इनको सियासत में किस हद तक मिली कामयाबी आडवाणी, जोशी, उमा, कटियार व तोगड़िया को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में किया जा रहा है अनदेखा राम मन्दिर पक्ष और विपक्ष की कहानी अशोक कुमार कौशिक अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्रीराम की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। राम मंदिर-बाबरी मस्जिद के समर्थन और विरोध के कारण कई नामचीन हस्तियां चर्चा में आईं थीं जो आज या तो अनंत में विलीन हो गईं हैं, या सियासत से दूर हो गईं हैं। मस्जिद के पक्ष में इन्होंने किया संघर्ष मस्जिद के पक्ष में दशकों संघर्ष करने वाले हामिद अंसारी, सैयद शहाबुद्दीन तो मंदिर के पक्ष में आंदोलन की अगुवाई करने वाले महंत रामचंद्रदास परमहंस, संघ प्रमुख रहे केसी सुदर्शन, अशोक सिंघल, देवराहा बाबा, महंत अवैद्यनाथ अब दुनिया में नहीं है। विवादित परिसर का ताला खुलवाने वाले तत्कालीन पीएम राजीव गांधी, बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान पीएम रहे नरसिंह राव भी अनंत में विलीन हो गए। मंदिर के पक्ष में आंदोलन खड़ा करने वाले लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती अब संसदीय राजनीति से दूर हैं तो आडवाणी की रथ यात्रा रोकने वाले बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव का चारा घोटाले में सजा के बाद राजनीतिक करियर लगभग खत्म हो गया है। जिसको फिर से पानी के लिए वह प्रयासरत है। मुस्लिम पक्ष के चर्चित चेहरे हामिद अंसारी साल 1949 से बाबरी मस्जिद के सबसे प्रमुख पैरोकार रहे हामिद अंसारी का 95 साल की आयु में 20 जुलाई 2016 को इंतकाल हो गया। कभी साइकिल की दुकान करने और बाद में दर्जी का काम करवे वाले हामिद अंसारी 1961 में बाबरी मस्जिद के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से दायर मुकदमे में मुद्दई थे। अंसारी ने 1986 में राजीव सरकार द्वारा ताला खोलने के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में मुकदमा किया था। उनकी राम मंदिर के पैरोकार परमहंस रामचंद्र दास से दोस्ती हमेशा चर्चा में रही। सैयद शहाबुद्दीन कभी भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे सैयद शहाबुद्दीन बाद में नेता बने और बाबरी मस्जिद के मुख्य पैरोकार रहे। मंदिर- मस्जिद विवाद को कानूनी मुद्दा मानने वाले शहाबुद्दीन ने मजिस्द निर्माण के लिए बाबरी मस्जिद कोऑर्डिनेशन कमेटी का निर्माण किया। मंदिर का ताला खोलने के खिलाफ गणतंत्र दिवस के बहिष्कार की घोषणा की। तीन बार सांसद रहे शहाबुद्दीन ने ताला खोलने के विरोध में संसद के 41 मुस्लिम सांसदों के साथ तत्कालीन पीएम राजीव गांधी से मुलाकात कर बाबरी मस्जिद मुसलमानों को सौंपने की मांग की थी। शहाबुद्दीन का जन्म 1935 में बिहार (अब झारखंड) में हुआ था। उन्होंने राजनयिक, राजदूत और राजनेता के तौर पर कई अहम पदभार संभाले थे। 1958 में वह भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के लिए चुने गए थे। विदेश मंत्रालय में रहने के दौरान वह दक्षिण-पूर्व एशिया, हिंद महासागर और प्रशांत के संयुक्त सचिव भी रह चुके हैं। साथ ही शहाबुद्दीन के पाकिस्तान से लेकर सऊदी अरब तक के कई समाचारपत्रों में अलग-अलग विषयों पर कई लेख भी लिखे हैं। इसके बाद उन्होंने 1978 में भारतीय विदेश सेवा से इस्तीफा देकर राजनीति में कदम रखा। बता दें कि शहाबुद्दीन का नाम पहली बार सुर्खियों में शाह बानो केस और बाबरी मस्जिद विध्वंश के आया था। बाबरी विध्वंश के बाद उन्होंने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा शहाबुद्दीन भारत के संघीय ढ़ांचे के पैरोकार के तौर पर भी जाने जाते थे। साथ ही 2004 से 2007 के बीच में वह ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुसावरात के अध्यक्ष भी रहे थे। हिंदू पक्ष के चर्चित चेहरे महंत रामचंद्रदास परमहंस मुस्लिम पक्ष में हामिद अंसारी तो हिंदू पक्ष के महंत रामचंद्र दास परमहंस ही वर्ष 1949 में विवाद शुरू होने और वर्ष 1992 में बाबरी ढांचा के विध्वंस होने पर मुख्य भूमिका में रहे. कभी हिंदू महासभा से जुड़े रहे और परमहंस 1989 में गठित राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष बने। राम मंदिर निर्माण के लिए दिल्ली में 1984 में हुए धर्मसंसद की अध्यक्षता की। उन्हीं की अध्यक्षता में जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन हुआ। उनका निधन 2003 में हुआ। कल्याण सिंह विवादास्पद ढांचा विध्वंस के दौरान यूपी के सीएम रहे कल्याण सिंह की छवि हिंदू हृदय सम्राट की बनी। सीएम नहीं रहते हुए भी उन्होंने मंदिर आंदोलन में लगातार अहम भूमिका निभाई। वर्ष 1992 में सुप्रीम कोर्ट को विवादित ढांचे की सुरक्षा का हलफनामा दिया। विवादित ढांचा टूटने के बाद उनकी सरकार बर्खास्त कर दी गई। कल्याण बाद में भी यूपी के सीएम बने। फिर उनका भाजपा से आना जाना लगा रहा। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में राज्यपाल बनाए गए। 21 अगस्त 2021 को कल्याण सिंह की मौत हो गई. अशोक सिंघल विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष और संघ से जुड़े अशोक सिंघल ने राम मंदिर आंदोलन में केंद्रीय भूमिका निभाई। अस्सी के दशक के उत्तरार्ध में उन्हीं की अगुवाई में शिला पूजन, दिल्ली में धर्मसंसद, विराट हिंदू सम्मेलनों ने राम मंदिर आंदोलन को नई धार दी। बाद में बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में सिंघल आरोपी भी बनाए गए। अशोक सिंघल का 17 नवंबर 2015 को निधन हो गया। इनके बारे में हम इससे पहले के आलेख में विस्तार से वर्णन कर चुके हैं। देवराहा बाबा प्रसिद्ध संत देवराहा बाबा राम मंदिर के मुद्दे को धार देने वाले प्रमुख चेहरा थे। इलाहाबाद में जनवरी 1984 में हुई उस धर्मसंसद की अध्यक्षता देवराहा बाबा ने की थी। इसमें 9 नवंबर 1989 को राम मंदिर के शिलान्यास की तारीख तय हुई थी। सभी बड़ी राजनीतिक हस्तियां इनकी भक्त थीं। कहा जाता है कि इन्हीं के आदेश के बाद तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने तमाम विरोध के बावजूद विवादित स्थल का ताला खुलवाया था। देवराहा बाबा ने 19 जून 1990 को देह त्याग दी। महंत अवैद्यनाथ राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति के पहले अध्यक्ष महंत अवैद्यनाथ ने राम मंदिर आंदोलन को धार देने में अहम भूमिका निभाई। मंदिर निर्माण के लिए राम जन्मभूमि न्यास के भी अध्यक्ष रहे। उन्होंने इससे जुड़े आंदोलनों लिए राम जन्मभूमि न्यास के भी अध्यक्ष रहे। उन्होंने इससे जुड़े आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभाई। बाद में बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में इन्हें मुख्य आरोपी बनाया गया। 12 सितंबर 2014 को महंत अवैद्यनाथ ने देह को त्याग दिया। सक्रिय राजनीति से दूर, आंदोलन के हीरो लालकृष्ण आडवाणी भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण को राजनीति का केंद्रीय मुद्दा बनाने में अहम भूमिका अदा की। आडवाणी ही थे जिन्होंने विहिप की ओर से शुरू किए गए आंदोलन को राजनीतिक आंदोलन बनाया। सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाल कर इस आंदोलन को राजनीतिक मुद्दा बनाया। इसी आंदोलन की बदौलत भाजपा की ताकत बढ़ी। बाद में विवादस्पद ढांचा विध्वंस मामले में उनको आरोपी बनाया गया। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वर्तमान में आडवाणी सक्रिय राजनीति से दूर हैं। मुरली मनोहर जोशी भाजपा का प्रमुख चेहरा रहे मुरली मनोहर जोशी ने राम मंदिर आंदोलन में देश में अहम मुद्दा बनाने में बड़ी भूमिका निभाई। आडवाणी की तरह विवादास्पद ढांचा विध्वंस मामले में आरोपी बनाए गए। अब आडवाणी की तरह ही सक्रिय राजनीति से दूर कर दिये गये हैं। उमा भारती राम मंदिर आंदोलन के दौरान साध्वी उमा भारती जनसभाओं में विहिप और भाजपा की मुख्य वक्ताओं में एक थीं। साल 1990 में 1992 के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। विवादास्पद ढांचा विध्वंस मामले में आरोपी बनी। उमा भारती वाजपेयी और मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनीं। फिलहाल खुद संसदीय राजनीति से दूर मायूस हैं। साध्वी ऋतंभरा साध्वी ऋतंभरा एक समय हिंदुत्व की फायरब्रांड नेता थीं। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में उनके ख़िलाफ़ आपराधिक साज़िश के आरोप तय किए गए थे। अयोध्या आंदोलन के दौरान उनके उग्र भाषणों के ऑडियो कैसेट पूरे देश में सुनाई दे रहे थे जिसमें वे विरोधियों को ‘बाबर की औलाद’ कहकर ललकारती थीं। वृंदावन में साध्वी ऋतंभरा का वात्सल्यग्राम नाम का आश्रम है। साध्वी ऋतंभरा उन लोगों में से हैं जिन्हें सबसे पहले 22 जनवरी का निमंत्रण मिला। विनय कटियार और प्रवीण तोगड़िया राम मंदिर आंदोलन के लिए 1984 में ‘बजरंग दल’ का गठन किया गया था और पहले अध्यक्ष के तौर पर उसकी कमान आरएसएस ने विनय कटियार को सौंपी थी। कटियार का राजनीतिक क़द बढ़ता गया और वह बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव भी बने। कटियार फ़ैज़ाबाद (अयोध्या) लोकसभा सीट से तीन बार सांसद चुने गए। वह राज्यसभा सांसद भी रहे। हालांकि, साल 2018 में कार्यकाल ख़त्म होने पर उन्हें दोबारा टिकट नहीं मिला वहीं, विश्व हिंदू परिषद के दूसरे नेता प्रवीण तोगड़िया राम मंदिर आंदोलन के वक्त काफी सक्रिय रहे थे। लेकिन उन्होंने वीएचपी से अलग होकर अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद नाम का संगठन बनाया। राम मंदिर बनने से पहले वह कई बार पीएम मोदी की आलोचना भी करते रहे। शायद इसी कारण उनको प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया। अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के प्रमुख फायरब्रांड हिंदूवादी नेता प्रवीण तोगड़िया ने सरकार पर हमला बोला। उत्तर प्रदेश के अमेठी में प्रवीण तोगड़िया ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का भी जिक्र किया और सरकार पर भी निशाना साधा। प्रवीण तोगड़िया ने कहा है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो रहा है लेकिन देश में अब तक रामराज्य नहीं आया है। आंदोलन विरोधी चर्चित चेहरे लालू प्रसाद यादव लालू प्रसाद यादव ने लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को बिहार के सीतामढ़ी में रोकी थी और आडवाणी व प्रमोद महाजन को गिरफ्तार करवा लिया। वो दिन 23 अक्टूबर 1990 का था। उस समय लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। मंदिर आंदोलन के मुखर विरोधी लालू प्रसाद राजनीति में हैं, लेकिन पहले जैसे सक्रिय नहीं हैं, कुछ उम्र का तकादा है। मुलायम सिंह यादव यूपी का सीएम रहते वर्ष 1990 में कारसेवकों पर गोली चलवाने का आदेश देने वाले मुलायम सिंह को बाद में भी सीएम बनने का मौका मिला । राजनीतिज्ञों मानना है कि सपा का बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन काफी महंगा रहा और गेस्ट हाउस केस के बाद सपा की साख कम हो गई। यूपी में 2017 में योगी सरकार के आने के बाद सपा यहां कमजोर हुई। मुलायम सिंह यादव का 10 अक्टूबर 2022 को गुरुग्राम में इलाज के दौरान निधन हो गया। देश के पूर्व कांग्रेसी प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी साल 1986 में जब तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने विवादित स्थल का ताला खुलावाया तो इसे कांग्रेस के नरम हिंदुत्व का नाम दिया गया। इस निर्णय के बाद कांग्रेस यूपी में लगातार कमजोर होती गई। मुस्लिम वर्ग में भी कांग्रेस का आधार लगातार कमजोर होता चला गया उन्हें 1989 के लोकसभा चुनाव में सत्ता गंवानी पड़ी. इसके दो साल बाद 1991 में उनकी लिट्टे आतंकवादियों ने हत्या कर दी। पीवी नरसिंह राव विवादित ढांचे के विध्वंस के दौरान पीवी नरसिंह राव देश के पीएम हुआ करते थे। इस घटना के बाद राव अपनी ही पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ गए। ताला खुलवाने के बाद विवादित ढांचे को कारसेवकों द्वारा गिराने के बाद मुस्लिम वर्ग ने गैर-भाजपा-गैर-कांग्रेस विकल्प का समर्थन करना शुरू कर दिया। बाद में राव भी पार्टी से किनारे कर दिये गए। कांग्रेस से उनकी दूरियां इतनी बढ़ी कि उनके निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को पार्टी मुख्यालय में रखने की इजाजत नहीं दी गई। राम मंदिर ताला खुलवाने में कांग्रेस की क्या भूमिका थी? इसका उल्लेख अगले अंक में विस्तार से करेंगे। Post navigation ताजीपुर में धौलेड़ा सड़क मार्ग की बजाए साइड में बना दिया अंडरपास, ग्रामीण भयभीत …. मोदी गर्भगृह में प्राणप्रतिष्ठा करेंगे, संतों का काम है, वहां नेता क्या करेंगे ? शंकराचार्य निश्चलानंद