कांग्रेस की नैया में होकर सवार क्या ब्रह्मचारी पहुंचेगे दिल्ली दरबार

ऋषि प्रकाश कौशिक

सोनीपत लोकसभा से बिना किसी दल के संसद में पहुंचने वाले अरविंद शर्मा के बाद रमेश कौशिक ने न केवल अपनी शानदार जीत दर्ज की थी अपितु पिछले लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पटकनी देकर इस लोकसभा क्षेत्र में राजनीति के रणनीतिकारों को एक बात तो पक्की जंचाने का काम कर दिया कि इस सीट पर जातीय समीकरणों के चलते ब्राह्मण उम्मीदवार ही जीत दर्ज करवा सकता है क्योंकि वर्तमान में रोहतक सोनीपत के जाटलैंड में भूपेंद्र सिंह हुड्डा से बड़ा जाट चेहरा कौन हो सकता है और ऐसे में यदि भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी यहां जाट आरक्षण के बाद जाटों की एकतरफा वोट लेने के बाद भी चुनाव नही जीत सकते तो इस सीट पर कांग्रेस की ओर से ब्राह्मण उम्मीदवार होना चाहिए। कांग्रेस के इस सर्च अभियान में तरह तरह के नामों पर चर्चा करने के बाद अन्तत: सतपाल ब्रह्मचारी का नाम तय हुआ। बता दे कि सतपाल ब्रह्मचारी हुड्डा के खास समर्थकों में से एक है इसलिये इस पर हुड्डा को भी कोई आपत्ति नही थी क्योंकि सतपाल ब्रह्मचारी को टिकट मिलने से हुड्डा भी एक तीर से दो निशाने साधने का काम कर गये एक तो उनके चेहते को टिकट मिल गया दूसरी बिरेंद्र के बेटे बृजेन्द्र सिंह की सोनीपत से टिकट भी कटवा गये क्योंकि बृजेंद्र सिंह की पहली प्राथमिकता हिसार व दूसरी सोनीपत बताई जा रही थी।

अब इस सीट पर टिकट मिलने से लेकर नामाकंन प्रक्रिया पर यदि बात की जाये तो सतपाल ब्रह्मचारी का सबसे कांग्रेस की आईटी टीम द्वारा उनका नामकरण किया गया। सतपाल बह्मचारी को पहले पङ्क्षडत सतपाल ब्रह्मचारी के नाम से प्रमोट किया जा रहा ताकि आम समाज में उनकी पहचान ब्रह्माण चेहरे के रूप में की जाये। सतपाल ब्रह्मचारी के चुनाव की पूरी जिम्मेदारी हुड्डा टीम पर रहने वाली है क्योंकि सतपाल ब्रह्मचारी का पूरे लोकसभा के किसी भी हलके में व्यक्तिगत वोट बैंक नही है जबकि भाजपा, इनेलो व जजपा के सभी प्रत्याशियों के अपना अपना वोट बैंक है और उनकी दो चार हलको में व्यक्तिगत पहचान है।

लोकसभा क्षेत्र में व्यक्तिगत मतों के हिसाब से सतपाल ब्रह्मचारी सबसे पीछे खड़े है भले ही उनके पास हुड्डा समर्थकों की लंबी फौज है। चुनाव में आज मतदाताओं को अपने क्षेत्र का विकास करने वाला और सदा उनके बीच खड़ा रहने वाला सांसद चाहिए। बाकी सभी पार्टियों के उम्मीदवारों के प्रति मतदाता यह तो आश्वस्त है कि ये बनने के बाद लोकसभा क्षेत्र में ही रहेगें लेकिन ब्रह्मचारी के लिए यह कतई संभव नही है कि वो अपना हरिद्वार के आश्रम छोडक़र सोनीपत में ड़ेरा ड़ालने का काम करेगे। सबसे खास और अहम बात सतपाल ब्रह्मचारी की टिकट को लेकर कांग्रेस ने जिस मुगालते में आकर टिकट देने का काम किया है वो है जींद जिले का निवासी होना बताया गया ताकि जींद जिले के तीन हलकों में उनके प्रत्याशी को वोट मिल सके लेकिन वहां के स्थानीय लोग भाजपा के मोह में दिखाई दे रहे। स्थानीय लोग कांग्रेस कार्यकाल के क्षेत्रवाद के दंश को झेल चुके है वे भाजपा के दस साल और हुड्डा के दस साल के कार्यकाल के तुलनात्मक में भाजपा को प्राथमिकता देते दिखाई दे रहे है। जींद में ब्रह्मचारी की टिकट का शोर तो जरूर है लेकिन इस प्रकार का शोर कहीं नही जैसा शोर मोहन लाल बड़ौली के हलके राई में सुनाई देता है। स्थानीय लोग सतपाल ब्रह्मचारी को हुड्डा का मुखौटा बता रहे है।

मोहन लाल बड़ौली और सतपाल की सीधी टक्टर में इनेलो और जजपा ने अपने दमदार प्रत्याशी उतार कर मुकाबले को रोचक भले ही बना दिया है लेकिन पिछले महीनों हुए भाजपा के फेर बदल के चलते ओबीसी भाजपा में तो जा ही रहा है वहीं ब्राह्मण समाज के लोग सोनीपत से ब्राह्मण को टिकट देने पर यही कह रहा है कि कांग्रेस ने सोनीपत से क्यों ब्राह्मण को टिकट दिया है ये ब्राह्मण समाज को सीमित करने की चाल है। ऐसे में सार यही है सतपाल ब्रह्मचारी को केवल और केवल हुड्डा समर्थकों का सहारा है और ये वे समर्थक है जो हुड्डा को खुद नही जितवा पाये तो ब्रह्मचारी को कैसे गंगा पार करवा पायेगे। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या ब्रह्मचारी हुड्डा की नाव में बैठकर दिल्ली दरबार में पहुंचेगें या फिर हरिद्वार गंगा मैया की शरण में होगें।

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