लोकसभा अध्यक्ष के लिए ओम बिरला फिर से रेस में?, टीडीपी को मिल सकता है उपाध्यक्ष

विपक्ष पुरानी परंपरा का हवाला देकर उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने के लिए दबाव बनाएगा

अशोक कुमार कौशिक 

राहुल गांधी ने रायबरेली सीट रख ली है और वायनाड सीट प्रियंका के लिये छोड़ दी है। ये अब साफ़ हो चुका है। अभी एक सवाल और है कि नेता प्रतिपक्ष की सीट पर बैठेंगे या नहीं? क्योंकि ये मौक़ा संसद में 10 साल बाद मिला है। हम बढ़ते हैं दुसरी सीट की तरफ़। और ये सीट मौजूदा संसद के अंपायर यानी लोकसभा स्पीकर की है कि इस सीट पर कौन बैठेगा। तीसरी सीट उपाध्यक्ष की है। 2019 में किसी को उपाध्यक्ष नहीं बनाया गया था।

लोकसभा चुनाव के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की निगाहें आगामी लोकसभा अध्यक्ष पर टिकी है। राजग सहयोगियों के साथ विचार-विमर्श के बाद तय माना जा रहा है कि अगला लोकसभा अध्यक्ष भी भाजपा का ही होगा, लेकिन उपाध्यक्ष का पद भाजपा किसी सहयोगी दल को देने को तैयार है। वहीं, विपक्ष लोकसभा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार नाम की घोषणा के इंतजार में है। किसी दूसरे दल से भाजपा में आए नेता को लोकसभा अध्यक्ष बनाए जाने की स्थिति में विपक्ष का रूख नरम हो सकता है। लेकिन भाजपा के मूल कैडर के नेता को लोकसभा अध्यक्ष बनाए जाने की स्थिति में विपक्ष पूरी ताकत के साथ चुनौती पेश करेगा।

26 जून को नए लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव

ध्यान देने की बात है कि 24 और 25 जून को नव निर्वाचित सांसदों के शपथ ग्रहण के अगले दिन यानी 26 जून को नए लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होना है। तीसरे कार्यकाल में भाजपा के अकेले बहुमत से दूर रहने की स्थिति में लोकसभा अध्यक्ष पद को काफी अहम माना जा रहा है।

अब तक अगले लोकसभा अध्यक्ष के उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं हुआ

लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव में राजग सहयोगी दलों के साथ राय मशविरा कर एकमत बनाने की जिम्मेदारी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को सौंपी गई थी। राजनाथ सिंह के साथ बैठक में सभी राजग लोकसभा अध्यक्ष का पद भाजपा को देने के लिए तैयार हो गए हैं और जदयू ने सार्वजनिक रूप से इसका ऐलान भी कर दिया है। लेकिन भाजपा ने अभी तक अगले लोकसभा अध्यक्ष के उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है।

2019 की तरह चौंकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस बार भी 2019 की तरह चौंकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं, जिसकी घोषणा एक-दो दिन पहले की जाएगी। सूत्रों के अनुसार राजग दलों के बीच लोकसभा अध्यक्ष के साथ ही उपाध्यक्ष पद पर भी चर्चा हुई। वैसे लोकसभा में उपाध्यक्ष पद विपक्ष के किसी नेता को देने की परंपरा रही है। लेकिन 2014 में भाजपा ने राजग के सहयोगी एआइएडीएमके के एम थंबीदुरई को उपाध्यक्ष बनाया था।

2019 में किसी को उपाध्यक्ष नहीं बनाया गया

वहीं, 2019 में किसी को उपाध्यक्ष बनाया ही नहीं गया। अब बदली हुई परिस्थिति में भाजपा एक बार फिर सहयोगी दल को यह पद को देने को तैयार है। माना जा रहा है कि राजग में भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी टीडीपी के खाते में यह जा सकता है। वहीं इस बार संख्या बल में मजबूत स्थिति में आए विपक्ष दल लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद आसानी से भाजपा और सहयोगी दलों के खाते में नहीं देना चाहते हैं। लेकिन भाजपा की ओर से उम्मीदवार की घोषणा के अनुरूप वे अपनी रणनीति तय करेंगे।

पुरंदेश्वरी देवी या बीजेडी से आए भर्तृहरि महताब? 

यदि कांग्रेस से भाजपा में आई पुरंदेश्वरी देवी या बीजेडी से आए भर्तृहरि महताब को लोकसभा अध्यक्ष का उम्मीदवार बनाया जाता है तो कांग्रेस व विपक्षी दलों का रुख नरम रहेगा और संभावना है कि वे इनके खिलाफ अपना उम्मीदवार नहीं उतारें। लेकिन भाजपा के मूल कैडर के किसी नेता के लोकसभा अध्यक्ष का उम्मीदवार बनाए जाने की स्थिति में विपक्ष एकजुट होकर अपना प्रत्याशी भी मैदान में उतारेगा। वहीं विपक्ष पुरानी परंपरा का हवाला देकर उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को देने के लिए भी दबाव बनाएगा।

कौन होगा लोकसभा स्पीकर?

लोकसभा स्पीकर के लिये रविवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर एनडीए की बैठक हुई थी। सोमवार को सूत्रों से खबर आई कि बीजेपी स्पीकर का पद अपने ही पास रखेगी, और उसने तय कर लिया है कि डिप्टी स्पीकर का पद भी विपक्ष को नहीं, एनडीए के ही किसी दल को देगी। स्पीकर के लिये  के भाजपा के ओम बिड़ला फिर रेस में हैं। लेकिन पार्टी कोई नए चेहरे से चौंका भी सकती है। इस हिसाब से डिप्टी स्पीकर टीडीपी का बन सकता है।

विपक्ष की रणनीति क्या है?

सरकार बनने से पहले ही अटकलें लगने लगी थीं कि टीडीपी और जेडीयू दोनों ही समर्थन के एवज में स्पीकर के पद को लेकर अड़ी हुई हैं। सोमवार को जेडीयू ने कहा स्पीकर पर जो भाजपा तय करेगी, उसे मंज़ूर होगा। लेकिन विपक्ष पूरी कोशिश में है कि टीडीपी स्पीकर पर अड़ जाए और जेडीयू उसका साथ दे। इसीलिये विपक्ष दोनों को डरा रहा है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो बीजेपी दोनों के सांसदों को देर-सबेर तोड़कर अपने नंबर पूरे कर लेगी।

स्पीकर और डिप्टी स्पीकर पर विपक्ष के 2 ट्रेलर

स्पीकर और डिप्टी स्पीकर पर विपक्ष के 2 ट्रेलर हैं। पहला- स्पीकर उम्मीदवार टीडीपी का हुआ तो विपक्ष उसे बिना शर्त समर्थन देने पर सोचेगा सोचेगा। दूसरा- डिप्टी स्पीकर पद विपक्ष को नहीं दिया तो वो स्पीकर पर भी अपना उम्मीदवार उतारेगा। लोकसभा में डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष को देने की पुरानी परंपरा रही है। लेकिन 2014 में भाजपा ने अपने सहयोगी दल एआइएडीएमके के थंबी दुरई को ये पद दिया था। लेकिन 17वीं लोकसभा में 2019 से 24 तक ये पद खाली रहा, कोई डिप्टी स्पीकर ही नहीं चुना गया।

बीजेपी इस पूरे एपीसोड में खामोश..

यहां विपक्ष का गेम दूसरे के कंधे पे बंदूक रखने का भी हो सकता है। क्योंकि पिछली बार भाजपा के स्पीकर ने विपक्षी सांसदों के निलंबन का रिकॉर्ड बना दिया था। हांलाकि भाजपा इस पूरे एपीसोड में खामोश है। विपक्ष को साधने के लिये राजनाथ सिंह एक्टिव हैं। रविवार को क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मिले थे। अनुमान है स्पीकर पर भी कोई बात हुई होगी।

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