”भगवान राम सबके हैं, भाजपा को राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए: हुड्डा 

हरियाणा में भाजपा की जीत के बावजूद मनोहर लाल खट्टर का मुख्‍यमंत्री बनना आसान नहीं

सीएम खट्टर लोकसभा चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी को दी बधाई, भाजपा ने इन नेताओं को दी जिम्मेदारी

हरियाणवी युवाओं को इजरायल भेजने पर घिरी सरकार, कुमारी शैलजा बोली- ‘नौकरी का सपना...’

अशोक कुमार कौशिक 

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने लोकसभा चुनाव के लिए नवनियुक्त प्रभारी बिप्लब कुमार देव और सह प्रभारी सुरेंद्र नागर को प्रदेश का दायित्व मिलने पर बधाई और शुभकामनाएं दी है। मुख्यमंत्री खट्टर ने ट्वीट कर यह जानकारी साझा की है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि ‘लोकसभा चुनाव हेतु हरियाणा के नव-नियुक्त प्रदेश चुनाव प्रभारी श्री बिप्लब कुमार देब जी एवं सह-चुनाव प्रभारी श्री सुरेन्द्र नागर जी को नए दायित्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। मुझे पूर्ण विश्वास है की आप दोनों की कार्य कुशलता का लाभ प्रदेश संगठन को मिलेगा तथा केंद्र एवं प्रदेश में पुनः युवाओं, महिलाओं, किसान भाइयों की हितैषी एवं राष्ट्रहित को समर्पित भाजपा सरकार ही बनेगी।’

भाजपा ने नियुक्त किए लोकसभा चुनाव प्रभारी

भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी नियुक्त किए हैं। लोकसभा चुनाव 2024 को देखते हुए भाजपा ने अलग-अलग राज्यों और केंद्र प्रशासित प्रदेशों में 23 चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी को नियुक्ति दी है। हरियाणा में बिप्लब कुमार देव को लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश प्रभारी और सुरेंद्रनगर को सह प्रभारी नियुक्त किया गया है।

लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा में विधानसभा के चुनाव भी होंगे। सत्तारूढ़ भाजपा का मुख्य मुकाबला कांग्रेस से ही माना जा रहा है। पिछली बार देवीलाल परिवार के दोनों दलों ने भी 11 सीटें जीती थीं। दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी ने दस और अभय चौटाला की इनेलो ने एक। भाजपा सूबे में पिछले दस साल से सत्ता में है। पहली बार 2014 में उसने 90 में से 47 सीटें जीतकर अपने बूते सरकार बनाई थी।

2019 में उसकी सीटें घटकर 40 रह गई तो उसे दुष्यंत चौटाला के साथ सरकार बना कर उन्हें उपमुख्यमंत्री का पद देना पड़ा। कांग्रेस को पिछली दफा 31 सीटें मिली थी और नेता प्रतिपक्ष का पद भूपिंदर सिंह हुड्डा को ही मिल गया था। अशोक तंवर तो पहले ही पार्टी छोड़ गए थे। अब हुड्डा, सुरजेवाला, किरण चौधरी और सैलजा चारों ही मुख्यमंत्री पद की दौड़ में हैं। भाजपा ने साफ नहीं किया है कि वह जजपा से गठबंधन करेगी या नहीं।

कांग्रेस अभी तक तो हुड्डा के प्रभुत्व से मुक्त नहीं हो पाई है। उधर किरण चौधरी का दर्द यह है कि हरियाणा में आज तक कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं बन पाई। सैलजा भी महिला हैं और दलित भी। सो अवसर आया तो दावा वे भी करेंगी। मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के प्रयोगों को देख चुके मनोहर लाल खट्टर अब समझ चुके होंगे कि पार्टी की जीत के बाद भी उनकी दाल का गलना आसान नहीं होगा।

यह मानते हुए कि अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह एक रणनीतिक राजनीतिक कदम है, हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी नेतृत्व एक बार फिर से धार्मिक उत्साह के जरिए वोट बैंक में बढ़ोतरी पर नजर गड़ाए हुए है। न केवल राज्य की 10 लोकसभा सीटों पर जीत, बल्कि कुछ महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में भी लगातार तीसरी बार रिकॉर्ड जीत हासिल करने का भी इरादा है। उधर, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पास स्पष्ट रणनीति का अभाव नजर आ रहा है। 

‘राजनीति नहीं लोगों की आस्था का मामला’

22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के तुरंत बाद आरएसएस से जुड़े सीएम खट्टर की पहली प्रतिक्रिया थी,“पूरा देश और दुनिया भर से करोड़ों लोग आज की ख़ुशी में शामिल हुए हैं। आज एक नए युग की शुरुआत हुई है। हिंदी पट्टी में राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर निशाना साधने का कोई मौका न चूकते हुए, सीएम खट्टर ने कहा, “उन्हें (राहुल गांधी) को दूसरों की तरह अयोध्या आना चाहिए था, लेकिन उन्होंने निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। वह हर चीज़ में हमेशा एक राजनीतिक पहलू ढूंढते हैं, यह राजनीति नहीं है, यह लोगों की आस्था का मामला है।

‘अक्टूबर में हो सकते है विधानसभा चुनाव’

राज्य के चुनावी इतिहास में पहली बार, सत्तारूढ़ भाजपा ने मई 2019 में राज्य की सभी 10 लोकसभा सीटें जीतकर क्लीन स्वीप किया, जबकि कांग्रेस और ओम प्रकाश चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल को अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा। महीनों बाद, जब बीजेपी ने राज्य में सरकार बनाई तो सीएम खट्टर ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, जो लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए राज्य की पहली गैर-कांग्रेसी सरकार थी। इस साल संसदीय और विधानसभा चुनाव मई और अक्टूबर में होने की संभावना है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि संसदीय और विधानसभा चुनाव दोनों ही राज्य के मामलों को चलाने के लिए सीएम खट्टर के ‘राम राज्य’ के सिद्धांतों और उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र हुड्डा के बीच सीधी लड़ाई होगी, जो पार्टी की आंतरिक स्थिति के बीच सत्ता में लौटने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

‘राजीव गांधी ने सबसे पहले राम मंदिर के दरवाजे खुलवाए’

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर प्रतिक्रिया देते हुए नेता प्रतिपक्ष हुड्डा ने मीडिया से कहा कि भगवान राम सभी की आस्था के प्रतीक हैं और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने सबसे पहले राम मंदिर के दरवाजे खुलवाए थे। उन्होंने रोहतक में अधिवक्ताओं को एक संबोधन में कहा,“राजीव गांधी ने बीर बहादुर सिंह के साथ समन्वय में, मंदिर के ताले खुलवाए जिसके बाद 9 नवंबर, 1989 को अयोध्या में आधारशिला रखी गई। भगवान राम को किसी भी पार्टी से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, वह सभी के लिए पूजनीय और पूजनीय हैं। भाजपा-जजपा सरकार के साथ अपने वाकयुद्ध में उन्होंने कहा कि गठबंधन जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने और यहां तक कि अपने चुनावी घोषणापत्रों को लागू करने में भी पूरी तरह विफल रहा है।

‘10 वर्षों में, सुशासन का अभ्यास किया गया’

राम मंदिर कार्यक्रम के बहिष्कार और स्पष्ट रणनीति की कमी को लेकर कांग्रेस के भीतर भ्रम की स्थिति के विपरीत, पूरी भगवा ब्रिगेड हिंदुत्व कथा का निर्माण करके और इस ऐतिहासिक क्षण में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका को उजागर करके धार्मिक प्रतीकवाद का दिखावा कर रही है। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने आईएएनएस को बताया, “राम राज्य” आगामी चुनावों का नारा होगा। प्राण प्रतिष्ठा समारोह से एक दिन पहले मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा, “पिछले 10 वर्षों में, सुशासन का अभ्यास किया गया है और राम राज्य की अवधारणा अब न केवल पूरे देश में बल्कि राज्यों में भी प्रचलित है। उन्होंने कहा कि जो लोग राम मंदिर के निर्माण में बाधा डालेंगे और उनका अनादर करेंगे, उन्हें परिणाम भुगतना होगा. मंदिर के उद्घाटन के बाद मुख्यमंत्री ने अपनी भावनात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम ने उन्हें बहुत प्रभावित किया है। 

‘भगवान राम के वंशज के रूप में हमने वादा पूरा किया’ 

करनाल में एक कार्यक्रम में सीएम खट्टर ने कहा, “हम भगवान राम के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते थे, वहां मंदिर बनाने की कसम खाते थे। भगवान राम के वंशज के रूप में, हमने वह वादा पूरा किया है और गत  22 जनवरी को एक नई सुबह सामने आई है। उन्होंने आज के दिन को हर्ष और उल्लास का दिन बताते हुए राम भजन की पंक्तियां गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की। जय श्री राम के नारों के बीच मुख्यमंत्री ने इस पल का जश्न मनाने के लिए एक बच्चे के साथ नृत्य किया। 26 जनवरी के प्रोग्राम में भी उन्होंने प्रोटोकॉल तोड़कर राम सीता की झांकी में शामिल बच्चों के चरण स्पर्श किए।

‘प्रतिष्ठापन से पहले अयोध्या गए दीपेंद्र हुड्डा’

लेकिन, राज्य के किसी भी वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने राम मंदिर की प्रतिष्ठा के बाद से इसका दौरा नहीं किया है। प्रतिष्ठापन से पहले, राज्य कांग्रेस नेता और सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने उत्तर प्रदेश पार्टी नेतृत्व के साथ अयोध्या में हनुमान गढ़ी मंदिर का दौरा किया। यह अयोध्या और राम मंदिर की मेरी पहली यात्रा नहीं है। मैं एक साल पहले भी मकर संक्रांति के अवसर पर भगवान राम का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर गया था। उन्होंने कहा, ”भगवान राम सबके हैं. भाजपा को राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह का राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए। 

अक्टूबर 2019 में, भगवा पार्टी, जिसने 40 सीटें जीतीं और 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत से छह सीटें कम थीं, ने तत्कालीन नवगठित जननायक जनता पार्टी के साथ गठबंधन में सरकार बनाई, जिसका नेतृत्व दुष्यंत चौटाला ने किया, जो कि खट्टर सरकार में डिप्टी सीएम है।

बेरोजगारों को इसराइल भेजने पर विपक्ष घेर रहा है खट्टर को

इस्राइल और हमास के बीच छिड़े युद्ध के दौरान प्रदेश के युवाओं को वहां भेजने को लेकर विपक्ष लगातार खट्टर सरकार को घेर रहा है। इसी बीच हरियाणा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता कुमारी शैलजा की भी प्रतिक्रिया आई है।

‘भूख से मरने से बेहतर है गोली खाकर मर जाएं’

कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट कर लिखा कि भूख से मरने से बेहतर है गोली खाकर मर जाएं। ये कहना है हमारे हरियाणा के युवाओं का जिन्हें रोजगार के नाम पर छला गया, जिन्हें नौकरी का सपना दिखाकर उनसे वोट मांगा गया, लेकिन इनकी उम्मीदों को क्या दिया आपने, जुमला? प्रदेश सरकार में बेरोजगारी का आलम बताता है कि यह सरकार रोजगार में पूरी तरह विफल रही है नहीं तो युवा इस ठंड में अपना घर-बार छोड़कर इज़राइल जाने की बात नहीं करते। हरियाणा सरकार की विफलता का सबसे बड़ा मानक यही है कि हमारे प्रदेश के युवा मजदूरी के लिए इजराइल जाने के लिए मजबूर हैं, हरियाणा की जनता मौजूदा सरकार को कभी माफ़ नहीं करेगी।

किरण चौधरी की भी आई प्रतिक्रिया

वहीं किरण चौधरी ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि मर जाएंगे, गोली खाकर मर जाएंगे, कम से कम भूखे तो नहीं मरेंगे। कड़ाके की ठंड में इस्राइल जाने के लिए कतारों में लगे युवाओं के ये शब्द बता रहे हैं कि हरियाणा में बेरोजगारी का क्या आलम है। इस्राइल और हमास के बीच छिड़े युद्ध के कारण वहां किसी देश के लोग नहीं जाना चाहते, पर यहां के युवाओं को मज़दूर बनाकर भेजा जा रहा है। मैं पूछती हूं इन युवाओं की जान से खेलने का प्रदेश सरकार को क्या अधिकार है? इन युवाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा? इस दुर्गति को ये युवा कभी नहीं भूलेंगे ।

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