राज्यसभा चुनाव प्रदेश सरकार का भी होगा शक्ति परीक्षण विपक्ष को मिलकर अपना एक उम्मीदवार राज्यसभा के लिए खड़ा करना चाहिए : बीरेंद्र सिंह कुलदीप बिश्नोई ने दिल्ली में डेरा डाला अशोक कुमार कौशिक हरियाणा लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जबरदस्त वापसी कर बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है। हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस ने पांच-पांच लोकसभा सीटों पर कब्जा किया। हरियाणा में रोहतक लोकसभा सीट से दीपेंद्र सिंह हुड्डा के सांसद चुने जाने के बाद राज्यसभा की सीट खाली हुई है। अब इस सीट पर उपचुनाव होना है। जिसको लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच घमासान जारी है। प्रदेश में राज्यसभा चुनाव की सीट को लेकर चल रही कसमकस के दौरान कांग्रेस और भाजपा दोनों पूरा जोर लगाए हुए हैं। राज्यसभा सीट प्रदेश की नायब सिंह सैनी सरकार के बहुमत या अल्पमत का फैसला करेगी। हरियाणा में राज्यसभा सीट के उपचुनाव के साथ ही बीजेपी और कांग्रेस इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में भी जुट गई हैं, लेकिन दोनों पार्टियों के लिए विधानसभा से पहले राज्यसभा सीट पर कब्जा करना बहुत ही अहम है। बता दे निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा ने भी कांग्रेस की एक नेत्री के वोट के कारण विजय हासिल की थी। उन्हें भाजपा का समर्थन हासिल था। पूर्व केंद्रीय मंत्रीऔर कांग्रेस नेता बीरेंद्र सिंह ने हरियाणा में रिक्त हुई राज्यसभा की सीट को लेकर विपक्ष को नसीहत देते हुए भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ विपक्ष द्वारा मिलकर अपना उम्मीदवार उतारे जाने का बयान दिया। वहीं, राज्यसभा सीट को लेकर कुलदीप बिश्नोई ने भी अपनी दावेदारी पेश की है। राज्यसभा सीट के लिए कुलदीप बिश्नोई ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है। इसके साथ कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई दिल्ली पहुंच गए हैं। कहा जा रहा है कि बीजेपी किसी भी समय राज्यसभा सीट के लिए उम्मीदवार का नाम फाइनल कर सकती है। हालांकि, कहा यह भी जा रहा है कि आने वाले 10 दिनों के भीतर चुनाव आयोग ओर से नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है। बता दें कि लोकसभा चुनाव में भी कुलदीप बिश्नोई को टिकट नहीं मिली थी, लेकिन अब वह पहले से आला कमान पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली पहुंचे हुए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि अभी जो लोकसभा के चुनाव हुए है उसमें दस राज्य सभा के सदस्य चुनाव जीते है तो राज्यसभा से त्याग पत्र दे दिए। ऐसे में दस सीटें राज्यसभा में रिक्त हुई है। हरियाणा में कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य थे दीपेंद्र हुड्डा उन्होंने भी इस्तीफा दिया है तो वो सीट भी हरियाणा में अब भरी जानी है। इस चुनाव में इस चुनाव से पहले भी परिस्थिति ऐसी बनी थी कि जो भाजपा की सरकार है वो अपना बहुमत खो चुकी है। इसका लाभ उठाना चाहिए क्योंकि बहुत से विधायक चाहे वो निर्दलीय है चाहे दूसरे अन्य दलों से है वो आज भाजपा का समर्थन आज नहीं कर रहे। मैं ये समझता हूं कि विपक्ष को मिलकर अपना एक उम्मीदवार राज्यसभा के लिए खड़ा करना चाहिए भाजपा के प्रत्याशी के मुकाबले में और हो सकता है कि भाजपा में भी बहुत से ऐसे विधायक है जो भाजपा की आर्थिक नीति या हरियाणा के संदर्भ में किसानों के प्रति जो भाजपा का रवैया रहा है। कांग्रेस और बीजेपी को क्रॉस वोटिंग का डर वहीं, राज्यसभा के लिए होने वाले उपचुनाव में कांग्रेस और बीजेपी को क्रॉस वोटिंग का डर भी सता रहा है। ऐसा होने के पीछे सबसे बड़ा कारण जननायक जनता पार्टी में टूट को माना जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि जेजेपी के कई विधायक पार्टी को छोड़कर जा सकते हैं और वह क्रॉस वोटिंग भी कर सकते हैं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि जेजेपी के विधायक पार्टी छोड़कर आने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस या बीजेपी से टिकट की मांग भी कर सकते हैं। हरियाणा में राज्यसभा की पांच सीटें बता दें कि हरियाणा में राज्यसभा की कुल पांच सीटें हैं। इनमें से तीन पर बीजेपी के सुभाष बराला, रामचंद्र जांगड़ा और कृष्ण लाल पंवार सांसद हैं और एक सीट पर कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा सांसद थे, जिनके लोकसभा चुनाव जीतने के बाद ही यह सीट खाली हुई है। इसके चलते ही अब इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। वहीं, हरियाणा की आखिरी सीट पर निर्दलीय सांसद कार्तिकेय शर्मा जीते थे। हरियाणा में राज्यसभा की इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी जीत हासिल करना चाहती है। बीजेपी के पास भले ही संख्या बल पर्याप्त ना हो, लेकिन वह आसानी से इस सीट पर हार मानने वाली नहीं है। किसके पक्ष में सीटों का गणित बता दें कि हरियाणा में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें अभी 87 विधानसभा विधायक हैं। वहीं, बाकी तीन सदस्यों में निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद की मृत्यु हो चुकी और लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए रणजीत चौटाला ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा अंबाला सीट से सांसद चुने जाने की वजह से वरुण चौधरी को भी विधानसभा की सदस्यता छोड़नी होगी। विपक्ष के पास हैं 44 विधायक कांग्रेस 29 ….. जेजेपी 10 ….. निर्दलीय 4 …..इनेलो 1 सत्ता पक्ष के पास हैं 43 विधायक बीजेपी 41 ….. हलोपा 1 …..निर्दलीय 1 यहीं पर पेच है व्यावहारिक रूप से दुष्यंत की जेजेपी के पास 10 विधायक हैं। हालांकि, उनके दो विधायकों – गुलाहा से ईश्वर सिंह और शाहबाद से राम करण काला ने अपने बेटों को कांग्रेस में शामिल कर लिया, ताकि वे दलबदल विरोधी कानून के दायरे में आए बिना लोकसभा चुनाव में उस पार्टी का समर्थन कर सकें। टोहाना से एक अन्य विधायक देवेंद्र बबली ने सिरसा में कांग्रेस उम्मीदवार कुमारी शैलजा का खुलकर समर्थन किया और दो अन्य विधायकों, नरवाना से राम निवास सुरजाखेड़ा और बरवाला से जोगी राम सिहाग ने लोकसभा चुनाव में भाजपा का समर्थन किया। सुरजाखेड़ा और सिहाग ने लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी सैनी से मुलाकात की और उनकी सरकार को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया। भाजपा के एक सूत्र ने कहा कि दोनों विधायक किसी भी अविश्वास प्रस्ताव में सरकार का समर्थन करेंगे और भाजपा के पक्ष में संख्याबल बढ़ाने के लिए अपनी सीटों से इस्तीफा देने में भी संकोच नहीं करेंगे।नारनौंद से जेजेपी के एक अन्य विधायक राम कुमार गौतम दुष्यंत चौटाला और उनके परिवार के कट्टर विरोधी हैं। ऐसे में राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई, तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है। Post navigation 30 जून को चरखी दादरी में होगी आम आदमी पार्टी की महारैली: अनुराग ढांडा भाजपा ने हरियाणा में धर्मेंद्र प्रधान को प्रभारी विपुल कुमार देव को सह प्रभारी बनाया