‘सारथी बनी आरती’ की बदौलत ही “राव ने लगाई हैट्रिक’

राज बब्बर को जीतने के लिए चाहिए थे केवल मात्र 38000 ही वोट

बावल में भाजपा के मंत्री फिर भी राव इंद्रजीत को रहा वोटो का टोटा

पटौदी में भाजपा के विधायक फिर भी लुढ़क गया वोटो का मार्जिन

गुरुग्राम और सोहना में भी भाजपा के विधायक फिर भी नहीं मिला लीड

फतह सिंह उजाला 

गुरुग्राम । कोई कंपटीशन हो, कोई चैंपियनशिप या फिर कोई इलेक्शन ही क्यों ना हो। प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ाने और उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए टीम के सदस्यों सहित परिजनों की भूमिका सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है । आमने-सामने जब दो प्रतिद्वंदी मौजूद हो तो एक की हार और एक की पराजय निश्चित होती है । परिणाम के बाद जीत और हार का विश्लेषण करते हुए कमियां बताते दोषारोपण भी होता है। यदि जीत का अंतर बहुत अधिक नहीं हो तो फिर इस जीत का श्रेय  अधिक उसी को ही दिया जाता है, जो सबसे अधिक मेहनत करता हुआ दिखाई दे।

मोदी मंत्रिमंडल में लगातार दो बार वजीर रहे राव इंद्रजीत सिंह को भाजपा का कमल थमा कर तीसरी बार बीजेपी टीम में रहते हुए अपनी जीत की हैट्रिक बनाने के लिए चुनाव मैदान में उतारा गया। राव इंद्रजीत को उम्मीदवार बनाने के साथ ही उनके चुनाव प्रचार सहित जीत का रास्ता आसान बनाने के लिए पुत्री आरती राव पिता राव इंद्रजीत की सारथी बनकर सक्रिय हो गई । आरती राव के द्वारा मेवात के तीनों विधानसभा क्षेत्र, गुरुग्राम के चारों विधानसभा क्षेत्र से लेकर रेवाड़ी जिला के बावल विधानसभा क्षेत्र तक गांव गांव शहर शहर कस्बा कस्बा में देर रात तक चुनावी सभाओं को संबोधित किया गया। जिस प्रकार का चुनाव परिणाम भाजपा के राव इंद्रजीत सिंह और कांग्रेस के उम्मीदवार राज बब्बर के मुख्य मुकाबला को लेकर 75000 वोट के डिफरेंट का आया है । इस परिणाम को देखते हुए बिल्कुल भी दवा नहीं किया जा सकता राव इंद्रजीत सिंह या फिर भारतीय जनता पार्टी या फिर मोदी के माया की लहर ने कोई काम किया हो। जानकारों का कहना है कि राज बब्बर को केवल मात्र 38 हजार – 40000 वोट ही और मिल जाते तो 4 जून को चुनाव परिणाम संभवत पूरे हरियाणा की राजनीति को ही बदलने वाले साबित हो सकते थे । राव इंद्रजीत सिंह के चुनाव प्रचार और उनकी जीत के प्रति गंभीरता को देखते हुए ही 18 मई को ‘आरती राव बनी पिता राव इंद्रजीत सिंह की सारथी’ समाचार भी प्रमुखता के साथ में प्रकाशित हुआ।

गुड़गांव संसदीय क्षेत्र में राव इंद्रजीत सिंह के घरेलू जिला रेवाड़ी के बावल में भाजपा का हरियाणा सरकार में मंत्री होते हुए भी वोट का आंकड़ा 2019 के मुकाबले 2024 में घट गया। इसी प्रकार से राव परिवार, राव इंद्रजीत या फिर रामपुरा हाउस के लिए सबसे सुरक्षित और मजबूत राजनीतिक गढ़ पटौदी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का विधायक होते हुए भी यहां 2019 के मुकाबले 2024 में वोटो का मार्जिन नहीं बढ़ाया जा सका । इसी कड़ी में साइबर सिटी गुरुग्राम और सोहना विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा के विधायक रहते हुए राज बब्बर तथा राव इंद्रजीत के बीच वोट का अंतर उंगलियों पर गिनती करने लायक  ही रह गया । मेवात कहलाने वाले इलाके के सभी तीनों विधानसभा क्षेत्र में भी 2019 के मुकाबले 2024 में भाजपा को मिले वोट का आंकड़ा और भी अधिक सिमट गया।

 यह हालत तो तब रही जब दुनिया की सबसे बड़ी पॉलीटिकल पार्टी के बूथ लेवल से लेकर पन्ना प्रमुख और जिला स्तर तक कार्यकर्ताओं सहित पदाधिकारी की फौज मौजूद है । जानकार लोगों का कहना है स्वयं राव इंद्रजीत सिंह के द्वारा जिस प्रकार से पसीना बहाया गया, कहीं ना कहीं इस प्रकार से पिता राव इंद्रजीत सिंह के लिए ‘सारथी बनी पुत्री आरती राव’ ने भी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी । चुनाव परिणाम के बाद संगठन और संगठन के सदस्यों के द्वारा सहयोग को लेकर भाजपा के सिंबल पर जीत की हैट्रिक बनाने वाले राव इंद्रजीत सिंह जो कुछ भी कह चुके हैं, अब उसको दोहराने का कोई अधिक लाभ नहीं दिखाई दे रहा।  देने वाले जीत का सारा श्रेय कहीं ना कहीं ‘सारथी बनी आरती राव’ को ही देने में कोई संकोच भी नहीं कर रहे। शायद यही मुख्य कारण भी है कि पिता राव इंद्रजीत सिंह ने पुत्री आरती राव को विधानसभा चुनाव लड़वाने की डंके की चोट पर घोषणा भी कर दी है।

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