हरियाणा के 538 सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए टॉयलेट नहीं,

सरकारी स्कूलों में न कमरे, न बाउंड्री वॉल, न पीने के पानी की सुविधा, न टॉयलेट, न बिजली

पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को लगाया 05 लाख रुपए का जुर्माना

चंडीगढ़, 25 नवंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा कांग्रेस कमेटी की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार सिर्फ आंकड़ों का ही खेल खेलकर जनता को गुमराह कर रही है जबकि धरातल पर कोई काम नहीं दिख रहा है। सरकारी स्कूलों में न कमरे, न बाउंड्री वॉल, न पीने के पानी की सुविधा, न टॉयलेट और न बिजली है।  प्रदेश के  538 सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए टॉयलेट नहीं जबकि सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और खुले में शौच मुक्त भारत का ढिंढोरा पीट रही है, एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार पर इसके लिए  05 लाख रुपए का जुर्माना किया है। साथ ही अगली पेशी पर चीफ सेक्रेटरी को कोर्ट में पेश होने के आदेश जारी किए है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि गठबंधन सरकार केवल और केवल जुमलों की सरकार है, सरकारी स्कूल बुनियादी सुविधाओं के मोहताज है,सारी सुविधाएं केवल कागजों तक सीमित है। ये सरकार सच को दबाकर झूठ को इतना फैलाती है कि लोग उसे ही सच मान लेते है पर जब सच्चाई सामने आती है तो लोग स्वयं को ठगा महसूस करते है, आज प्रदेश का कोई भी व्यक्ति सरकार की किसी बात पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं क्योंकि सबको पता चल चुका है कि यह जुमलों की सरकार है। कैथल जिला के बालू स्कूल के छात्रों ने सरकारी स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर याचिका दायर की थी जिस पर कोर्ट ने प्रदेश सरकार से स्कूलों में दी जा रही मूलभूत सुविधाओं के बारे में जानकारी मांगी थी।  रिपोर्ट से पता चला कि 131 स्कूलों में पीने का पानी नहीं हैं, 236 स्कूलों में बिजली का कनेक्शन नहीं हैं, लड़कियों के 538 और लडक़ों के 1047 स्कूलों में शौचालय नहीं हैं। यह भी पता चला कि प्रदेश में विद्यार्थियों के लिए 8240 क्लासरूम की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एजूकेशन स्कूलों में जहां पर शौचालयों की कमी है वहां पर लड़कियों के साथ स्कूलों में सेक्सुअल हर्शमेंट होती रही हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश और केंद्र सरकार का नारा है बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, खुले में शौच मुक्त भारत, हर घर टॉयलेट, पर बड़े शर्म की बात है कि  लड़कियों के स्कूलों में शौचालय नहीं है। हर घर नल हर घर जल का नारा भी थोथा साबित हो रहा है, जहां पर एक साथ हजारों विद्यार्थी विद्या अध्ययन करते है वहां पर पीने के पानी तक की सुविधा नहीं हैं। ऐसा लग रहा है सरकार प्राइवेट स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए ही सरकारी स्कूलों की अनदेखी कर रही है जैसे जैसे सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होती जाएगी सरकार को स्कूल बंद करने का बहाना मिल जाएगा। इसका जीता जागता उदाहरण है कि शिक्षा विभाग ने 10675.99 करोड़ की ग्रांट बिना उपयोग किए सरकार को भेज दी। अकेला शिक्षा विभाग ऐसा नहीं कर सकता जरूर इसमें सरकार की साजिश होगी, इसकी भी जांच करते हुए दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। सरकारी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की कमी सामने आने के बाद स्पष्ट हो गया है कि गठबंधन सरकार कुछ नहीं कर रही है यह केवल घोटालों की सरकार बनकर रह गई है। जनता सब जान चुकी है और अब इस सरकार के बहकावे में आने वाली नहीं है, जनता को तो केवल चुनाव का इंतजार है ताकि वह वोट की चोट से इस गठबंधन सरकार को बाहर का रास्ता दिखा सके।

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