कैथल, 28/02/2024 –  जन शिक्षा अधिकार मंच का एक प्रतिनिधि मंडल संयोजक जयप्रकाश शास्त्री व रिटायर्ड कर्मचारी संघ के जिला प्रधान रमेश हरित की अध्यक्षता में उपायुक्त महोदय कैथल श्रीमान प्रशांत पंवार व पुलिस अधीक्षक महोदया श्रीमती उपासना यादव से मिला। दोनों अधिकारियों ने बहुत ही सौहार्दपूर्ण पूर्ण वार्तालाप की और जल्द ही सुरेश द्रविड़ से संबंधित मामले को निपटान कर दिया जाएगा और सकारात्मक टिप्पणियों के साथ उच्च अधिकारीयों को भेज दिया जाएगा,इस संबंध में उच्च अधिकारीयों का भी सकारात्मक रुख है। दोनों अधिकारियों से मिलने के उपरांत जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल के संयोजक जयप्रकाश शास्त्री और सहसंयोजक बलबीर सिंह ने यह जानकारी धरने पर उपस्थित साथियों को दी।

जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल द्वारा जारी अनिश्चितकालीन धरना आज 520 वें दिन भी जारी रहा ,जन शिक्षा अधिकार मंच कैथल ने भी सकारात्मक रुख के लिए जिला प्रशासन का धन्यवाद किया,जिला उपायुक्त महोदय कैथल व पुलिस अधीक्षक महोदया कैथल से मुलाकात के पश्चात जन शिक्षा अधिकार मंच के पड़ाव स्थल पर एक बैठक भी आयोजित की गई, बैठक में निर्णय लिया गया कि 5 दिन बाद पुलिस अधीक्षक महोदया से पुनः बातचीत की जाएगी। आज इस अवसर पर सहसंयोजक बलबीर सिंह ने कहा कि हमारा आंदोलन जनहित में है,हम देश में सच्चा और वास्तविक लोकतंत्र चाहते हैं,जब लोकतंत्र की बात आती है तो विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक प्रमुख मूल्य है,जो हमारी संवैधानिक योजना और नैतिकता के तहत सबसे महत्वपूर्ण है।

रिटायर्ड कर्मचारी संघ के जिला प्रधान रमेश हरित ने कहा कि जून 2014 में अपने कार्यालय में कहा था कि “अगर हम भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी नहीं दे सकते तो हमारा लोकतंत्र कायम नहीं रहेगा।”दरअसल, अभिव्यक्ति की आजादी इतनी गहरी है कि अमर्त्य सेन की 2005 की किताब,द आर्गुमेंटेंटिव इंडियन, आज भी उतनी ही प्रासंगिक बनी हुई है। मौजूदा सरकार को और देश के प्रधानमंत्री को इस ओर ध्यान देना चाहिए।रमेश हरित ने यह भी कहा कि शिक्षक नेता सुरेश द्रविड़ पर दर्ज एफआईआर 23 सितंबर 2022 को दर्ज की गई, जबकि सर्वोच्च न्यायालय इससे पहले ही राजद्रोह के मुकदमे दर्ज करने पर 11 मई 2022 को ही एक आदेश द्वारा रोक लगा चुका था लेकिन जिला प्रशासन कैथल ने इसके बावजूद सुरेश द्रविड़ पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया।

केंद्र सरकार नये कानूनों को एक जुलाई से लागू करने की घोषणा कर चुकी हैं,नये कानून भी शिक्षक नेता सुरेश द्रविड़ पर मौजूदा केस में लागू नहीं होंगे, इसलिए भी सुरेश द्रविड़ पर दर्ज एफआईआर ज्यादा महत्व नहीं रख पाएंगी,इसका लाभ भी शिक्षक नेता सुरेश द्रविड़ को मिलने वाला है,और जिस दौरान शिक्षक नेता सुरेश द्रविड़ पर यह एफआईआर दर्ज की गई है, उस समय में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस पर रोक थी, इसलिए इसका भी हमें लाभ होगा और जिला प्रशासन कैथल को यह एफआईआर रद्द करनी ही होगी और जिला प्रशासन यदि यह एफआईआर रद्द करता है तो हम इस संबंध में जिला प्रशासन का स्वागत करेंगे।

सुरेश द्रविड़ ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में भी याचिका दायर की हुई है, यह मामला अब 7 जजों की संवैधानिक पीठ को सौंपा गया है,इस केस में कई बड़े पत्रकार और राजनेता भी शामिल हैं, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी, वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़ियां का मुकदमा भी अब एक साथ सुनें जाएंगे,सभी केसों की एक साथ सुनवाई होती है, जल्द ही सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होंगी और इस केस में हमारी जीत होगी, यदि जिला प्रशासन पहले ही रद्द कर देता है तो हम जिला प्रशासन का स्वागत करेंगे। प्रतिनिधिमंडल में किसान नेता बलवंत धनोरी, कमलकांत वर्मा, शारीरिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान रमेश चहल, रिटायर्ड कर्मचारी नेता बलवंत जाटान, बलवंत रेतवाल, बलबीर सिंह, राहुल कुमार, जयप्रकाश शास्त्री, रमेश हरित, सुरेश द्रविड़ आदि भी शामिल थे।