अपने हलके के ही ब्राह्मणों के गांव से इतना द्वेष है कि अपने फंड से नही दिया एक पैसा ऋषिप्रकाश कौशिक/ भारत सारथी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की प्रदेश से सरकार गई तो उन्होंनें इसका सबसे बड़ा दोषी ब्राह्मण जाति को माना। भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर अपने कार्यकाल में जातिवाद और क्षेत्रवाद के आरोप तो खूब लगे लेकिन कुछ लोग इसे महज राजनैतिक आरोप मान कर नकारते रहते रहे। तीन दिन पूर्व गांव में भाजपा सांसद अरविंद शर्मा के सांपला खंड के दौरे के दौरान सांसद ने चौपाल में एक बात कही कि हुड्डा हमेशा भेद-भाव की राजनीति करते है और अपने गुलाबी गैंग के कुछ ठेकेदारों के माध्यम से चुनाव में झुठ का प्रचार करते रहते है वो अपने हलके के लोगों के साथ ही भेदभाव करते है और ब्राह्मणों से हुड्डा को विशेष दिक्कत है। उन्होंनें कहा कि मैने अपने सांसद निधी का एक एक पैसा रोहतक लोकसभा क्षेत्र में बराबर बांटने का काम किया है लेकिन दीपेंद्र हुड्डा बताये कि उन्होंनें 2014 से 2019 तक लोकसभा सांसद व 2020 से अब तक राज्य सभा सांसद होते हुए भैसरू कलां में कब एक पैसे की ग्रांट देने का काम किया वहीं उन्होंनें भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि हुड्डा हलके के विधायक है उन्होंनें भी पिछले दस साल में विधायक फंड का कोई एक पैसा गांव के विकास के लिए दिया हो। सांसद अरविंद शर्मा की जनसभा का यह विडियो खूब वायरल हो रहा है। हमने स्वयं इस दावें की पोल खोलने का प्रयास किया है कि कहीं अरविंद शर्मा झुठ तो नही बोल गये है लेकिन जब गांव की पूर्व सरपंच मीना देवी, वर्तमान सरपंच सुनीता देवी और ग्राम पंचायत सचिव से इस बारे में जानना चाहा तो अरविंद शर्मा की बात सत्य साबित हुई। गांव की जनसभा में सांसद अरविंद शर्मा की यदि बात सत्य साबित नही होती तो उन पर भी झुठे बोलने का आरोप तो लगता ही साथ में यह भी आरोप लग जाता कि वो ब्राह्मण जाति से है और महज अपने चुनाव को जातिगत बनाने के लिए ऐसा कह रहे है। ग्राम की पूर्व व वर्तमान सरपंच ने बताया कि गांव में पिछले दस साल से हुड्डा परिवार द्वारा गांव के विकास के लिए कभी चार चवन्नी नही दी गई है। गांव सरंपच सुनीता देवी ने बताया कि ऐसा नही है गांव में विकास कार्यो के लिए मनोहर सरकार ने कोई कमी रखी हो। मनोहर सरकार में गांव की पंचायत ने विकास कार्यो में इबारत लिखने का काम किया है लेकिन हमे खेद है कि हमारे हलके के नेता माननीय भूपेंद्र हुड्डा गांव से ऐसा क्या द्वेष भाव रखते है कि गांव के विकास में पिछले दस साल में उन्होंनें एक पैसा नही देने का काम किया है। गांव की पूर्व सरपंच मीना देवी ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा हलके के विधायक है उन्होंनें गांव के विकास में कभी कोई ग्रांट नही दी। जनप्रतिनिधी किसी भी पार्टी का वोटर हो सकता है और वो केवल गांव में विकास कार्यो के लिए चुना जाता है किसी पार्टी विशेष की रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए नही। गांव की पंचायत न तो कभी भाजपा की रैलियों के लिए गाड़ी भरके भेजती और ना ही कांग्रेस के लिए। लोकतंत्र में सब अपने मत के स्वतंत्र है और होना भी ऐसा ही चाहिए यही लोकतंत्र की गरिमा है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा व दीपेंद्र हुड्डा की इस कारगुजारी पर क्या वो कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी या कांग्रेस के लोगों का विरोध करने चाहते है इस बात पर अपनी स्पष्ट राय बताते हुए सरपंच सुनीता व मीना देवी का कहना है कि लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है और यह शिष्टाचार के विरूद्व भी है कि आपके गांव में कोई आ रहा है तो उसका विरोध करे। उन्होंनें कहा हमें अशिष्ट लोगों के साथ भी अच्छा आचरण करके उनको शिष्ट बनाना है ताकि आगे से वो इस प्रकार की दुर्भावना से काम न करे। उन्होंनें कहा यह जरूर है कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा को यह भी ,खुशी नही हुई कि उनके हलके के गांव की पंचायत ने छह स्टार प्राप्त किये है। उन्होंनें कहा कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने महज खानापुर्ति के लिए एक शुभ कामना का संदेश भेजना भी वाजिब नही समझा। हमें तो इसे किसी जातिवाद दुर्भावना की बु-आती है। अब सार यही है कि छह महीनें पहले जिस जाति के आदमी को भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस की सरकार आने पर उपमुख्यमंत्री बनाने की बात कर रहे थे वो परिवार ब्राह्मणों के इस गांव को अपने फंड से लाख दो लाख रूपये देने में भी कोताही बरत रहा वो प्रदेश में उपमुख्यमंत्री बनाने की बात को कैसे कर सकता है या यह एक चाल है कि यह कहकर अब ब्राह्मणों को अपने समर्थन में लाकर वोट हथिया सकें। विचार का कथन यह है कि क्या एक गांव का सरपंच मान लिया जाये भाजपा का समर्थित भी तो क्या उस गांव में राज्य सभा,लोकसभा, और विधायक फंड का एक पैसा भी नही देना क्या तर्कसंगत है और नही तो फिर क्या इसे जातिवाद की घोर पराकाष्ठा नही मान लिया जाये। Post navigation चुनाव का पर्व : गुरुग्राम में 100 स्थानों पर तैयार की जाएंगी वॉल ऑफ डेमोक्रेसी चरमराती सफाई व्यवस्था से प्रशासनिक परिसर भी नहीं रहे अछूते