-कमलेश भारतीय

ये भी क्या दिन हैं चुनाव के ! सपने बिखरने लगे और नेता बिछुड़ने लगे । यही तस्वीर बन रही है और सामने आ रही है । कांग्रेस पार्टी ने सपना देखा कि फिल्म स्टार संजय दत्त को करनाल से पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के सामने उतारा जाये कि संजय दत्त ने तुरंत कहा कि मेरे चुनाव लड़ने की खबर महज अफवाह ! मैं न ही किसी पार्टी में शामिल होने जा रहा हूँ और न चुनाव लड़ने ! इस तरह कांग्रेस का सुंदर सपना टूट गया ! सपना देखने के साथ ही टूट गया । जैसे पानी केरा बुदबुदा ! इधर बुलबुला बना और उधर फूट गया:!अभी एक और सपना चल रहा है कि राज बब्बर गुरुग्राम यानी मेवात वाली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को मान जायें‌ । यदि वे मान जाते हैं तो राव‌ दान सिंह और श्रुति चौधरी के दावे धरे के धरे रह जायेंगे कि नहीं ? इस तरह राजनीति का सितारों के मुंह की ओर देखना कोई अच्छी परंपरा तो नहीं !

इधर दस साल पहले पारिवारिक टूट फूट के चलते अस्तित्व में आई जननायक जनता पार्टी टूटने और बिखरने की कगार पर आ गयी है । पिछले तीस साल से चौटाला परिवार का साथ दे रहे निशान सिंह जजपा से इस्तीफा दे गये और वे जजपा के प्रदेशाध्यक्ष के पद पर शोभायमान थे लेकिन वे भारी मन से विदा हुए, यह कहते हुए कि मन का कुछ नहीं कर पा रहे थे और संभावनायें जताई जा रही हैं कि वे अशोक अरोड़ा के माध्यम से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस का हाथ थाम सकते हैं । डाॅ अजय चौटाला हैरान हैं कि कभी निशान सिंह ने कुछ भी नहीं कहा । अब पारिवारिक टूट के बावजूद ऐसी बात भी सामने आ रही है कि यदि बड़े चौटाला यानी पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला पहल करें एकता की, तो विचार कर सकते हैं ! जिस तरह से पूर्व‌ उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का गांवों में जाने पर विरोध हो रहा है, वह भी काफी विचारणीय है । ‌अब पहल कौन करेगा ? क्यों करेगा ? बड़े चौटाला तो अस्पताल में भर्ती हैं ! जजपा को अभी और राजनीतिक बिखराव झेलना है । लोकसभा चुनाव प्रत्याशी उतारने के साथ इस बिखराव को रोकने पर भी मंथन करना होगा ।

वैसे इस लोकसभा चुनाव के शुरू होते ही सबसे पहले जिंदल परिवार ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा। नवीन जिंदल को कुरूक्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी बना कर रण में उतारा गया । हिसार में जिंदल‌ हाउस पर तिरंगा उतर गया और भाजपा का झंडा लहराने लगा है । आज ही भाजपा से त्यागपत्र देने वाले चौ बीरेंद्र सिंह अपनी धर्मपत्नी संग दिल्ली में कांग्रेस में घर वापसी करेंगे ।

इस तरह अभी सपने बन रहे हैं, देखे जा रहे हैं और टूट भी रहे हैं और बिखर भी रहे हैं ! जब तक टिकटों का बंटवारा नहीं हो जाता तब तक यह टूट फूट और बिखराव जारी रहेगा !

कौन किसे अच्छा लगने लगे
और किसका सपना टूटने लगे
कुछ कह नहीं सकते!
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी। 9416047075