बांगर की धरती से बदलते हैं हरियाणा के सियासी समीकरण, एक बार के चुनावों में केंद्र बिंदु बनेगा जींद अशोक कुमार कौशिक देश की राजनीति को नई दिशा देने वाला हरियाणा पहलवानों और भारतीय कुश्ती संघ के पदाधिकारियों के दंगल के दौरान पूरे देश में चर्चित रहा। इनके दांव-पेचों से खेलों का माहौल तो गर्म रहा है। कभी देवी लाल के समय एसवाईएल को लेकर न्याय युद्ध करने वाला हरियाणे में अब वसंत बीतते ही हरियाणा में एक और दंगल सज गया है। हरियाणा की बांगर बेल्ट शुरू से ही प्रदेश की राजनीति की दिशा और दशा तय करती आई है। यहां के कद्दावर नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह सियासत के केंद्र बिंदु रहे हैं। 10 साल पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाकर उन्होंने कांग्रेस को इस बेल्ट में खासा नुकसान पहुंचाया था। उनके सांसद बेटे बृजेंद्र सिंह ने रविवार को साढ़े नौ साल बाद घर वापसी कर ली है। चौधरी बीरेंद्र सिंह भी अपनी पूर्व विधायक पत्नी के साथ कांग्रेस में दोबारा सियासी पारी खेलते नजर आएंगे। बेटे व उनके इस कदम से बांगर की धरती एक बार फिर आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका निभाती दिखेगी। चुनावी दंगल!! सियासत के अखाड़े का माहौल बदलने वाला है। राजनीति के अखाड़े में कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता। पड़ोसी राज्य पंजाब में एक-दूसरे के सामने प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस ने हरियाणा में एक टीम बनकर भाजपा से मुकाबला करने के लिए हाथ मिला लिए हैं। कांग्रेस ने कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट आम आदमी पार्टी को दे दी है। कांग्रेस और आप ने चंडीगढ़, दिल्ली और गुजरात में भी गठबंधन किया है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा ) के साथ राज्य की सत्ता में सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जजपा) एनडीए में तो शामिल है, लेकिन लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर फैसला नहीं हुआ है। जजपा ने भाजपा के साथ गठबंधन के लिए कमेटी बनाई है। 2014 के चुनावों में सात सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा ने 2019 में सभी दस सीटों पर जीत हासिल कर सभी को चारों खाने चित्त कर दिया था, इस बार दंगल में कहां-किसकी पीठ लगती है, इस पर सबकी निगाहें रहेंगी। भाजपा : मोदी का चेहरा, मनोहर का भरोसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के भरोसे पर भाजपा एक बार फिर सभी दस सीटों पर कमल खिलाना चाहती है। किसानों के आंदोलन और फसल बीमा भुगतान में देरी से किसान वर्ग में पार्टी को कुछ मुश्किलें आ सकती हैं, लेकिन सरकारी नौकरियों का पिटारा मनोहर लाल के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकता है। पार्टी रोहतक, कुरुक्षेत्र और करनाल लोकसभा क्षेत्र में प्रत्याशी बदलने के मूड में है। इन सीटों वर्तमान सांसदों को या तो दूसरी संसदीय क्षेत्रों से उतारा जा सकता है या फिर उन्हें विधानसभा चुनाव के दंगल के लिए रिजर्व कर लिया जाए। फिर उन्हें विधानसभा चुनाव के दंगल के लिए रिजर्व कर लिया जाए। रतनलाल कटारिया के निधन से अंबाला सीट पर नया प्रत्याशी आना स्वाभाविक है। जजपा के साथ गठबंधन को लेकर भी पार्टी ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। हालांकि अभी तक पार्टी के कई बड़े नेताओं का मानना है कि भाजपा को हरियाणा में गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ना चाहिए, लेकिन इस पर अंतिम मुहर पार्टी हाईकमान लगाएगा। भाजपा प्रदेश नेतृत्व ने हरियाणा की सभी दस सीट पर संभावित उम्मीदवारों का पैनल हाईकमान को भेज रखा है। पार्टी कम से कम दो महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतार सकती है। हालांकि भाजपा राज्य में दस साल से सत्ता में है इसलिए एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर से इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन मोदी नाम के सहारे नैया पार लगाने की पार्टी की पूरी कोशिश रहेगी। कांग्रेस : फ्री-हैंड हुड्डा पर नतीजा देने का दबाव हरियाणा में बिना संगठन के चुनाव मैदान में उतरी कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को फ्री हैंड दे रखा है। पार्टी के हर फैसले में उनका दखल रहता है। वहीं, एसआरके (सैलजा, रणदीप, किरण) गुट से हुड्डा गुट की दूरियां भी जगजाहिर हैं। कांग्रेस इस बार आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है और नौ सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। कांग्रेस हाईकमान अपने सभी दिग्गज नेताओं को पहले लोकसभा चुनाव में उतारना चाहती है। प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया की रिपोर्ट के आधार पर हाईकमान का मानना है कि भाजपा को टक्कर देने के लिए सभी नौ सीटों पर मजबूत और पुराने चेहरों को उतारा जाएगा। कांग्रेस भी इस बार कम से कम दो सीटों से महिला प्रत्याशियों को उतार सकती है। कांग्रेस को मनोहर सरकार की एंटीइंकम्बेंसी से फायदा मिलने की आस है। कांग्रेस के नेताओं में चल रही कशमकश ही पार्टी की सबसे बड़ी समस्या है। ऊपर से संगठन पूरा खड़ा न होने के कारण निचले स्तर के कार्यकर्ता तक वह करंट नहीं है जैसा होना चाहिए। विपक्ष के तौर पर पार्टी के दोनों गुटों के अलग-अलग रैलियां व कार्यक्रम होते रहने से कार्यकर्ता इत-उत डोल रहे हैं। इसलिए पिछले लोकसभा चुनाव में हरियाणा में शून्य पर ही रही कांग्रेस का प्रदेश में परचम लहराना एक बार फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के लिए आसान नहीं होगा। टिकटों के बंटवारे में भी अभी दोनों गुटों में रस्साकशी होने की पूरी संभावना है। इनेलोः पिता-पुत्र को रुतबा बहाली की दरकार 2014 के लोकसभा चुनाव में दो सीटें जीतने वाले इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को उसके बाद निराशा ही हाथ लगी है। इनेलो से टूटकर जननायक जनता पार्टी (जजपा) जब से बनी है तब से इनेलो अपनी पुरानी कद-काठी खो चुकी है। नेता भी बंट गए तो कार्यकर्ता भी और पार्टी हल्की हो गई। अभी विधानसभा में भी उसका एक ही सदस्य है। इसलिए उसके लिए इस चुनाव में संजीवनी तलाशनी है जिससे कि आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ऊर्जित हो सके। इसलिए उसकी तैयारियां जोरों पर हैं। इनेलो बीते दो-तीन महीनों में अलग-अलग जिलों में सम्मेलन करने के साथ ही पार्टी संगठन का भी विस्तार कर चुकी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला व प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला काफी समय से फील्ड में सक्रिय हैं लेकिन कुछ दिन पहले उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष नफे सिंह राठी की हत्या से पार्टी की तैयारियों को झटका लग गया। शुक्रवार को जींद में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा नहीं हुई। लोकसभा चुनाव से पहले इनेलो ने अपने कद्दावर नेता को खोया है। राठी की झज्जर-बहादुरगढ़ के साथ सोनीपत और रोहतक क्षेत्र में खासी पकड़ थी। उम्मीदवारों के चयन के लिए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रकाश भारती की अध्यक्षता में पांच सदस्यों की कमेटी बनाई जा चुकी है। चर्चा है कि पार्टी अभय चौटाला के बेटे अर्जुन को लोकसभा चुनाव में उतार सकती है। आप : सुप्रीमो के सूबे में हाथ के सहारे दो पड़ोसी राज्यों दिल्ली व पंजाब में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी अपने सुप्रीम अरविंद केजरीवाल के राज्य हरियाणा में भी गुल खिलाने के लिए पसीना बहा रही है। असल लक्ष्य तो विधानसभा चुनाव है लेकिन लोकसभा चुनाव के अखाड़े में भी दम ठोंकने से वह पीछे नहीं रही। पंजाब में हालांकि कांग्रेस के साथ दो-दो हाथ है लेकिन हरियाणा में हाथ के सहारे है। कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी ने कुरुक्षेत्र से अपने प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता को प्रत्याशी घोषित किया है। पार्टी ने सुशील गुप्ता को प्रत्याशी तो फरवरी के अंतिम सप्ताह में घोषिच किया है, लेकिन चुनावी तैयारियां कई महीनों पहले शुरू कर दी थीं। बैठकें और जनसंपर्क के साथ पार्टी ने अपने पंजाब के दस मंत्रियों को एक-एक लोकसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी भी दी थी। आम आदमी पार्टी का मुख्य फोकस पंजाब से जुड़े हरियाणा के क्षेत्रों पर है। पार्टी जीत से ज्यादा अपना वोट बैंक बढ़ाने पर जोर दे रही है। पिछले दिनों चुनावी तैयारियां परखने कुरुक्षेत्र आए पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) और राज्यसभा सांसद डॉ. संदीप पाठक ने दावा किया आम आदमी पार्टी कुरुक्षेत्र में जीत के साथ हरियाणा में खाता खोलेगी। पार्टी ने पिछले काफी समय से जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता तैयार किए हैं, कई मुद्दों पर सरकार को घेरा भी है लेकिन कमी यह है कि कोई दमदार चेहरा उसके पास नहीं जैसे अन्य के पास हैं। जजपा : गठबंधन पर पसोपेश लोकसभा चुनाव में गठबंधन को लेकर भाजपा के पत्ते न खोलने से जजपा की चुनावी तैयारियां अभी तक रफ्तार नहीं पकड़ पाई हैं। हालांकि पार्टी भिवानी-महेंद्रगढ़ और हिसार में से एक सीट पर भाजपा के साथ गठबंधन कर अपना प्रत्याशी उतारना चाहती है। पार्टी प्रमुख अजय चौटाला भिवानी महेंद्रगढ़ सीट से 1999 में चुनाव जीतकर संसद भवन पहुंच चुके हैं। इसके अलावा दुष्यंत चौटाला ने 2014 में इनेलो के टिकट पर हिसार से लोकसभा चुनाव जीता था और सबसे कम उम्र के सांसद बने थे। 2019 के चुनाव में जजपा का जन्म हुआ था। हालांकि पहले चुनाव में जजपा ने सीट तो एक भी नहीं जीती, लेकिन दुष्यंत चौटाला के युवा नेतृत्व में करीब दो फीसदी मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में सफल रही। इसका लाभ पार्टी को विधानसभा चुनाव में मिला और दस सीटें जीत कर दुष्यंत ने सत्ता की चाबी हासिल कर ली। हरियाणा के बाहर पार्टी का विस्तार करने के लिए जजपा ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी हाथ आजमाए, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब पार्टी नेतृत्व लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी उतार कर राष्ट्रीय राजनीति में शामिल होना चाहता है, लेकिन भाजपा नेतृत्व के गठबंधन पर फैसला न लेने से पसोपेश में है। बीते दिनों करनाल में हुई बैठक के बाद जजपा ने एनडीए के साथ गठबंधन पर फैसला लेने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाई है। यह कमेटी सात दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी। पाला बदलने से बदलेंगे समीकरण कई नेताओं के दल बदलने से हरियाणा में चुनावी समीकरण 2019 की तुलना में बदल जाएंगे। 2019 में कांग्रेस के विधायक कुलदीप बिश्नोई इस बार भाजपा के पाले में हैं। बिश्नोई समाज के वोटबैंक पर उनकी खासी पकड़ है। इसके अलावा सिरसा संसदीय क्षेत्र से 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर 4 लाख से ज्यादा मत हासिल करने वाले अशोक तंवर में भाजपा में शामिल हो चुके हैं। पिछली बार आम आदमी पार्टी के साथ गठबंध में सात सीटों पर चुनाव लड़ने वाली जजपा भाजपा के साथ गठबंधन कर राज्य की सत्ता में शामिल है। नेताओं के लिए लॉन्चिग पैड रही जींद की धरती 1986 में कांग्रेस की बंसीलाल सरकार के खिलाफ चौ. देवीलाल ने न्याय युद्ध जींद से शुरू किया था। इसका असर ये रहा कि 1987 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता दल-भाजपा गठबंधन को 90 में से 85 सीटें मिली थी। चौ. बंसीलाल ने 1995 में हरियाणा विकास पार्टी की बड़ी रैली की थी, जिसके बाद प्रदेश में उनकी लहर बनी और 1996 में वह सत्ता तक पहुंचे थे। वहीं, कंडेला कांड के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 2002 में जींद से किसान पदयात्रा शुरू की थी, जिसके बाद 2005 में वह सीएम की कुर्सी तक पहुंच गए थे। 2014 के विधानसभा चुनाव से पहले भी भाजपा ने जींद में बड़ी रैली की थी, जिसमें अमित शाह भी पहुंचे थे। प्रदेश के मध्य में पड़ने वाले जींद से उठने वाली राजनीतिक आवाज का पूरे प्रदेश में असर पड़ता है। इनेलो का शुरू से ही जींद गढ़ रहा है, खुद ओमप्रकाश चौटाला नरवाना से विधायक बनकर सीएम बने थे। इसके बाद, इनेलो टूटने के बाद जजपा ने भी 9 दिसंबर, 2018 को इसी बांगर की धरती से नई शुरुआत की थी और सत्ता की चाबी उनके हाथ लगी। उचाना से विधायक दुष्यंत सरकार में डिप्टी सीएम हैं। पुरानों के साथ नए दलों को भी जींद से ही आस इस धरती की ताकत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि हरियाणा में राजनीतिक जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी खुद यहां पर दो बड़ी रैली कर चुकी है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान यहां के लोगों से सीधे रूबरू हो चुके हैं। वहीं, महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने अपनी नई पार्टी हरियाणा जनसेवक पार्टी का आगाज भी जींद से किया और लगातार इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। 2019 में हरियाणा में दलीय स्थिति सभी दस सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की 2019 में हरियाणा के 10 लोकसभा क्षेत्रों की स्थिति संसदीय क्षेत्र सांसद ……….. अंबाला स्व. रतनलाल कटारिया (भाजपा) कुरुक्षेत्र नायब सैनी (भाजपा) करनाल संजय भाटिया (भाजपा) सिरसा सुनीता दुग्गल (भाजपा) हिसार बृजेंद्र सिंह (भाजपा) भिवानी-महेंद्रगढ़ धर्मवीर सिंह (भाजपा) रोहतक डॉ. अरविंद शर्मा (भाजपा) सोनीपत रमेश कौशिक (भाजपा) फरीदाबाद कृष्णपाल गुर्जर (भाजपा) गुरुग्राम राव इंद्रजीत सिंह (भाजपा) सियासी दलों को मिले मत दल मत प्रतिशत भाजपा 58.21 कांग्रेस 28.51 जजपा+आप 4.9 बसपा 3.65 इनेलो 1.9 अन्य 2.50 नोटा 0.33 2014 में हरियाणा में दलीय स्थिति भाजपा 7 इनेलो 2 कांग्रेस 1 Post navigation नगर परिषद नारनौल में फैले भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच हो: छक्कड़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की मुख्यमंत्री मनोहर लाल के विकासात्मक दृष्टिकोण की सराहना