कमलेश भारतीय

दु:ख की बात है कि गंगा आज हृदय रोग से पीड़ित है और उससे भी बड़े दुःख की बात कि इसका उपचार कर रहे हैं ब्यूटी पाॅर्लर ! हमें अपनी नदियों को प्यार करना चाहिए क्योंकि हमारी सभ्यता का जन्म नदियों के किनारे ही हुआ । हम जितना ज्यादा अपनी नदियों को प्यार करेंगे, उतनी ही यह धरती खूबसूरत होती जायेगी ।

यह कहना है देश भर में ‘वाटर मैन’, ‘जल योद्धा’ और ‘जौहड़ बाबा’ आदि नामों से चर्चित राजेन्द्र राणा का ! वे आज गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के सभागार में पर्यावरण विज्ञान व तकनीक विभाग की ओर से आयोजित ‘ ग्लोबल वार्मिंग’ पर एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे । उन्होंने कहा कि नीर, नदी और नारी सभी जननी हैं और सारी सभ्यतायें इनके ऊपर ही निर्भर हैं ।

अभी मनाये गये अमृत महोत्सव पर श्री राणा ने कहा कि मेरे लिए देश का संविधान और स्वतंत्रता दो ही अमृत हैं और मैं चाहता हूँ कि नदियों को अमृत वाहिनी बनाना चाहिए । श्री राणा ने यह भी कहा कि राज, समाज और संत जब एक ही दिशा में काम करते हैं, तब उस काम की सफलता अवश्यंभावी है!

विश्व‌ के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों में से एक व गुजवि के कुलपति प्रो नरसी राम बिश्नोई के आमंत्रण पर श्री राणा अतिथि वक्ता के रूप में आमंत्रित थे । इस कार्यक्रम का श्रेय एक प्रकार से प्रो बिश्नोई को ही जाता है। श्री राणा ने अपने जल आंदोलन की जानकारी बीच बीच में देते चेतावनी दी कि तृतीय विश्व युद्ध का एक ही कारण बनेगा और वह होगा – पानी ! इस पानी के चलते ही अनेक विवाद हो रहे हैं और यदि यह समस्या हल हो जाये तो थरती जीने लायक बन जाये । श्री राणा ने एक कविता के माध्यम से बात रखते कहा :

बादल आते तो हैं मेरे गांव में
पर बरसते नहीं
मेरा बेटा
अपनी पत्नी और बच्चों को
शहर ले गया है
मैं बुढ़िया अपना बुढ़ापा कैसे बिताऊंगी ?

श्री राणा ने कहा कि अन्न, जल‌ और वायु शुद्ध होने चाहिएं और भगवान् को भगवान् बनाने वाला पानी ही है ! जौहड़ बाबा ने बताया कि वे तो आयुर्वेद डाॅक्टर थे लेकिन उनके अनपढ़ गुरु ने उन्हें दवाइयों का डाॅक्टर बने रहने की बजाय थरती का डाॅक्टर बनने को कहा । पच्चीस कुओं से मुझे पानी की स्थिति से अवगत करवाया । इस तरह आजीवन पानी के काम को समर्पित कर दिया। ‘जल बिरादरी’ बना कर आंदोलन चलाये और जल संरक्षण के नये नये तरीके इजाद किये । अब जल आंदोलन से गांवों से पलायन रुक गया है और बच्चे शहरों की ओर‌ नहीं भागते ! जल संरक्षण ने रोज़गार भी दिया । श्री राणा ने सफलता का मंत्र बताया कि जिस काम को चुनो, उसके लिए पागलपन की हद तक काम करो, सफलता अवश्य मिलेगी ।

एक सवाल के जवाब में श्री राणा ने कहा, कि वे किसान आंदोलन को नैतिक समर्थन देना पसंद करेंगे । हरियाणा सरकार की सरस्वती नदी की खोज पर कहा, कि किसी भी नदी का नाम सभ्यता से जुड़ा है और इसे सरस्वती सभ्यता से जाना जाता था । अब इस पर विकास की इतनी परत चढ़ गयी है कि इसे खोजने में समय लग रहा है । उन्होंने लगातार यह संदेश दिया कि जब तुम धरती को प्यार करने लगते हो तब धरती का चेहरा खूबसूरत बन जाता है । यह बहुत ही प्रभावशाली व्याख्यान था, जिसमें बंध कर लगातार दो घंटे से अधिक समय तक कोई सभागार से बाहर नहीं गया।

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