— सेहत ही नहीं इलाके की आर्थिक उन्नति का बनेगा वाहक — अक्टूबर तक ओपीडी सुविधा की हो जाएगी शुरुआत गुरुग्राम / रेवाड़ी। ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज यानी एम्स, एक ऐसी सौगात जो दक्षिण हरियाणा के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के अथक प्रयासों से मिला एम्स केवल क्षेत्र की सेहत ही सुधारने का काम नहीं करेगा, बल्कि इलाके की आर्थिक उन्नति का वाहक भी बनेगा। यह अहीरवाल रेवाड़ी और महेंद्रगढ़ के बॉर्डर पर खोल खंड के गांव माजरा में बनाया जा रहा है, वहां के लोगों की मुख्य आजीविका खेती बाड़ी है। राजस्थान के अलवर जिले का हिस्सा भी इससे एकदम सटा है। इस लिहाज से रेवाड़ी के साथ ही अलवर के एक खास हिस्से के लोगों के लिए स्वरोजगार का साधन भी बनने वाला है। यहां के युवा अब स्वरोजगार अपनाकर स्वावलंबी बन सकेंगे। अक्तूबर से रेवाड़ी-नारनौल रोड पर खोरी से लेकर कुंड और खोल तक नजारा बदला बदला दिखाई देगा। अक्तूबर से माजरा गांव में बनने वाले देश के 22वें एम्स में ओपीडी शुरू हो जाएगी। राव के अथक प्रयास लाए रंग एम्स की सौगात कई दशकों तक अहीरवाल के साथ हरियाणा के कई जिलों और राजस्थान के बड़े हिस्से की सेहत सुधारने में मददगार बनेगा। आने वाली पीढ़ी इसके लिए किए केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के संघर्ष और प्रयासों को याद करेगी। यह राव इंद्रजीत की मेहनत का परिणाम था 2015 में घोषणा के बाद वह लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र में बैठे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और अपने सहयोगी मंत्रियों को हर कदम इसकी याद दिलाते रहे। आखिरकार राव की मेहनत रंग और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल फरवरी में रेवाड़ी आकर एम्स का शिलान्यास अपने हाथों से कर दिया। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत के बुलावे पर आए पीएम नरेंद्र मोदी ने रेवाड़ी से जुड़ी अपनी यादों की विस्तार से चर्चा भी की। मोदी ने भी की राव की कर्मठता की सराहना एम्स का शिलान्यास करने माजरा पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाखों के जनसैलाब के सामने राव इंद्रजीत की कर्मठता की सराहना की। मोदी ने राव को अपना मित्र बताया और कहा कि राव जो ठान लेते हैं, वह करके दिखाते हैं। मोदी ने एम्स के लिए किए गए उनके संघर्ष पर उनकी पीठ थपथपाई। प्रधानमंत्री मोदी ने यूं ही राव इंद्रजीत को नहीं सराहा बल्कि रेवाड़ी में एम्स स्थापना के पीछे राव के संघर्ष की कहानी उन्हें स्वयं पता थी। हरियाणा के रेवाड़ी में एम्स स्थापना की बात केंद्र सरकार तक पहुंची तो झज्जर जिले के गांव बाढसा में स्थापित एम्स कैंसर इंस्टिट्यूट को ही एम्स की संज्ञा स्वास्थ्य अधिकारियों ने दे दी और कहा की हरियाणा में पहले से ही एम्स दिया जा चुका है। केंद्र में बैठे स्वास्थ्य अधिकारियों की रिपोर्ट के बाद रेवाड़ी एम्स की फाइल पर धीरे-धीरे धूल जमने लग गई थी। राव इस बात को लेकर चिंतित रहने लगे और वे लगातार उस समय के वित्त मंत्री अरुण जेटली और स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई घोषणा कि हर राज्य में एक एम्स की स्थापना की जाएगी को याद करवाते और बाढसा कैंसर इंस्टीट्यूट की सच्चाई के बारे में अवगत करवाते रहे। प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच बने सेतु राव इंद्रजीत ने एम्स के लिए होने वाली औपचारिकताओं को पूरा कराने के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार के बीच सेतु की भूमिका निभाई। जमीन अधिग्रहण में आने वाली अड़चनों को दूर कराया। पहले इसे मनेठी गांव में बनाया जाना था। इसके लिए आरक्षित की गई जमीन पर जब वन विभाग ने आपत्ति जताई तो राव के प्रयासों से ही माजरा के ग्रामीण इसके लिए जमीन देने को तैयार हुए। राव ने यहां के ग्रामीणों को समझाया कि यह ऐसी सौगात है तो क्षेत्र की तकदीर और तस्वीर बदल देगी, इसे हर हाल मे पूरा कराने का सपना है।ग्रामीणों ने राव के एक ईशारे पर इसके लिए 250 एकड़ जमीन दे दी। कुल मिलाकर इस एम्स के रूप में अहीरवाल का एक ऐसा सपना राव ने पूरा कराया है जो कभी यहां की जनता ने देखा भी नहीं था। अगर राव के प्रयास और मेहनत नहीं होती तो शायद आज यह सपना पूरा भी नहीं हो पाता। Post navigation गुरुग्राम का विकास उनके पिता राज बब्बर की प्राथमिकता रहेगी : जूही बब्बर चर्चा है: नायब सैनी सरकार गिरेगी या जजपा टूटेगी ?