भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। वर्तमान में सारे देश में अयोध्या में भगवान राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा की चर्चा है। अनेक लोग श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के लिए निमंत्रण देने में लगे हैं। अनेक नेता इस विषय अनेकानेक वक्तव्य देते नजर आते हैं। मन में विचार आया कि श्रीराम के बारे में चंद शब्द मैं भी कहूं। भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम से जाने जाते हैं अर्थात मर्यादा और चरित्र का संदेश देते हैं भगवान श्रीराम। और हम और हमारा परिवार तो सदा भगवान श्रीराम को मन से मानते हैं और यह सोचते हैं कि भगवान श्रीराम हर समय हमारे मन में बसते हैं। हरियाणा की बात करें तो हरियाणा में जन-जन में व्याप्त हैं। इसका प्रमाण है कि कहावतों में भी राम विराजमान हैं। जैसे— अंधे की माखी राम उड़ावे। राम की माया राम ही जानें। कहीं धूप कहीं छाया-राम तेरी माया। अर्थात जो घट-घट में व्याप्त है, वह आया कहां से? हां, प्राण प्रतिष्ठा स्थान-स्थान पर होती रहती है। घर में, किसी मंदिर में भी जब मूर्ति क्षतिग्रस्त हो जाती है तो उसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। और जहां तक मुझे जानकारी है राम की पूजा अयोध्या में भी निरंतर हो रही है। हमारी संस्कृति में कहा जाता है कि योग और भोग एकांत में होते हैं। परंतु यह कलयुग है, कलयुग में सभी मान्यताएं, मर्यादाएं बदल रही हैं। सतयुग, त्रेतायुग और द्वापर युग का ध्यान करें तो ध्यान आता है कि नित्य पूजा तो घर में की जाती थी लेकिन कोई साधना करने के लिए एकांतवास में जाते थे। अधिकांश जानकारी जो मुझे है, वह जंगल या पहाड़ों में तपस्या करते थे। खैर, बात छोडि़ए, मैं तो केवल एक ही बात कहना चाहूंगा कि जो व्यक्ति चाहे किसी पार्टी, किसी धर्म, किसी संप्रदाय, किसी जाति से हो, वह जब प्रभु राम के नाम का स्मरण करे और उनके नाम से बुलावा दे या अन्य चर्चा करे तो उससे पूर्व उसे अपने मन में झांक लेना चाहिए कि वह भगवान राम द्वारा स्थापित मर्यादा और चरित्र पर कितना उचित उतरता है। Post navigation उद्योग विहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के साथ हुई बिजली अधिकारियों की बैठक गुरूग्राम व फरीदाबाद मंडल के जिलों से आए अधिकारियों को चुनाव प्रक्रिया के नियम बताए