केंद्र और हरियाणा की राजनीति में राव का क्या भाव होगा ?

भाजपा और राव इंद्रजीत दोनों में किसको, किसकी अधिक जरूरत ?

बड़ा सवाल राव इंद्रजीत पर क्या भाजपा एक बार फिर लगाएगी दाव ?

राव ने भाजपा में खिचड़ी और घी की तरह मिलने की कही थी बात ?

ऋषि प्रकाश कौशिक 

गुरुग्राम । अयोध्या में भगवान श्री राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही भव्य राम मंदिर का लोकार्पण भी राम भक्तों सहित आम श्रद्धालुओं के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के हाथों हो गया । यह धार्मिक अनुष्ठान लोकसभा चुनाव होने वाले वर्ष 2024 में संपन्न हुआ। 2023 में पांच राज्यों में हुए इलेक्शन में भाजपा ने पहली बार अपने सांसद और केंद्रीय मंत्रियों को विधायक का चुनाव लड़वाया। इसके उपरांत लोकसभा के चुनाव हरियाणा सहित विभिन्न प्रांतो में भी विधानसभा के चुनाव होना प्रस्तावित है। राजनीतिक गलियारों में  अटकलें लगाई जा रही है कि आने वाले कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव की घोषणा या फिर तिथि घोषित की जा सकती है।

इसी कड़ी में हम बात करते हैं अहिरवाल क्षेत्र अथवा दक्षिणी हरियाणा की । इस बात में कोई शक नहीं है कि हरियाणा में बनने वाली सरकार में अहीरवाल बेल्ट का सबसे महत्वपूर्ण दखल या हिस्सेदारी रही है। इस क्षेत्र से राजनीतिक प्रतिनिधित्व अपवादों को छोड़कर रामपुर हाउस और वहां के नेताओं के द्वारा ही किया जाता आ रहा है। अहीरवाल और दक्षिणी हरियाणा के राजनेता छत्रप राव इंद्रजीत सिंह को मौजूदा राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में भाजपा केंद्र और हरियाणा में क्या और कितना भाव देगी ? यह राजनीतिक गलियारों में बड़ा सवाल बनता जा रहा है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार भाजपा का कमल थमने से पहले राव इंद्रजीत सिंह ने अपने सबसे मजबूत राजनीतिक गढ़ पटौदी में  इंसाफ मंच हरियाणा की घोषणा करने के मौके पर कहा था कि कांग्रेस नहीं छोडूंगा, कांग्रेस की छाती पर ही मूंग दलूंगा । 

समय और हालात को देखते हुए राव इंद्रजीत सिंह भाजपा के हो गए। इसका फायदा राव इंद्रजीत सिंह से अधिक भाजपा को हुआ । अहीरवाल क्षेत्र में राव के दम पर अधिक से अधिक सीट जीतकर भाजपा ने हरियाणा में अपनी सरकार बनाई । ऐसा ही दूसरी योजना में भी हुआ, यह बात अलग है कि भाजपा को जननायक जनता पार्टी का सहारा लेना पड़ा है। भारतीय जनता पार्टी में राव इंद्रजीत सिंह दो योजना से सांसद और केंद्र में मंत्री हैं। लेकिन मौजूदा राजनीतिक हालात और भाजपा की नीतियों को देखते हुए अटकलें लगाई जा रही हैं कि आने वाले चुनाव में भाजपा नेतृत्व राव इंद्रजीत के मुकाबले अन्य भाजपा नेताओं को ही प्राथमिकता देने पर गंभीरता से चिंतन मंथन कर रहा है । पिछले एक दशक से अधिक के राजनीतिक हालात पर ध्यान दिया जाए तो जो भी स्थानीय नेता राव इंद्रजीत के बेहद नजदीक हुआ करते थे, वह नेता अब राव के साथ नजर नहीं आ रहे या फिर उनकी राजनीतिक आस्था अन्य नेताओं के साथ हो चुकी है ।

इसी कड़ी में राव इंद्रजीत सिंह की पुत्री आरती राव के कार्यक्रम पर भी ध्यान दिया जाए तो धीरे-धीरे भाजपा नेताओं का वहां भी अभाव देखा या महसूस किया जा सकता है। हाल ही में आरती राव गुरुग्राम में पहुंची, यहां भी उनके साथ भाजपा के नामी गिरामी नेता और चेहरे नजर नहीं आए। दूसरी ओर सबसे खास बात यह है की आरती राव अपने कार्यक्रम में केवल और केवल पिता राव इंद्रजीत सिंह का ही गुणगान करती हुई दिखाई देती है । इसी प्रकार से राव इंद्रजीत सिंह केंद्र में पीएम मोदी और उनकी नीतियों कि अपने संबोधन में तारीफ करते दिखाई देते हैं। दूसरी ओर जिस राज्य से राव इंद्रजीत सिंह संसद का चुनाव लड़कर केंद्र में मंत्री बने हैं। उस राज्य सरकार के मुखिया से राव का तालमेल नहीं बैठ पा रहा है । जहां तक भ्रष्टाचार की बात है तो इसमें भी कोई शक नहीं की राव इंद्रजीत सिंह पर व्यक्तिगत रूप से किसी भी प्रकार का कोई भी आरोप उनके राजनीतिक करियर में नहीं लगा है। लेकिन राव के समर्थक गुरुग्राम के  निवर्तमान मेयर के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे या लगाए गए । खूब  हल्ला या शोर  होने के बावजूद भी राव इंद्रजीत के द्वारा ऐसे मामलों की जांच करवाने की पैरवी का अभाव महसूस किया जा रहा है । इसी प्रकार से रेवाड़ी में भी इन दिनों राव के समर्थकों पर भ्रष्टाचार के विरोधियों के द्वारा खूब आरोप लगाए जा रहे हैं । 

इन सब बातों से अलग कुछ ऐसी बड़ी परियोजनाएं भी हैं जिन पर लंबा समय बीत जाने के बावजूद भी काम नहीं हुआ । कांग्रेस में सांसद और केंद्र में मंत्री रहते हुए पटौदी क्षेत्र के बिनोला में डिफेंस यूनिवर्सिटी का शिलान्यास पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के हाथों हुआ । इसके बाद से डिफेंस यूनिवर्सिटी के नाम पर केवल चार दिवारी का निर्माण होना ही कहा जा सकता है। इसी प्रकार से रेवाड़ी के मजरा में एम्स का निर्माण और इसका शिलान्यास भी राजनीतिक गलियारों और विपक्ष के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि इस एम्स के विषय में राव का कहना है कि सभी औपचारिकता पूरी हो चुकी हैं और पीएम मोदी के द्वारा समय दिया जाने पर शिलान्यास भी होगा । इन सब बातों से इतर एक बार सवाल फिर वही का वही है कि भाजपा और राव इंद्रजीत में और खिचड़ी कौन है ? राव इंद्रजीत सिंह ने भाजपा में आने के बाद कहा था कि वह भाजपा में ही खिचड़ी की तरह मिल जाना चाहते हैं । अब यह तो भविष्य ही तय करेगा की क्या कुछ होगा।

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