*उच्च न्यायालय के आदेशों बाबत सूचनाओं के आभाव में फंसेंगे अभिभावक तो जिम्मेवार कौन ? माईकल सैनी (आप) *हजारों बच्चों के भविष्य को अंधकारमय होने से बचाने वास्ते सरकार की क्या है योजना ? माईकल सैनी (आप) गुरुग्राम 3 मार्च 2024 आम आदमी पार्टी नेता माईकल सैनी ने हजारों बच्चों के शिक्षा से महरूम हो जाने पर चिंता जताते हुए कहा कि कुकुरमुत्तों की तरह फैले निजी स्कूलों के जाल में फंसकर पहले ही अभिभावकों का तेल निकल चुका है, जैसे-तैसे जीवनयापन कर अपनी आजीविका का बड़ा हिस्सा चुकाते ही आ रहे हैं मान्यता प्राप्त स्कूलों से एक प्रकार का करार कर अर्थात फ्रेंचाइजी लेकर आलीशान इमारतों में शिक्षा की दुकानें चलाने वालों के हाथों, जिनपर अंकुश लगाना सरकार का काम है परन्तु ठीक उसकी नांक के नीचे चल रहे यह निजी स्कूल्स इतने माहिर हैं कि उल्टे सरकार को ही आंखे तरेर अपने निर्णय मनवा लेते हैं ! खैर. अब माननीय उच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लेते हुए गैर मान्यता प्राप्त इन निजी स्कूलों के न्यू एडमिशन पर पाबंदी लगा दी गई है मगर जिसकी सूचना देना शासन-प्रशासन का नैतिक कर्तव्य बनता है उन्होंने उपरोक्त जानकारी बारे अभितल्क लोगों को जानकारी नहीं दी है ऐसे में सवाल उठता है कि यदि अभिभावकों ने अग्रिम फीस जमा करा चुके हैं वो पैसा उन्हें कैसे वापस मिलेगा दूसरे वह लोग जिनके बच्चों का एडमिशन अभिहाल होना है उनके लिए हरियाणा में भाजपा की खट्टर सरकार ने क्या व्यवस्था की सवाल यह है ? माईकल सैनी ने हरियाणा सरकार पर शिक्षा का बजट घटाने का आरोप लगाते हुए कहा कि खट्टर सरकार ने प्रदेश भर में नई शिक्षानीति लागू करने का जुमला तो छोड़ा मगर जो बजट मौजूदा स्कूलों के रखरखाव (मरम्मत) कराने के लिए भी नाकाफी सिद्ध हो रहा है बल्कि अधिकांश भाग शिक्षकों व सहायकों की सैलरी में ही खप जा रहा है, जिसकारण शिक्षकों की भर्तीयां लंबित पड़ी हैं, जहां शौचालयों तक की व्यवस्था नहीं हो सकी हो वहां नए स्कूलों के बनने की कल्पना करना भी हास्यास्पद नहीं तो क्या ? बात शिक्षा विभाग की करें तो कई निजी स्कूल तो इतने प्रभावी है कि उनके स्कूलों में अधिकारीयों का प्रवेश भी बमुश्किल हो पाता है और यह हाल तो तब है जब्कि नियमों की पालना करना इनके लिए जरूरी नहीं समझते हैं , ऐसे में कार्यवाही कैसे क्या और कितनी कर सकते हैं अधिकारी इस बात का अनुमान लगाने में आप सक्षम हैं ! माईकल सैनी कहते हैं कि सरकार के अधिकारियों का काम दिशानिर्देशों की पालना एवं सूचनाओं से आमजन को अवगत कराना है लेकिन माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जारी आदेशों की जानकारी देना भी जरूरी नहीं समझना स्थानीय प्रशासन के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार की ओर इशारा करता है ! Post navigation हमारी खामोशी ही, हमारी सहमतियां बन रही – अलका लांबा निर्वाचन विभाग बैंक शाखाओं व पोस्ट आफिस के माध्यम से चलाएगा मतदाता जागरूकता अभियान- डीसी