*लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सवाल पूछना विपक्ष का हक है और जवाब देना सरकार की जिम्मेदारी, विपक्षी सांसदों का निलंबन जनता की आवाज दबाने का एक दमनकारी रवैया है और हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।*

*देश इस काले दिन को याद रखेगा, देश याद रखेगा कि किस तरह विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक व्यवस्था में तानाशाहों ने प्रश्नों का उतर न देने के लिए संसद के सदस्यों को निलम्बित किया।*

*19/12/2023 :-* ‘देश में स्वतंत्रता के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि “जब जिस देश की सदन सुरक्षित नहीं, उस देश की सीमा क्या सुरक्षित हाथों में है?” देश की सुरक्षा पर ये सवाल पूछने पर सत्ता पक्ष ने संसद से 142 विपक्षी सांसदों को निलम्बित कर दिया और निलम्बन सिर्फ इसलिए कि सरकार अपनी जवाबदेही स्वीकार नहीं करना चाहती और विपक्ष के प्रश्नों का उत्तर नहीं देना चाहती। यह निलम्बन का निर्णय भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास में अत्यंत शर्मनाक है। देश याद रखेगा कि किस तरह तानाशाहों ने ऐसे स्वरों को दबाया जो उनकी सच्चाई, उनकी मनमानी और उनके तानाशाही को बयां करती है।’ उक्त बातें हरियाणा कांग्रेस सोशल मीडिया की स्टेट कॉर्डिनेटर सुनीता वर्मा ने प्रेस के नाम जारी विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में सांसदों का निलंबन करने की बजाए ये मोदी सरकार सीधे आपातकाल की घोषणा ही क्यों नहीं कर देती। इनका ये डर दिखाता है कि किस तरह ये सरकार डरी हुई है।

वर्मा ने कहा कि लोकतंत्र में होना ये चाहिए था कि अगर इतनी बड़ी संख्या में सांसद सदन में केवल गृह मंत्री का बयान चाहते थे तो गृह मंत्री को बयान दे देना चाहिए था, बयान दे देने से ही अगर संसद चल सकती थी तो संसद चलानी चाहिए थी। लेकिन सत्ता पक्ष के अहंकार को शांत करने के लिए 142 सांसदों को सस्पेंड कर देना ऐतिहासिक तानाशाही है। जबकि संसद में असुरक्षा फैलाने के सूत्रधार बीजेपी सांसद पर अब तक चुप्पी कायम है। अनपढ़ राजा ने देश की संसद को सड़क छाप बना दिया हैं अपना एजेंडा फैलाने के लिए। उन्होंने कहा कि लोकसभा के स्पीकर ओमबिरला ने इन सांसदों के निलंबन को उनका खराब व्यवहार बता कर सही ठहराने का असफल प्रयास किया है। अगर इनका खराब व्यवहार था तो क्या बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने संसद में मधुर संगीत सुनाया था जो उनका निलंबन नही किया गया? अपने कुकर्मों और कुकृत्यों पर पर्दा डालने के लिए विपक्षी सांसदों का निलंबन करके लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं स्पीकर।

महिला कांग्रेस नेत्री ने कहा कि भारतीय संविधान की कद्र न करने वाले इन चौथी फेल, लोकतंत्र के हत्यारों की ये ही सोच और मानसिकता है की जो संसद में विरोध करे उसे सस्पेंड कर दो, जो पत्रकारिता करते हुए सच लिखे उस पर मुक़दमा कर दो, जो फैक्ट चेक करके सच सामने लाए उसे जेल में डाल दो, जो बिजनेसमैन सत्ता के ख़िलाफ़ बोले उस पर ईडी लगा दो। लेकिन ये किस किस का मुँह बंद करेंगें? अब जनता जाग गई है इनकी असलियत पहचान गई है। उन्होंने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा की मोदी को पत्नी मुक्त जीवन, कांग्रेस मुक्त देश, विपक्ष मुक्त संसद और प्रश्न मुक्त गोदी मीडिया चाहिए।

कांग्रेस नेत्री वर्मा ने कहा कि हमने अपने पूरे जीवन में आज तक ऐसा घटिया इंसान कभी नहीं देखा, मणि शंकर अय्यर ने उनके बारे में बिल्कुल सही कहा था वह बात अब इन्होंने खुद साबित कर दी, सब चुप रहो पनौती पागल हो गया। लेकिन इन जुमलेबाजो को अब समझ लेना चाहिए की हम अकेले नहीं है देश के करोड़ों लोगों की आवाज हमारे साथ है। उन्होंने कहा कि इस नई संसद में लोकतान्त्रिक मूल्यों का गला उस दिन ही घोंट दिया गया था जिस दिन संगोल राजदण्ड की स्थापना हुई।

कांग्रेस नेत्री ने कहा कि संसद में विपक्ष अगर सवाल नही करेगा या जनता के हितों की आवाज नहीं उठाएगा तो क्या सांसद सिर्फ संसद की कैंटीन में समोसा खाने जायेंगें? संसद का मतलब ही सवाल जवाब है लेकिन अनपढ़, डरपोक और धूर्त तानाशाह इन बातों को नही समझ सकता। लेकिन “जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। वाली बात इन पर पूर्णतया लागू होती है। उन्होंने कहा की जिस असंवैधानिक तरीके से सांसदों का निलंबन किया है उससे साफ लगता है की अब सदन में जनता की आवाज़ नहीं गूंजेगी। सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ सुनाई जाएगी, जिसमें जन की बात नहीं होगी।

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