-विश्व पर्यावरण दिवस पर वनस्पति उद्यान में नवग्रह वाटिका का किया उद्घाटन हिसार: 5 जून – चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वनस्पति उद्यान में विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर नवग्रह वाटिका का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने नवग्रह वाटिका में नौ गृहों पर आधारित लगाए गए पौधों का निरीक्षण भी किया। प्रो. काम्बोज ने नौ गृहों के धार्मिक आधार पर लगाए गए पौधों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस ग्रह के लिए कौन सा पौधा शुभ है। कौन से ग्रह को शांत करने के लिए किस पौधे की लकड़ी और पत्तों का प्रयोग किया जाता है। उसी के अनुसार वाटिका में पौधे लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि पौधों के धार्मिक महत्व को बताने वाली ये नवग्रह वाटिका विश्वविद्यालय के वनस्पति उद्यान में बनाई गई है ताकि वाटिका में आने वाले नागरिकों को गृहों से संबंधित पौधों के महत्व के बारे में जानकारी उपलब्ध हो सके। उन्होंने बताया कि बृहस्पति गृह के लिए पीपल, बुद्ध गृह के लिए अपामार्ग, केतू के लिए कुश घास, शुक्र के लिए गूलर, सूर्य के लिए ऑक, शनि के लिए शमी, चन्द्र के लिए प्लाश, मंगल के लिए खैर व राहु के लिए दूब घास का पौधा सर्वोतम माना गया है। कुलपति ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना है ताकि प्रत्येक नागरिक बरसात के मौसम में विभिन्न प्रजातियों के अधिक से अधिक पौधे लगाकर उनकी देखभाल भी करे। मानव जीवन में पेड़-पौधों का विशेष महत्व है। वृक्षों से एक ओर जहां इमारती लकड़ी मिलती है वहीं दूसरी और पेड़-पौधें विभिन्न प्रकार की औषधियों बनाने में भी प्रयोग किए जाते हैं। क्या है इन पौधों का धार्मिक महत्व मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. नीरज कुमार ने बताया कि सभी नवग्रह वाटिका में ग्रहों के अनुसार एक-एक पौधा लगाया गया है। इन पौधों का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों व हवन-पूजन के दौरान भी किया जाता है। कार्यक्रम का आयोजन मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय एवं भू-दृश्य संरचना इकाई द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। पीपल: पीपल की पूजा की जाती है। अपामार्ग: हवन में इसकी लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। बुध ग्रह की शांति के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। कुश: इस पौधे से बने छल्ले को हवन-पूजन के दौरान ऊंगली में पहना जाता है। कुश के आसन का प्रयोग भी होता है। गूलर: इसकी लकड़ी का उपयोग शुक्र ग्रह की पूजा में किया जाता है। ऑक: ऑक को मदार भी कहा जाता है। पूजन कार्यक्रम में इसका उपयोग किया जाता है। शमी: शमी वृक्ष पर जल चढ़ाने से शनि ग्रह की शांति होती है। इसकी पत्तियों भगवान शिव पर भी चढ़ाया जाता है। प्लाश: हवन और अन्य मांगलिक कार्यक्रमों में इसके पत्तों और लकड़ी का उपयोग होता है। खैर: इस पौधे को आराध्य माना जाता है। इसकी छाल को घिसकर बनाए गए लेप को पूजन में प्रयोग किया जाता है। दूब घास: इसका उपयोग प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। Post navigation मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की उपचुनाव में जीत की खुशी में आर्यनगर में लड्डु बांट, आतिशबाज़ी कर मनाई खुशी : हनुमान वर्मा बड़े बड़े दावों की खुली पोल ……..