पीडि़त परिवार के पुनर्वास के लिए 10 लाख रुपए का मुआवजा देने के भी दिए आदेश

गुडग़ांव, 21 फरवरी (अशोक): अबोध बालिका से दुष्कर्म कर उसकी नृशंस हत्या कर देने के मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शशि चौहान की अदालत ने बुधवार को पुख्ता सबूतों व गवाहों के आधार पर आरोपी को पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी करार देते हुए मृत्युदंड व जुर्माना की सजा सुनाई है और पीडि़ता के परिवार के पुनर्वास के लिए 10 लाख रुपए बतौर मुआवजा देने का आदेश भी दिया है।

अदालत में इस मामले की पैरवी कर रहे विशेष अभियोजक सुनील परमार से प्राप्त जानकारी के अनुसार सैक्टर 65 पुलिस थाना क्षेत्र में 11 नवम्बर 2018 को उत्तरप्रदेश मूल के एक युवक ने 3 वर्ष की अबोध बालिका के साथ दुष्कर्म कर उसकी नृशंस हत्या कर दी थी। उनका कहना है कि 3 अबोध बालिकाएं अपने घर के बाहर खेल रही थी। तभी युवक ने आकर उन्हें पैसों का लालच देकर अपने साथ चलने को कहा था। 2 अबोध बालिकाएं जाने को तैयार नहीं हुई, लेकिन एक 3 वर्षीय बालिका को कुछ खिलाने का लालच देकर वह अपने साथ ले गया था। सायं तक जब बालिका घर नहीं लौटी तो उसके माता-पिता ने उसकी खोज शुरु करते हुए थाने में शिकायत दर्ज कराई थी।

अगले दिन क्षेत्र के एक मंदिर के सामने विकृत हालत में बालिका का शव मिला था। शव पर जहां कटे के निशान थे, वहीं उसका चेहरा ईंट मारकर कुचल दिया गया था। बालिका के गुप्तांगों को भी बेहद चोट पहुंचाई गई थी। शव को देखकर लगता था कि बालिका के साथ बेहद बर्बरता की गई है। पुलिस ने पॉक्सो एक्ट व हत्या तथा दुष्कर्म करने की धाराओं में मामला दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरु कर दी थी। परमार का कहना है कि पुलिस ने भागदौड़ कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था और उसकी निशानदेही पर वारदात के समय पहने गए उसके कपड़े आदि भी बरामद कर लिए थे। तभी से आरोपी जिला जेल में बंद था। उनका कहना है कि अदालत में अभियोजन पक्ष ने पुख्ता सबूत व गवाह पेश किए। सीसीटीवी फुटैज भी अदालत में प्रस्तुत की गई, जिसमें आरोपी बालिका को ले जाता हुआ दिखाई दे रहा था। अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी पहलुओं पर विचार किया। जिसमें आरोपी दोषी पाया गया।

अभियोजन पक्ष ने अदालत से आरोपी को फांसी देने का आग्रह भी किया था। परमार का कहना है कि पुख्ता सबूतों व गवाहों के आधार पर आरोपी पर लगे आरोप साबित होना पाते हुए अदालत ने जहां फांसी की सजा दी है, वहीं आरोपी पर 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है और पीडि़त परिवार के पुनर्वास के लिए 10 लाख रुपए देने का आदेश भी दिया है। परमार का कहना है कि अदालत ने आरोपी को गत 3 फरवरी को दोषी करार दे दिया था और उसकी सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो अदालत ने बुधवार को सुना दिया। उनका कहना है कि इस प्रकार के मामलों में सख्त सजा देने से जहां अपराधियों के मन में कानून का भय पैदा होगा और वहीं देश में बच्चों के यौन शोषण के मामलों में भी कमी आएगी।

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