श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए सब कुछ न्यौछावर करने वालों को मिला निमंत्रण

– अस्थाई जेल व बंदी अवधि के संस्मरण सुनकर भावुक हुए लोग

चंडीगढ़/ गुरुग्राम, 10 जनवरी। श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए चली आंदोलन की बयार में अपना सर्वस्व दांव पर लगाने वाले कार सेवकों को हिंदू व सामाजिक संगठनों ने सम्मानित किया। मौजीज लोगों ने कार सेवकों को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की राह प्रशस्त करने वाली सेना के सदस्य बताकर उन्हें नमन किया। सभी कार सेवकों को निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर का सजीव चित्र भी विशेष तौर पर भेंट किया गया।

विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व कई दूसरे सामाजिक संगठनों की गुरुग्राम जिले की टीम ने वर्ष 1990 में कार सेवा के लिए जाने वाले लोगों के प्रयासों को मान देने के लिए विशेष अयोजन किया। इसके तहत उच्च पदाधिकारियों की टीम कार सेवकों के घर पहुंची। टीम के सदस्यों ने परिजनों की मौजूदगी में कार सेवकों को राम नाम अंकित अंगवस्त्र ओढ़ाकर सम्मानित किया। इसके साथ ही अयोध्या से आए पूजित अक्षत, निर्माणाधीन मंदिर का सजीव चित्र, पांच दीए व पत्रक समेत कई सामग्री परिजनों को सौंपी।

इस मौके पर शिक्षाविद पूर्व वाइस चांसलर डाॅक्टर अशोक दिवाकर ने कहा कि राम मंदिर निर्माण कार सेवकों के अपरिमित प्रयासों की नींव पर खड़ा किया जा रहा है। विपरीत हालातों के बावजूद इनके प्रयासों की बदौैलत ही आज राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सका है। उन्होंने कार सेवकों के प्रति श्रद्धावान होकर उनके उत्कृष्ट कार सेवा कार्य के प्रति कृतज्ञता प्रगट की तो कार सेवक परिजनों सहित गर्व की पराकाष्ठा से सराबोर हो गए।

महानगर संघ चालक जगदीश जी ने कहा कि कार सेवकों के मंदिर बनने के अटूट विश्वास और मंदिर निर्माण के प्रयासों में अपना सर्वस्व दांव पर लगा देने के जज्बे के कारण ही आज हिंदुस्तान ही नहीं पूरे विश्व का मंदिर बनते देखने का सपना साकार हो पाया है। विभाग प्रचार प्रमुख अनिल कश्यप ने बताया कि इलाके के अधिकांश कार सेवक मुरादाबाद व गाजियाबाद की अस्थाई जेल में रखे गए थे। इन्हें बिना किसी कारण एक पखवाड़े से अधिक बंद रखा गया। उनके अनुसार जो कार सेवक अब हमारे बीच मौजूद नहीं हैं, उनके घर विशेषतः पहुंचकर उनके परिजनों को सम्मानित किया गया। मास्टर रति राम जी ने बताया कि राम मंदिर आंदोलन के समय विपरीत परिस्थितियों में राम भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था। संसाधनों के अभाव में न हताशा थी, न निराशा थी, केवल राम नाम की धुन थी।

इस दौरान कार सेवक रहे मास्टर रतिराम, गोपीचंद गहलोत (पूर्व डिप्टी स्पीकर), सरपंच सुभाष त्यागी, ब्रह्मदत्त वशिष्ठ, ऋषि त्यागी, बिनेश त्यागी, टीसी मित्तल, सरपंच सुभाष मित्तल, प्रेमपाल सलूजा, राज निर्भीक, अजय सिंघल और स्वर्गीय देवेंद्र वशिष्ठ, स्वर्गीय सुनील वशिष्ठ, स्वर्गीय कंवरभान बजाज व स्वर्गीय रमन रोहिला के परिजनों को भी सम्मानित किया गया। खास बात यह है कि ज्यादातर कार सेवक 60 वर्ष से अधिक आयु के हो चले हैं। इनकी अब तीसरी पीढ़ी (नाती-पोते) चल रही है। ऐसे में जब विशेष टीम कार सेवकों को सम्मानित करने पहुंची तो ये भावुक हो गए। टीम के सदस्यों ने कार सेवकों के साथ-साथ इनके परिजनों के प्रयासों को भी खूब सराहा तथा कृतज्ञता प्रगट की। इस मौके पर आरएसएस के प्रांत सह सेवा प्रमुख हरीश जी, विश्व हिंदू परिषद जिला अध्यक्ष अजित जी, मंत्री यशवंत शेखावत जी, अध्यक्ष सुरेंद्र तंवर, संपर्क प्रमुख गगन व सह भाग कार्यवाह राम भारद्वाज भी मौजूद रहे।

संस्मरण सुनकर नम हुई आंखें

टीम के सदस्य जब कार सेवकों के घर पहुंची तो कार सेवक उस दौर के हालातों को याद करके भावुक हो गए। इन्होंने बताया कि विपरीत हालातों में सरकार पूरी तरह से उनके खिलाफ थी। यहां तक उनके परिजनों को भी भयभीत किया गया। कार सेवकों ने बताया कि पुलिस ने रेल व बस में सवार होकर जाने वाले कार सेवकों को छल व स्वांग करके बंदी बनाया और लाकर अस्थाई रूप से बनाई गई जेलों में बंद कर दिया। अब उनका स्वप्न साकार हो रहा है, इस भाव को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है। केवल आनंद की इस अनुभूति को अहसास किया जा सकता है।

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