दिल्ली पहुंच रहे हजारों किसान, लेकिन इस बार आंदोलन से दूर क्यों हैं राकेश टिकैत? बीकेयू नेता ने खुद ही बताई वजह

संयुक्त किसान मोर्चा दूर, चढूनी गुट भी शामिल नहीं…

जानिए कौन हैं इस बार किसान आंदोलन करने वाले संगठन

अशोक कुमार कौशिक 

अपनी मांगों को लेकर हरियाणा और पंजाब से हजारों किसान दिल्ली आ रहे हैं। किसानों को रोकने के लिए दिल्ली की सीमाएं सील कर दी गई हैं। पंजाब के किसान हजारों की संख्या में दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं। 13 फरवरी को किसान संगठनों ने ‘चलो दिल्ली’ विरोध मार्च का ऐलान किया है। ऐसे में पंजाब-हरियाणा की शंभू बॉर्डर पर हालात बेकाबू होते नजर आ रहे हैं।

हजारों की संख्या में किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में सवार होकर दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं।

देश में एक बार फिर से किसान आंदोलन होने जा रहा है। भारी लवाजमे के साथ किसान आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर संगठन सहित सैकड़ों किसान संघों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कानून बनाने सहित कई मांगों को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।

इस बीच किसानों के आंदोलन 2.0 पर एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक अकेले पंजाब से किसानों के विरोध प्रदर्शन के लिए 1500 ट्रैक्टर और 500 वाहन जुटाए गए हैं, इन वाहनों में छह महीने का भोजन, राशन और रसद भरा हुआ है। इतना ही नहीं रात को रुकने के लिए टैंट में साथ लेकर आ रहे हैं।

इससे पहले किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक सोमवार देर रात बिना किसी समाधान के समाप्त हो गई, जिसके बाद किसानों ने आज अपना ‘दिल्ली चलो’ विरोध प्रदर्शन जारी रखा है।

इसी बीच, किसान आंदोलन को लेकर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत की प्रतिक्रिया आई है। गौरतलब है कि इस बार किसान आंदोलन के दौरान राकेश टिकैत सक्रिय नहीं दिख रहे हैं, जबकि साल 2020 के किसान आंदोलन में राकेश टिकैत की मुख्य भूमिका थी। इस आंदोलन से दूरी पर बीकेयू नेता ने बयान दिया है।

ना किसान, ना दिल्ली दूर: टिकैत

राकेश टिकैत ने पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘ये मार्च को किसान यूनियन ने बुलाया है। अगर उनके साथ कुछ अन्याय होगा, तो देश उनके साथ है। ना हमसे किसान दूर है और ना ही दिल्ली दूर है। सबकी मांगें एक हैं। कर्जा माफी, स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करना, एमएसपी गारंटी कानून, फसलों के दाम ये किसानों की मांगें हैं।’

2020 की तरह सड़कों पर हैं किसान

हालांकि, पिछले दो वर्षों के दौरान इसमें काफी बदलाव आया है। समूहों में आपस में फूट पड़ गई है और कई नए संगठन बने हैं। 2020-21 के मुकाबले इस बार काफी कुछ बदला हुआ नजर आ रहा है। कहा जा रहा है कि पिछली बार की तुलना में इस बार ज्यादा किसान संगठन दिल्ली पहुंच रहे हैं। 2020-21 में जहां संयुक्त किसान मोर्चा ने पूरे आंदोलन की अगुवाई की थी तो वहीं इस आंदोलन को पिछली बार की तरह सभी किसान संगठनों का समर्थन प्राप्त नहीं है।

इस बार जगजीत सिंह दल्लेवाल का संयुक्त किसान मोर्चा (अराजनैतिक) और किसान मजदूर मोर्चा इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं और दोनों ही संगठन पूर्व में SKM का हिस्‍सा रहे हैं। किसान मजदूर मोर्चा 18 किसानों का समूह हैं जिसके संयोजक सरवन सिंह पंढेर हैं। दोनों ही समूहों में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और यूपी के किसान शामिल हैं।

कौन संगठन कर रहे हैं दिल्ली चलो 2.0 की अगुवाई

कृषि कानूनों के रद्द होने के बाद दिसंबर 2021 में जब किसानों ने घर लौटना शुरू किया तो कृषि समूहों के बीच ऐसे मतभेद पैदा हुए कि उनमें टूट हो गई। जिसके परिणामस्वरूप समूहों के भीतर कई विभाजन हुए। अब सक्रिय किसान संगठनों की संख्या 50 के करीब बढ़ गई है, जबकि नवंबर 2020 में इनकी संख्या 32 थी। किसानों का कहना है कि 200 से अधिक किसान संगठन दिल्ली कूच में शामिल हैं। इस बार किसान आंदोलन में विभिन्न संगठन अलग मोर्चों के बैनर तले विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक): जगजीत सिंह डल्लेवाल के नेतृत्व में कृषि संगठन बीकेयू (एकता सिद्धूपुर) ने छोटे समूहों को साथ लिया और एक समानांतर संगठन एसकेएम (गैर-राजनीतिक) का गठन किया, इसमें हरियाणा, राजस्थान, एमपी के किसान समूह भी शामिल हैं। इसने किसान मजदूर मोर्चा के साथ हाथ मिलाया और “दिल्ली चलो 2.0” के आह्वान के साथ अमृतसर और बरनाला में रैलियां कीं। जगजीत सिंह डल्लेवाल पहले संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा रहे हैं। बाद में उन्होंने बलबीर सिंह राजेवाल के साथ मिलकर चार अलग संगठन बना लिए।

किसान मजदूर मोर्चा:

18 किसान समूहों के साथ एक और किसान मोर्च का गठन किया गया है। ज्यादा किसान समूहों के एक साथ आने के कारण, इस ब्लॉक का नाम बदलकर किसान मजदूर मोर्चा कर दिया गया। पंजाब स्थित किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सरवन सिंह पंढेर इसके संयोजक हैं। इस संगठन में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, यूपी और एमपी ने एसकेएम (गैर-राजनीतिक) जुड़े हुए हैं। इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल), ऑल इंडिया किसान फेडरेशन, किसान संघर्ष कमेटी पंजाब, बीकेयू (मानसा) और आजाद किसान संघर्ष कमेटी ने 2022 के चुनाव के बाद हाथ मिला लिया और एक बैनर के तले आ गए।

गुरनाम सिंह चढूनी ने बनाई दूरी

2020 में किसान आंदोलन का प्रमुख चेहरा रहे किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने इस बार आंदोलन से दूरी बना ली है। वहीं, गुरनाम सिंह चढूनी ने किसानों के दिल्ली कूच को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि इस आंदोलन से उन नेताओं को अलग रखा गया है जो पिछले आंदोलन में शामिल थे। चढूनी ने कहा, ‘पिछली बार (2020-21) विरोध स्थगित करने से पहले तय हुआ था कि जरूरत पड़ने पर यह आंदोलन दोबारा किया जाएगा। अब जब किसान फिर से दिल्ली में प्रदर्शन करने जा रहे हैं तो उन्हें पहले उन सभी किसान यूनियनों की बैठक बुलानी चाहिए थी जो पिछली बार मौजूद थे। उन्होंने हमसे परामर्श नहीं किया है। केवल समय ही बताएगा कि मैं आने वाले दिनों में विरोध प्रदर्शन में शामिल होऊंगा या नहीं। किसान राजनीति नहीं चलेगी तो किसान हित की बात कौन करेगा।’

संयुक्त किसान मोर्चा इस प्रोटेस्ट में शामिल नहीं

ऑल इंडिया किसान सभा के वाइस प्रेसिडेंट और संयुक्त किसान मोर्चा नेता हनन मोल्ला ने कहा है कि ऑल इंडिया किसान सभा संयुक्त किसान मोर्चा का सबसे बड़ा दल है और हम इस प्रदर्शन में शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के बाद संयुक्त किसान मोर्चा से कुछ दल अलग हो गए थे और यह प्रोटेस्ट उन्होंने बुलाया है। हर किसी को प्रदर्शन करने का अधिकार है।

क्या हैं किसानों की मांगें

केंद्र के खिलाफ दिल्ली कूच का ऐलान करने वाले किसान संगठन MSP की गारंटी की मांग कर रहे हैं। साथ ही किसान संगठन स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू कराने पर अड़े हैं. किसानों की पेंशन और ऋण माफी भी इस आंदोलन का बड़ा मुद्दा है। साथ ही किसान संगठन पिछले आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को भी खत्म करने की मांग कर रहे हैं।

किसानों संग सरकार ने की बात

किसानों का मार्च शुरू होने से एक दिन पहले ही सरकार ने किसान नेताओं के साथ चंडीगढ़ में मैराथन बैठक की। कोशिश रही कि मुद्दे के समाधान निकाला जाए। केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की बैठक में कई किसान नेता शामिल हुए। किसान नेताओं ने सरकार के सामने अपनी मांगें दोहराई। सरकार ने भी उन्हें सभी मुद्दों के समाधान का बातचीत के जरिए हल का भरोसा दिया। कुछ मुद्दों पर सहमति भी बनी लेकिन MSP गारंटी जैसे मुद्दे पर बात नहीं बन पाई। अर्जुन मुंडा ने बताया कि सरकार किसानों के साथ बातचीत जारी रखेगी।

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