‘क्षत्रप’ रामपुरा हाउस के सिरमौर को ‘झटका पर झटका’ दे रही है ‘बीजेपी’ सीएम – प्रदेशाध्यक्ष राव विरोधियों को दे रहे हैं बढ़ावा क्या ‘दबाव’ की राजनीति से ‘ऊबर’ गई भाजपा? भाजपा से टिकट मिलने के बाद भी आसां नहीं डगर कापड़ीवास की सतीश खोला भी है टिकट के दावेदार, सतीश प्रधान भी लड़ेंगे विधानसभा चुनाव रणधीर के नाम की बैसाखी के बजाए मुकेश को खुद दिखानी होगी सक्रियता अशोक कुमार कौशिक दक्षिणी हरियाणा में हमेशा से ‘रामपुरा हाउस’ का अहम रोल रहा है। प्रदेश में सरकार बनाने की गारंटी का मतलब अहीरवाल को पूरी तरह साथ लेना है। क्षेत्र में हमेशा जाट वर्सेस अहीर की राजनीति होती रही है। भारतीय जनता पार्टी ने रविवार को रेवाड़ी के पूर्व विधायक रणधीर सिंह की घर वापसी कराकर ‘अहीरवाल के लंदन’ में ‘धमाका’ कर दिया। प्रदेश के मुखिया मनोहर लाल खट्टर और प्रदेशाध्यक्ष नायब सिंह सैनी ने खुद कापड़ीवास का गर्म जोशी से पार्टी में स्वागत किया। याद रहे ठीक साढ़े 4 साल पहले का कापड़ीवास की बगावत के चलते उन्हें पार्टी से निष्कासित कराने वाले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के लिए यह किसी बड़े ‘झटके’ से कम नहीं है। कापड़ीवास ने राव इंद्रजीत सिंह पर ही पिछले विधानसभा चुनाव में टिकट कटवाने का आरोप लगाते हुए बागी होकर रेवाड़ी से चुनाव लड़ा था । जिसकी वजह से यहां राव इंद्रजीत सिंह के समर्थक भाजपा प्रत्याशी सुनील मूसेपुर की हार हुई। इस ‘टीस’ का वह समय-समय पर इजहार भी करते रहते हैं। भाजपा ने 2019 विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण में दक्षिणी हरियाणा के भीतर राव इंद्रजीत सिंह की पसंद का पूरा ख्याल रखा। राव की पहल पर कई टिकट भी दे दी। लेकिन इलाके की सबसे हॉट सीट रही रेवाड़ी विधानसभा में राव इंद्रजीत सिंह द्वारा पूरा दम लगा देने के बाद भी अपनी पुत्री को टिकट नहीं दिला पाए । उसके बाद राव ने अपने खास सुनील मूसेपुर को टिकट दिलवाई, पर जीता नही सके। चुनाव खत्म होने के बाद कई बार राव इंद्रजीत सिंह ने चुनाव के दौरान बगावत करने वाले नेताओं को खुले तौर पर जयचंद तक कहा। राव विरोधी नेता समायोजित राव विरोधियों को समायोजित करने की लिस्ट काफी लंबी है। फिर भी इनमें निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले रणधीर सिंह कापड़ीवास, रेवाड़ी सीट के दावेदार डॉक्टर अरविंद यादव, अटेली से संतोष यादव तथा नांगल चौधरी से विधायक डॉक्टर अभय यादव प्रमुख रहे हैं। इनमें से डॉक्टर अभय यादव को छोड़कर तीनों का टिकट ‘राव राजा’ ने कटवा दिया था। निर्दलीय चुनाव लड़ने पर पार्टी ने रणवीर सिंह कापड़ीवास को तो बाकायदा 6 साल के लिए निलंबित भी करा दिया था। ‘राव राजा’ को ‘झटके पर झटका’ दे रही है भाजपा दोबारा सरकार बनने पर सबसे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने खास डॉक्टर अरविंद यादव को हरको बैंक का अध्यक्ष बनाकर राव इंद्रजीत सिंह को पहला ‘झटका’ दिया गया। डॉ अरविंद यादव फिलहाल पर्यटन निगम के चेयरमैन है। इसके बाद नांगल चौधरी के विधायक अभय सिंह यादव को आगे बढ़ाया गया। अब कुछ समय पहले ही प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए नायब सिंह सैनी ने अपनी नई टीम में ज्यादातर राव विरोधी नेताओं को जगह दी है। इसमें हरियाणा की पूर्व डिप्टी स्पीकर रही संतोष यादव और जीएल शर्मा को पार्टी का प्रदेश उपाध्यक्ष तो उनके एक ओर विरोधी पूर्व मंत्री राव नरवीर सिंह को संगठन में समायोजित करते हुए लोकसभा चुनाव प्रभारी बना दिया गया। इसके बाद रणधीर सिंह कापड़ीवासी ऐसे नेता बचे थे जिन्हें समायोजित किया जाना बाकी था वैसे इसकी पटकथा प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद पहली बार रेवाड़ी दौरे पर पहुंचे नायब सिंह सैनी ने उसी दिन लिख दी थी जब वह आधी रात को कापड़ीवास से मिलने के लिए उनके घर पहुंच गए थे। दरअसल राव इंद्रजीत सिंह गुरुग्राम लोकसभा सीट से लगातार दो बार 2014 और 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और दोनों बार जीत दर्ज करते हुए केंद्र सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्य मंत्री बने। उन्हें कैबिनेट स्तर का मंत्री नहीं बनाया गया। राव इंद्रजीत सिंह 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस कांग्रेस द्वारा भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ज्यादा तवज्जो देने और अपनी उपेक्षा को लेकर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। राव इंद्रजीत सिंह का गुरुग्राम से लेकर नांगल चौधरी तक खुद का जनाधार है । लेकिन राव की दबाब वाली राजनीति के चलते भाजपा कुछ समय से राव इंद्रजीत सिंह को ‘झटके पर झटका’ दे रही है। ‘राव राजा’ इंद्रजीत सिंह की दबाब की राजनीति को कम करने के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह यादव जो गुरुग्राम जिले से वास्ता रखने वाले हैं,को केंद्र सरकार में बड़े ओहदे का मंत्रालय देकर मंत्री बनाया गया। उसके बाद उनकी धुर विरोधी डॉक्टर सुधा यादव को भाजपा संसदीय बोर्ड की सदस्य बना आगे किया गया। इधर रणधीर सिंह कापड़ीवास ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से तालमेल बनाए रखा केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव संसदीय बोर्ड की सदस्य डॉक्टर सुधा यादव मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गृहमंत्री अनिल विज से उनकी मुलाकातें होती रही। साढ़े 4 साल में कापड़ीवास ने कई मौके पर राव इंद्रजीत सिंह को लेकर तो काफी ‘जहर उगला’ लेकिन भाजपा को लेकर कुछ नहीं कहा। इससे ही माना जा रहा था कि देर ही सही लेकिन कभी ना कभी कापड़ीवास जरूर घर वापसी करेंगे। पहले रणधीर सिंह कापड़ीवास ने अपने भतीजे मुकेश कपड़ीवास को एक्टिव किया। कुछ दिन पहले ही मुकेश कापड़ीवास को संगठन में युवा मोर्चा में गुरुग्राम जिले का प्रभारी बनाया गया। इसके बाद रविवार को रणवीर सिंह कापड़ीवास को भी पार्टी में शामिल कर लिया। याद रहे कि कापड़ीवास ने रेवाड़ी सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़कर 30000 से ज्यादा वोट लिए थे। क्या कापड़ीवास की वापसी रेवाड़ी के समीकरण बदलेगी? रेवाड़ी में ‘एक अनार सौ बीमार’ रेवाड़ी के पूर्व विधायक रणधीर कापड़ीवास के भाजपा में औपचारिक रूप से वापसी ने सर्दी के मौसम में रेवाड़ी की राजनीति में गर्माहट ला दी है I उनको लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है I अब यह तो गया कि किसी भी सूरत में सुनील मूसेपुर या राव इंद्रजीत के किसी भी समर्थक को कम से रेवाड़ी विधानसभा से भाजपा की टिकट नहीं मिलेगी I सुनील मूसेपुर को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ही रेवाड़ी विधानसभा का चुनाव लड़ना होगा। रणधीर कापड़ीवास के भाजपा में वापसी से यह भी तय माना जा सकता है कि डॉक्टर अरविंद यादव भी टिकट कि दावेदारी में बैकफुट पर आ सकते है। भाजपा से टिकट कि दावेदारी में अभी तक सतीश खोला को सबसे आगे माना जा रहा था, लेकिन अब उनके सामने कापड़ीवास कि बराबर की दावेदारी की जा सकती है । अब प्रश्न यह उठता है कि यदि भाजपा रणधीर कापड़ीवास को उनकी उम्र को नज़र अंदाज़ करके टिकट देती है तो उनका पलड़ा सतीश खोला से भारी हो सकता है,परन्तु रणधीर कापड़ीवास की बजाय अगर मुकेश कापड़ीवास को आगे लाते है तो सतीश खोला का पलड़ा भारी पड़ता है। अपने छः बार चुनाव के अनुभव और अपनी साफ छवि के आधार पर जहां रणधीर कापड़ीवास अपनी टिकट कि दावेदारी कर सकते है, वहीं सतीश खोला लगातार पिछले 8 सालों से जनता बीच अपनी सक्रियता बनाये हुए है जो उनकी दावेदारी को मजबूत करती है । सतीश खोला को जहां भाजपाईयों द्वारा कम आकां जा रहा है वहीं वास्तविकता इससे उलट है। सतीश खोला के पास जो लोगों के आंकड़े है वह कहीं ना कहीं उनके लिए लाभदायक होंगे । अगर सतीश खोला पीपीपी में ज्यादा उलझें रहे तो उसका कहीं ना कहीं उनको नुकसान भी हो सकता है। सतीश खोला पहले ही कह चुके है वह रेवाड़ी से 2024 का विधानसभा चुनाव अवश्य लड़ेंगे। जिस तरह रणधीर कापड़ीवास ने पिछले विधानसभा चुनाव में राव इंद्रजीत और उनके चेहते सुनील मुसपुर के खिलाफ दुष्प्रचार किया था तो हो सकता है कि इस विधानसभा चुनाव राव खेमे का रणधीर कापड़ीवास या मुकेश कापड़ीवास के खिलाफ आग उगले,जो कहीं ना कहीं कापड़ीवास खेमे को नुकसान पहुँचाएंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में रणधीर कापड़ीवास और सतीश प्रधान का अच्छा आपसी तालमेल था। बेशक़ ना रणधीर कापड़ीवास विधानसभा चुनाव में और सतीश प्रधान कि पत्नी चेयरमेन का चुनाव जीत पाये थे I इस बार विधानसभा चुनाव में सतीश प्रधान और रणधीर कापड़ीवास का गठबंधन नहीं होगा I इसलिए रणधीर या मुकेश कापड़ीवास को टिकट मिलने के बाद भी आसां नहीं होगी चुनावी डगर? सतीश खोला और सतीश प्रधान का भी विधानसभा चुनाव लड़ना तय है जो कहीं ना कहीं कापड़ीवास के लिए नुकसान साबित हो सकता है। यानी साफ शब्दों में यही कहा जा सकता है कि 2024 के विधानसभा चुनाव में पांच मुख्य चेहरे रेवाड़ी से चुनाव लड़गें । चिरंजीव राव, सतीश खोला,सतीश प्रधान, सुनील मुसेपुर और रणधीर कापड़ीवास या मुकेश कापड़ीवास में कोई एक। इतने उमीदवारों के चुनावी दंगल के कारण फिर एक बार चिरंजीव के जीत का रास्ता साफ नज़र आ रहा है। अब भाजपा हाईकमान को यह देखना है कि तमाम भाजपा से टिकट के दावेदारों को कैसे एक साथ लाया जा सके। Post navigation निजी प्रोग्राम बता चुके कांग्रेस प्रभारी का यूटर्न, बोले- मुझे भी पहुंचना था पर मीटिंग आ गई …… नारनौल में सब्जी मंडी व्यापारी 10 फरवरी से हड़ताल पर