यह राजनीतिक विरासत कैसी ?

-कमलेश भारतीय

इन दिनों राजनीतिक विरासत पर चिख चिख हो रही है, खासतौर पर हरियाणा में, चौ बंसीलाल की राजनीतिक विरासत को लेकर! हिसार से कांग्रेस सांसद जयप्रकाश को पूर्व‌म़त्री और चौ बंसीलाल की बहू किरण चौधरी घेर रही हैं कि उन्होंने कैसे कह दिया कि चौ बंसीलाल के राजनीतिक वारिस उनके बेटे रणबीर महेंद्रा भी हैं जबकि चौ बंसीलाल ने खुद श्रुति चौधरी के सिर पर पगड़ी रखी थी ! असल में जींद में पत्रकार पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा से किरण चौधरी के बारे में सवाल कर रहे थे कि पीछे बैठे जयप्रकाश ने कह दिया कि चौ बंसीलाल के बेटे तो रणबीर महेंद्रा भी हैं तो राजनीतिक वारिस किरण चौधरी कैसे? इस पर किरण चौधरी ने जवाब दिया कि जयप्रकाश पुरुषवादी सोच रखते हैं जबकि पंडित जवाहरलाल नेहरू की राजनीतिक वारिस कौन थी ? श्रीमती इंदिरा गांधी और अब श्रीमती सोनिया गांधी उसी विरासत को आगे बढ़ा रही हैं ! कांग्रेस को अपने इस सांसद के महिला विरोधी बयान पर कार्यवाही करनी चाहिए ! बेटियों के खिलाफ है जयप्रकाश की सोच ! इनेलो की सुनैना चौटाला भी सुर मिलाती हुई कहती हैं कि जयप्रकाश पुरुष प्रधान मानसिकता से ग्रस्त हैं और यह बयान अशोभनीय है । जयप्रकाश का बयान है कि उनकी बात को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया है । उन्होंने तो इतना ही कहा था कि चौ बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा हैं, वे भी उनके वारिस हैं ! इसमें गलत क्या ! रणबीर महेंद्रा भी राजनीति में सक्रिय हैं । ‌अब तो उनका बेटा अनिरुद्ध भी राजनीति में आ चुका है, फिर विरासत सिर्फ श्रुति चौधरी के हिस्से ही क्यों ?

इधर देखा जाये, इसी विरासत का रौला इनेलो के दोफाड़ होने के बाद से इनेलो और जजपा में भी मच रहा है । ‌चौ देवीलाल की विरासत को लेकर ! वहीं सुनैना हिसार के चुनाव में यही कहती रहीं कि हम असली वारिस हैं चौ देवीलाल की विरासत के, जजपा तो फोटो लगाकर बस, वोट लेती है ! इस तरह चौ देवीलाल के परिवार के तीन तीन लोग हिसार से चुनाव मैदान में थे ! चौ रणजीत चौटाला भाजपा, सुनैना इनेलो और नैना जजपा से जबकि जयप्रकाश कह रहे थे कि मेरी राजनीतिक स्कूलिंग चौ देवीलाल के ही स्कूल में हुई है । विरासत का दावा करने वाले तीनों तो हार गये, चेले जयप्रकाश जीत गये ! वैसे यह बहुत मज़ेदार स्थिति बन गयी है कि हरियाणा के तीनों लालों के वारिस भाजपा शरणम् गच्छामि हो गये हैं ! वैसे चौ बंसीलाल ने श्रुति के सिर पर जो पगड़ी रखी थी वह रस्म पगड़ी पर रखी थी और सामाजिक पगड़ी थी न कि राजनीतिक विरासत सौंपी थी ! यह स्पष्ट हो गया था कि बेटे सुरेंद्र‌ की इकलौती बेटी होने के कारण सामाजिक जिम्मेदारी श्रुति को सौंपी गयी न कि राजनीतिक विरासत ! इस पगड़ी का राजनीतिक विरासत से कुछ लेना देना नहीं था और‌‌ न ही है !

क्या यह राजनीति कोई विरासत में मिलती है ? आंध्र प्रदेश में जगन रैड्डी भी विरासत में मुख्यमंत्री बन गये थे लेकिन राहुल गांधी को विरासत से नहीं संघर्ष से ही सब कुछ मिला है ! मोहब्बत की दुकान से ही मिला है ! तो इसे कैसे राजनीतिक विरासत कह सकते हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोई राजनीतिक विरासत नहीं थी, वे तो कहते हैं कि मैं तो चाय बेचता था ! मेरे पास कुछ नहीं था !

यह जनता ही तय करती है राजनीतिक विरासत न कि नेता ! श्रुति को भी खुद साबित करनी होगी राजनीतिक विरासत ! जनता किसी को इस तरह विरासत नहीं सौंपती !

-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी. 9416047075

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