संयुक्त पंजाब व राजस्थान के बीच 1966 में हुए समझौते अनुसार साबी, कृष्णावती व दोहन नदी का पानी हरियाणा को मिलना चाहिए ताकि अहीरवाल के रेवाडी, महेन्द्रगढ़, गुडगांव जिले के भू-जलस्तर को ऊपर उठाने के लिए उस पानी का प्रयोग किया जा सके : विद्रोही
कांग्रेस की भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सरकार ने पहली बार अहीरवाल में पानी पहुंचाने के लिए 400 करोड़ रूपये की लागत से हांसी-बुटाना मेन ब्रांच नहर बनाई, लेकिन 2014 में भाजपा सरकार बनने के बाद वह प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में चला गया :  विद्रोही
राजस्थान को हरियाणा का बाढ का फालतू पानी देने की बजाय भाजपा सरकार इस पानी को दक्षिणी हरियाणा में पहुंचाये व राजस्थान को 1966 के समझौते अनुसार साबी, कृष्णावती व दोहन नदी का पानी देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य करे : विद्रोही

29 फरवरी 2024 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि पिछले 50 सालों से दक्षिणी हरियाणा-अहीरवाल की जनता मांग करती आ रही है कि संयुक्त पंजाब व राजस्थान के बीच 1966 में हुए समझौते अनुसार साबी, कृष्णावती व दोहन नदी का पानी हरियाणा को मिलना चाहिए ताकि अहीरवाल के रेवाडी, महेन्द्रगढ़, गुडगांव जिले के भू-जलस्तर को ऊपर उठाने के लिए उस पानी का प्रयोग किया जा सके। विद्रोही ने कहा कि संयुक्त पंजाब व राजस्थान के बीच साबी, कृष्णावती व दोहन नदी के पानी के समझौते को 58 साल हो चुके है और इन 58 सालों में हरियाणा में सभी दलों की सरकारे आई और गई, पर किसी भी सरकार ने 1966 के समझौते को लागू करवाना तो दूर, इस पर कभी गंभीरता से राजस्थान सरकार से बात तक नही की। हरियाणा सरकारों की उपेक्षा के चलते 1978 के बाद साबी, कृष्णावती व दोहन नदी का एक बंूद पानी भी दक्षिणी हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र में नही आया जिसके चलते इस क्षेत्र का भू-जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है।  

विद्रोही ने कहा कि हरियाणा सरकारों की अहीरवाल क्षेत्र के प्रति उपेक्षापूर्ण व्यवहार के कारण राजस्थान ने साबी, कृष्णावती व दोहन नदी पर विभिन्न छोटे-छोटे बांध बनाकर इन नदियों का सारा बरसाती पानी रोक लिया है। अहीरवाल की ओर से मैं स्वयं विगत 35 सालों सेे विभिन्न सरकारों व मुख्यमंत्रीयों के समक्ष व्यक्तिगत रूप से मिलकर व अखबारों के जरिये इस मुददे को उठाता रहा हूं, पर किसी के कान पर जूं तक नही रेंगी। हरियाणा में कांग्रेस, जनता पार्टी, लोकदल, इनेलो, जनता दल, हाविपा, भाजपा सहित सभी दलों की सरकारे रही और आज विभिन्न दलों के सभी प्रमुख नेता कभी न कभी सत्ता में रहेे है, लेकिन किसी भी नेता ने कभी भी 1966 के समझौते अनुसार राजस्थान से साबी, कृष्णावती व दोहन नदी से हरियाणा के हिस्से का पानीे लेने के लिए नाममात्र का भी प्रयास नही किया और न ही हरियाणा में उपलब्ध नहरी पानी को दक्षिण हरियाणा अहीरवाल क्षेत्र में लाने का प्रयास किया। कांग्रेस की भूपेन्द्र सिंह हुड्डा सरकार ने पहली बार अहीरवाल में पानी पहुंचाने के लिए 400 करोड़ रूपये की लागत से हांसी-बुटाना मेन ब्रांच नहर बनाई, लेकिन 2014 में भाजपा सरकार बनने के बाद वह प्रोजेक्ट भी ठंडे बस्ते में चला गया।  

विद्रोही ने कहा कि अब भाजपा ने हरियाणा में बाढ़ के फालतू पानी को हथनी कुंड बैराज से . किया है, लेकिन 1966 के समझौते अनुसार साबी, कृष्णावती व दोहन नदी का पानी राजस्थान हरियाणा को दे, इस पर चर्चा तक नही की जो बताता है कि भाजपा सरकार अहीरवाल के सरोकारों के प्रति किस तरह भेदभावपूर्ण सौतेला व्यवहार कर रही है। विद्रोही ने मांग की कि राजस्थान को हरियाणा का बाढ का फालतू पानी देने की बजाय भाजपा सरकार इस पानी को दक्षिणी हरियाणा में पहुंचाये व राजस्थान को 1966 के समझौते अनुसार साबी, कृष्णावती व दोहन नदी का पानी देने के लिए कानूनी रूप से बाध्य करे।  

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