– विश्वविद्यालय के एल्युमिनाई एवं मेजर जनरल प्रमोद बतरा को मिला विशिष्ट सेना मेडल। 27 जनवरी, हिसार। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के दो पूर्व वैज्ञानिकों डॉ. हरिओम व डॉ. रामचंद्र सिहाग को पदमश्री अवार्ड से सुशोभित होने पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. काम्बोज ने बधाई व शुभकामनाएं दी। साथ ही भविष्य में भी इसी प्रकार किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए अपनी सेवाएं जारी रखने की कामना भी की। कुलपति प्रो. काम्बोज ने कहा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक लगातार किसानों की आर्थिक दशा को मजबूत करने के लिए प्रयासरत है। वैज्ञानिकों द्वारा इजाद की गई उन्नत किस्में देश भर में लोकप्रिय हो रही है, जिसकी बदौलत विश्वविद्यालय लगातार राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बना रहा है। कुलपति ने कहा कि भविष्य में भी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कार्य करते रहेंगे व देश को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने में योगदान देंगे। डॉ. हरिओम ने प्राकृतिक खेती व डॉ. रामंचद्र सिहाग ने मधुमक्खी पालन विषय बेहतरीन सेवाएं देकर किसानों को न बल्कि प्रशिक्षित किया अपितु उनके स्वरोजगार इकाई को स्थापित करने में अपनी अहम भूमिका अदा की। इसके अलावा उपरोक्त विश्वविद्यालय के एल्युमिनाई एवं मेजर जनरल प्रमोद बतरा को विशिष्ट सेना मेडल मिला है। डॉ. हरिओम ने 36 साल तक चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में समर्पण व ईमानदारी के साथ अपनी सेवाएं दी। वर्तमान में वे हरियाणा सरकार द्वारा संचालित परियोजना के तहत प्राकृतिक खेती विषय राज्य प्रशिक्षण सलाहकार के पद पर कार्य कर रहे हैं। डॉ. हरिओम ने गुरुकुल कुरुक्षेत्र स्थित प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण संस्थान में 10 हजार से अधिक किसानों सहित अन्य हितधारकों को प्राकृतिक खेती विषय पर प्रशिक्षण देकर उनको आत्मनिर्भर बनाया है। इसके अलावा उन्होंने देश के 500 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्रों के आईसीएआर के वैज्ञानिकों को भी प्रशिक्षित किया है। इतना ही नहीं, डॉ. हरिओम ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय के तहत स्वीकृत 11-13 सितंबर 2023 में नेपाल के 25 व्यक्तियों के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि को भी प्रशिक्षण दिया। साथ ही बीते साल गुजरात के 60 क्लेक्टरों और डीडीओ को भी प्राकृतिक खेती विषय पर अहम जानकारियां प्रदान कर उनका मूल्यांकन भी किया। डॉ. हरिओम ने अप्रैल 2023 में श्रीलंका के उच्चायुक्त की अध्यक्षता में प्रतिनिधियों का मार्गदर्शन करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा इनकी अनेक वैज्ञानिक उपलब्धियों के चलते डॉ. हरिओम को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी सम्मानित कर चुके हैं। भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सहित चार राज्य जिनमें पंजाब, हरियाणा, गुजरात व हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के समक्ष डॉ. हरिओम ने प्राकृतिक खेती के कार्य, प्रदर्शन और संभावनाओं पर ज्ञानवर्धन प्रस्तुतियां दी। इतना ही नहीं, डॉ. हरिओम के नेतृत्व व मार्गदर्शन में जिला कैथल व कुरुक्षेत्र के 4 किसान जोनल व राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। प्रोफेसर रामचंद्र सिहाग अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शिक्षाविद् है। उन्होंने नवंबर 1979 से जनवरी 2012 तक चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दी, जिनमें 1979 से 1988 तक उन्होंने विशेष रूप से मधुमक्खी पालन विषय पर अपना अहम योगदान दिया। 1988 से 1995 तक उन्होंने एसोसिएट प्रोफेसर, रिसर्च लीडर, 1995 से 2012 तक पर्यावरण जीव विज्ञान, 1997 से 2000 व 2011 से 12 तक प्राणीशास्त्र विभाग और डीन, कॉलेज ऑफ बेसिक साइंस एवं ह्यूमैनिटीज में 2001 से 2006 तक विभिन्न पदों पर अपनी सेवाएं दी। डॉ. रामचंद्र सिहाग के पास शिक्षण, अनुसंधान, शैक्षिक प्रबंधन व सरकारी संगठनों में 40 वर्षों का अनुभव है। इसके अलावा उन्होंने मधुमक्खी पालन के साथ-साथ पर्यावरण जीव-विज्ञान, मछली रोग विज्ञान, वर्मीकल्चर के अनुशासन में भी कई शोध किए है। इसके अलावा डॉ. रामंचद्र सिहाग ने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 190 से अधिक शोध और तकनीकी लेख प्रकाशित किए है। साथ ही पत्रिकाएं समेत 6 पुस्तकें संपादित भी की। 1980 से 82 तक मधुमक्खियों पर उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से रफी अहमद किदवई ममोरियल पुरस्कार से नवाजा गया। 1993 में मधुमक्खियों के संरक्षण विषय पर कार्य करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग से समूह पुरस्कार-सह प्रशंसा प्रमाण पत्र भी दिया गया। 2005 में अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में परागणकों के संरक्षण के लिए पादप विभाग भारत पर स्क्रॉल ऑफ ऑनर प्राप्त किया। जैव विविधता के सरंक्षण के लिए डॉ. रामचंद को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, 2007 में चंडीगढ़ में एनवायरनमेंट सोसाइटी ऑफ इंडिया से पर्यावरण और कल्चरल एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी ऑफ इंडिया, हिसार से एजुकेशनल संबंधित पुरस्कार भी प्राप्त किए। 2008 में इन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए ई.पी.ओडुम मेमोरियल अवार्ड और 1997 में एशियन एपीकल्चरल एसोसिएशन चीन में परागण अनुभाग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। वर्तमान समय में डॉ. रामचंद्र जर्नल ऑफ एंटोमोलॉजी के संपादक पद पर कार्यरत है। ये 5 अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के क्षेत्रीय संपादक, 2 अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के एसोसिएट संपादक व अन्य 15 राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्ड के सदस्य भी रहे। इससे पूर्व उन्होंने 1990 से 1994 तक इंडियन बी जर्नल के संपादक के रूप में भी कार्य किया। इसके अलावा डॉ. सिहाग को संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग के वैज्ञानिकों व औद्योगिक परिषद जैसी एंजेसियों द्वारा वित्त पोषित मधुमक्खियों व मधुमक्खी पालन विषय पर 6 शोध परियोजनाएं भी पूरी की। डॉ. रामचंद्र ने 29 पीजी स्कॉलर्स का मार्गदर्शन भी किया। साथ ही उन्होंने मधुमक्खी पालन में 100 हजार से अधिक लोगों को स्वरोजगार दिया। डॉ. रामचंद्र के सराहनीय कदम की बदौलत जो 1980 में मधुमक्खी की कालोनियां 5 हजार थी वह अब बढक़र 30 लाख कालोनियां है। Post navigation मेरी यादों में जालंधर – भाग बाइस : आजकल पासबुक से बड़ी कोई बुक नहीं…. मेरी यादों में जालंधर – भाग तेइस : वह पहली कहानी के छपने की पुलक…