वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक मुरथल : ओशोधारा नानक धाम मुरथल के संस्थापक समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने ऑनलाइन धर्म चक्र की 148 श्रृंखला में ओंकार का महत्त्व साधकों को बताया कि ओंकार स्वयं ब्रह्म है। ओंकार को ऋषि मुनियों और अन्य धर्मों में अनाहत, नाद,नाम ,राम, बाणी ,सदा ऐ आसमानी, लागोस , ॐ आदि नामों से बताया है। गुरु नानक देव जी ने एक ओंकार सतनाम कहा है। नानक नाम जहाज है चढ़े सो उतरे पार। सम्पूर्ण विश्व में सनातन धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है । सनातन धर्म में ध्यान और ओंकार का बहुत महत्व है। ओंकार से दूर होते जाना नर्क है और ओंकार के पास आना स्वर्ग है। ओंकार से जुड़ना ध्यान है और ओंकार के साथ एक होना ही समाधि है। बिनु सत्संग विवेक ना होई , राम कृपा बिना सुलभ न सोई। ध्यान से प्रज्ञा बढ़ती है और प्रज्ञा से ध्यान बढ़ता है। सनातन धर्म में वैज्ञानिकता समाहित है मानो मत जानो। अनुभवी जीवित सद्गुरु के सानिध्य में ही आत्मा और परमात्मा के विभिन्न आयाम जैसे नाद, नूर, अमृत,शब्द, ऊर्जा , दिव्य, आत्मज्ञान, आनंद, प्रेम, अद्वैत, कैवल्य, निर्वाण , सहज, चैतन्य, अभय , परमपद और सच्चिदानंद आदि के अनुभव हो सकते है अन्यथा प्राणी बिना सद्गुरु के आध्यात्म पथ में भटक ही जाता है। सभी राज्य संयोजकों को कार्य भार अच्छे प्रयास, सफलता और निष्ठा पूर्वक करने हेतु बधाई दी। ओशोधारा मैत्री संघ हिमाचल प्रदेश के संयोजक आचार्य डा. सुरेश मिश्रा ने बताया कि 21 विभिन्न स्थानों पर 600 से ज्यादा साधकों ने ध्यान योगा कार्यक्रम में ओंकार दीक्षा समर्थुरु सिद्धार्थ औलिया जी से ऑनलाइन प्राप्त की और साधकों ने अहोभाव प्रकट किया। Post navigation परमात्मा का नाम मुक्ति की युक्ति हैं : कंवर साहेब यह चुनाव विकसित भारत के लिए: डा. सतीश पूनिया