अशोक कुमार कौशिक हरियाणा व पंजाब में चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव यहां डेरो और मठों का पूरा दबदबा देखने को मिलता है। राजनीतिक भाषा में उन्हें गेम चेंजर कहा जाता है। हरियाणा और पंजाब में डेरों का दबदबा हर मामले में है। चाहे किसान आंदोलन हो, आरक्षणों से जुड़ा आंदोलन हो या फिर लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हों, हर बार डेरों की सहमति या असहमति बेहद अहम हो जाती है। ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले डेरा सच्चा सौदा का भारतीय जनता पार्टी को समर्थन करने का ऐलान बेहद अहम माना जा रहा है। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के जेल में होने के कारण अब हरियाणा में कई और डेरे और मठ सक्रिय हो गए हैं। रेप केस में दोषी और डेरा सच्चा सौदा के मुखिया गुरमीत राम रहीम की सहयोगी हनीप्रीत ने अब हरियाणा की लोकसभा सीटों पर अपने लोगों की टीम उतार दी है कि वे लोकसभा चुनाव में बीजेपी की मदद करें। इससे पहले हरियाणा में बीजेपी की सरकार पर आरोप लगते रहे हैं कि वह चुनावी फायदों के लिए राम रहीम को पैरोल और फरलो देती रही है। हरियाणा के साथ-साथ डेरों की ताकत यह है कि हर पार्टी के नेता उनके चक्कर लगाते रहे हैं। बीते कुछ सालों में डेरा सच्चा सौदा सबसे ताकतवर बनकर उभरा है। इसकी वजह भी है कि रेप केस में दोषी साबित होने के बावजूद राम रहीम के समर्थक पहले की तरह ही उसके पीछे खड़े दिखते हैं। ऐसे में राजनीतिक दल भी इन डेरों को नाराज करने का जोखिम कभी नहीं लेना चाहते हैं। आइए समझते हैं कि इस बार के लोकसभा चुनाव में ये डेरे कितना असर डाल सकते हैं। हरियाणा की 10 सीटों पर है टक्कर हरियाणा में पिछली बार यानी 2014 के लोकसभा चुनाव में डेरा सच्चा सौदा ने बीजेपी का समर्थन किया था। डेरा सच्चा सौदा के बदौलत ही पहली बार हरियाणा में भाजपा ने अपनी सरकार बनाई। हालांकि, 2017 में राम रहीम को सजा होने के बाद 2019 में उसने खुला समर्थन नहीं किया। हालांकि, पार्टियों के नेता चोरी-छिपे डेरे का आशीर्वाद लेने पहुंचते रहे। हरियाणा के सिरसा, हिसार, करनाल, रोहतक, कैथल और अंबाला में डेरा सच्चा सौदा के समर्थक अच्छी-खासी संख्या में हैं। इसके अलावा हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व देश के अन्य भागों में काफी समर्थक है। ऐसे में अचानक डेरे की ओर से हुए ऐलान से बीजेपी की बांछें खिल गई हैं। दरअसल, सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि कुछ दिन पहले बीजेपी के नेताओं ने हनीप्रीत सिंह से मुलाकात की थी। तब हनीप्रीत ने नेताओं से समय मांगा था। अब शुक्रवार को हरियाणा में चुनाव प्रचार खत्म होते ही डेरा सच्चा सौदा ने 15 सदस्यीय कमेटी की ड्यूटी लगाई है। हरियाणा की सभी 10 सीटों पर 25 मई को वोट डाले जाने हैं। ऐसे में कांग्रेस-आप के गठबंधन और एंटी इन्कम्बेंसी का सामना कर रही बीजेपी ने थोड़ी राहत की सांस जरूर ली होगी। क्या है डेरा पॉलिटिक्स? डेरे का शाब्दिक अर्थ एक जगह पर रहने से होता है। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में अलग-अलग धार्मिक और सामाजिक विचारों वाले कई डेरे हैं। ये समय-समय पर अपने सम्मेलन करते हैं। इन डेरों के समर्थक डेरा प्रमुख की बातों का पालन भी करते हैं और चुनाव में भी डेरा प्रमुखों के कहे अनुसार ही वोट भी करते हैं। इनकी ताकत का अंदाजा इस हिसाब से लगाया जाता है कि साल 2017 में डेरा सच्चा सौदा के मुखिया राम रहीम को सजा हुई तो उसके समर्थकों ने हरियाणा से लेकर पंजाब तक जमकर हिंसा फैलाई। इसमें 38 लोगों की जान भी गई और सैकड़ों लोग बुरी तरह घायल हुए। इस डेरे का प्रभाव हरियाणा के साथ-साथ पंजाब के भी कई जिलों में है। यही वजह है कि बीजेपी के अलावा, कांग्रेस, अकाली दल, आप और जननायक जनता पार्टी के नेता भी समय-समय पर डेरों के चक्कर लगाते रहे हैं। पंजाब और हरियाणा में मौजूद दर्जनों डेरों के बीच आपसी मतभेद काफी ज्यादा हैं, यही वजह है कि अलग-अलग चुनाव में ये अलग-अलग पार्टियों के साथ देखे जाते हैं। उदाहरण के लिए 2002 और फिर 2007 में डेरा सच्चा सौदा ने कांग्रेस का समर्थन किया था। कई बार ये डेरे अलग-अलग सीट पर अलग-अलग पार्टियों के कैंडिडेट को समर्थन देते हैं और उनके समर्थन का फायदा भी देखने को मिलता रहा है। कितने हैं डेरे? हरियाणा और पंजाब को ही देखें तो कम से कम एक दर्जन डेरे ऐसे हैं जो कई जिलों में अपनी मजबूत पकड़ रखते हैं। डेरा सच्चा सौदा, डेरा निरंकारी, डेरा सचखंड बल्लां, रोहतक में गौकरण धाम, पुरी धाम, सांपला डेरा, कालिदास महाराज, सत जिंदा कल्याण डेरा, सती भाई सांई दास, कलानौर स्थित बाबा ईश्वर शाह इसमें प्रमुख हैं। इनके अलावा भी कई डेरे हैं जो स्थानीय स्तर पर काफी मजबूत हैं। डेरा सच्चा सौदा सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला डेरा सच्चा सौदा अब राम रहीम के नाम से जाना जाता है। राम रहीम के जेल जाने के बाद डेरे में आने वालों की संख्या बेहद कम हो गई लेकिन बीच-बीच में उसे पैरोल या फरलो मिलने के चलते उसके समर्थक फिर से जुड़ जाते हैं। डेरा सच्चा सौदा राजनीति में पूरी भूमिका अदा करता है वह खुलकर किसी दल का समर्थन नहीं करता। डेरे के शीर्ष प्रबंधन द्वारा अपने 15 मेमोरी कमेटी द्वारा ग्राम स्तर तक सांकेतिक संदेश अपने अनुयायियों के पास भेजे जाते हैं। डेरा सचखंड बल्ला पंजाब के जालंधर और होशियारपुर में अच्छा प्रभाव रखने वाला यह डेरा मुख्य रूप से रविदासी समुदाय को आकर्षित करता है। दलित सिख इसके प्रमुख समर्थक हैं। इसके समर्थक भी चुनाव में डेरे के मुताबिक ही वोटिंग करते रहे हैं। डेरा निरंकारी सिखों से टकराव की वजह से चर्चा में आने वाले निरंकारी समुदाय के लोग पंजाब से दिल्ली तक काफी सक्रिय रहे हैं। कई हिंसक घटनाओं में भी इनका नाम सामने आया है। राजनीतिक रूप से कम सक्रिय यह डेरा आंतरिक रूप से काफी संगठित और मजबूत माना जाता है। राधा स्वामी ब्यास डेरा साल 1891 में स्थापित हुए इस डेरे का कहना है कि वह राजनीतिक दलों से वास्ता नहीं रखता है। हालांकि, बीते कुछ सालों में राहुल गांधी, नरेंद्र मोदी और चरणजीत सिंह चन्नी जैसे तमाम नेता इस डेरे में जाते रहे हैं। हां, इतना है कि यह डेरा कभी भी औपचारिक तौर पर अपने समर्थकों को किसी पार्टी विशेष के लिए वोट डालने को नहीं कहता है। – राधा स्वामी डेरा दिनोद राधा स्वामी आश्रम की एक शाखा भिवानी जिले के गांव दिनोद में स्थित है। अभी तक इस आश्रम के भी राजनीति में हस्तक्षेप की कोई जानकारी सामने नहीं आई। यह आश्रम केवल धार्मिक आस्थाओं पर आधारित है। – ब्रह्मकुमारी राजस्थान के प्रसिद्ध माउंट आबू स्थित ब्रह्मकुमारी आश्रम के हरियाणा में अनेक जगह उपकेद्र बने हुए। ब्रह्मकुमारी इसका राजनीति के में कोई विश्वास नहीं है। इसके कारण वह राजनीति में परोक्ष रूप से भाग नहीं लेते। – संत रामपाल रोहतक के करोंथा आश्रम के विवाद में आने के बाद संत रामपाल ने हिसार के बरवाला में नया डेरा बनाया। वहां भी विवाद में आने के बाद उन्हें संगीन धाराओं में आरोपी बनाकर जेल में डाल दिया गया। हरियाणा सहित अन्य प्रदेशों में इस दर के बहुत अनुयाई है। संत रामपाल के अनुयाई भाजपा के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखते हैं। – अस्थल बोहर मठ रोहतक अलवर से पूर्व भाजपा सांसद एवं वर्तमान में तिजारा से विधायक बाबा बालक नाथ का मठ स्थल भर में स्थित है। उनके अनुयाई रोहतक, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ व राजस्थान के अलवर में बहुतायत मात्रा में है। हरियाणा के लोकसभा चुनाव में डेरों के आगे नतमस्तक होने वालों में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, कांग्रेसी सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा अनेक बार डेरे में माथा टेक चुके हैं। प्रदेश के अनेक राजनीतिक दिग्गज भी डेरों के आगे नतमस्तक हो चुके हैं। Post navigation सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने वालों पर रहेगी पुलिस की कड़ी नजर 10 लोकसभा और करनाल विधानसभा सीट के लिए 25 मई को होगा मतदान