहा गया है कि हम विषम से विषमतम परिस्थिति में हम धर्म का त्याग न करें। अतः हमारे द्वारा नष्ट किया हुआ धर्म कभी हमें मार न डाले इस लिए वेदानुकूल ही धर्म का पालन करें। धर्म पर वोट चाहिए तो हम सब से तो पहले धर्म को समझें जाने और उसका पालन करें। बात मीरी और पीरी अर्थात धर्म और राजनीति की चल रही है तो धर्म और मर्यादा के अनुसार व्यवहार करें। क्यों कि समय सदैव एक जैसा नहीं रहता, सत्ता हमेशा नहीं रहती, धनदौलत और सम्पदा भी स्थाई नहीं हैं।

चुनाव हारने पर अब यह परिणामों पर टिप्पणी न कर के वोट प्रतिशत पर आ गए हैं। चुनाव हारने की पीड़ा नेपाल से समझें। आप अभी कल तक भारत में T 20 क्रिकेट का जनून सवार था, आप नेपाल और दक्षिण अफ्रीका के मैच से शिक्षा लें जो नेपाल एक रन से मैच हार गया। नेपाल यदि यह कहें कि लक्ष्य तक पहुंचने में हमारी विकेटस कम गिरी है तो क्या मैच नेपाल जीत गया ? देखो आज देश में 13 उपचुनावों के परिणाम आ गए हैं और आप को संसद में किसी को बालक बुद्धि कहने का परिणाम मिल गया है। श्री राम जानकी विवाह प्रसंग के धनुष यज्ञ में जब राजा जनक राजा महाराजाओं की असफलता को देख कर यह कहते हैं माना कि पृथिवी वीरों से खाली हो गई है तो लक्ष्मण उठ खड़े हुए कि महाराज आप यह कैसे कह सकते हैं कि पृथिवी … अभी श्री राम की बारी तो आई नहीं तो राजा बोले वह तो सुकुमार बालक है और भगवान श्री राम ने धनुष तोड़ कर सीता जी का वरण किया है। जो व्यक्ति दृश्य में ही नहीं था वह धनुष तोड़ कर प्रतिष्ठित हो चुका था। हमारे पौराणिक कथानकों में रावण भी राम और लक्ष्मण को बालक कहता था, धनुष यज्ञ में स्वयं भगवान परशुराम ने लक्ष्मण संवाद में लक्ष्मण को बालक कहा था तो बालक कहने का अंतिम परिणाम क्या निकला …

भारतीय राजनीति में पिछले 10 वर्षों से नित्य प्रति हिन्दू मुस्लिम और गाय हो रही है तो यह भी सत्य है गाय के साथ रहने से व्यक्ति निश्चित ही बैल बुद्धि हो गए है, क्यों कि बैल ही तो गाय का पुत्र है। जो बीज बोया गया था अब वहीं काटना पड़ा, बालक बुद्धि न कहते तो शायद इनको भी कोई बैल बुद्धि न कहता, अतीत के गड़े मुर्दे न उखाड़े जाते। वास्तव में समय जब किसी का समय अनुकूल नहीं होता तो उसकी बुद्धि में किसी तरह के अच्छे विचार नहीं आते। अभी दो दिन पहले राहुल गांधी ने कांग्रेस सोशल मीडिया को हिदायत दी कि आप स्मृति ईरानी को ट्रॉल न करें, चुनावों में हार जीत लगी ही रहती है। यह है एक प्रकार की मर्यादा का अच्छा बीज बोया गया फसल का फल अच्छा ही होगा। यह है बालक बुद्धि का संस्कार और बैल बुद्धि पर लोग जहां इन की रील देख कर चटखारे ले रहे हैं वहीं राहुल गांधी ने इन की गली मोहल्ले में मोहब्बत की दुकान खोल कर राजनीति में बौद्धिक स्तर पर स्वयं को इन से परिपक्व और बेहतर सिद्ध कर दिया हैं और राजनैतिक मर्यादा के नियमन का भी पालन किया है। मैं तो षष्ठम गुरु श्री हरि कृष्ण साहिब की मीरी और पीरी के सिद्धांत का पैरवी करना पसंद करता हूं जिस ने किसी भी विषय अगर अनुकूल परिणाम न मिले तो उसमें मान सम्मान कम होना या आलोचना का शिकार होने की स्थिति उतनी खराब नहीं होती क्यों कि उस में यह बचाव का पक्ष (Defence) रहता है कि जनाब! आप सब से मिल बैठ कर मैंने तो समस्या के हर पहलू पर विचार किया था। अब जो भी नतीजा आया है वह सब परमात्मा की इच्छा है। इनकी राजनैतिक नीतियों का अनुकरण करने वाले भी वह जो हरा चश्मा लगा कर बैठे हुए थे, अब उनका भी चश्मा उतरने लगा है, जिस पर सीसा lead लगा हुआ, सामने कुछ भी दिखाई नहीं देता था। आम प्रबुद्घजन और विद्यार्थी इस राजनैतिक सत्य को समझने लगे हैं।

जनाब! आप,अपनों बुद्धि को राजकाज पर लगाते तो आज समाचार चैनल्स और सोशल मीडिया पर आप का उपहास न होता लोग बाग अब मनोरंजन के लिए कार्टून्स नहीं देखते , आप पर बनी रील्स वास्तविक प्रतीत हो रही हैं क्यों कि आप ने अतीत में जो कहा वहीं मनोरंजक है और वही दिखाया जा रहा है। दूसरी ओर राहुल पर जो भी प्रचार किया गया वह आप के सोशल मीडिया ने जोड़ तोड़ कर प्रस्तुत किया था, लेकिन नेता जी का प्रदर्शन तो सत्यता पर आधारित है और uncut है । राजनीति में होती तो हाजिर जवाबी है जो राजनैतिक व्यवहार में जनाधार बनता है। किसी भद्रजन ने किसी विधवा महिला को एक गलत वृति से यह कह छेड़ दिया कि यह तो … आलम की पत्नी है। इसका गंभीरता से विवेचन करें तो महिला के प्रति मर्यादा रहित असम्मान की बात कही गई थी लेकिन वह महिला बड़ी मर्यादित और शिक्षित भी थी उसने उस हल्के व्यक्ति तो यह कह कर निरुत्तर कर दिया कि यह महानुभाव मेरा आधा परिचय दे रहे हैं मैं मरहूम आलम की पत्नी अवश्य हूं लेकिन मैं जहान की माता भी हूं। जहान उसके बेटे का नाम था। अब उस छोटी और हल्की वृति वाले राज्यचौधरी का मुंह देखने वाला था कि …
कैसी गलती शबाब कर बैठा दिल मेरा इंतखाब कर बैठा

यह समझ कर कि जिंदगी तुम हो
जिंदगानी खराब कर बैठा

अब अगर इस तरह की राजनैतिक नादानियां चलती रही तो गलतियां करने वालों के राजनैतिक हालात कैसे और कब तक सुरक्षित रहेंगे जिन की अच्छी भली बहुमत वाली सरकार वैशाखियों पर आ गई हो। यदि सरकार को स्थाई बनाने के लिए इस कार्यकाल (Term) में पिछली टर्म जैसे खरीद फरोख्त का सिलसिला और मनो:बुद्धि में क्रोध और प्रतिशोध जारी रहा तो परिणाम … सम्भवत: अपनी कब्र खोदने जैसे हो जाएगा।

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