दिवंगत पत्रकारों के परिजनों को मिलने वाली पेंशन सरकार ने बढ़ाने की जगह घटा दी: पूर्व केंद्रीय मंत्री सरकार ने पत्रकारों को एक हाथ से दी सुविधा तो दूसरे हाथ तत्काल छीन ली चंडीगढ़, 25 नवंबर। प्रदेश की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने समाज के हर वर्ग के साथ धोखा किया है। समाज को आईना दिखाने का कार्य करने वाले समाज के सबसे प्रबुद्ध नागरिक पत्रकारों के साथ छलावा करने में भी ये सरकार पीछे नहीं रही। सरकारी योजनाओं के नाम पर भी पत्रकारों को गुमराह करने का काम किया गया। फिलहाल सरकार ने पत्रकारों की पेंशन में इजाफा किया तो दूसरी ओर अधिसूचना जारी कर साफ कर दिया कि एक परिवार में एक ही सदस्य को पत्रकार पेंशन का लाभ दिया जाएगा। यानि सरकार एक हाथ से देकर दूसरे हाथ से छीनने का काम कर रही है, अगर पति- पत्नी पत्रकार है तो एक को ही पेंशन मिलेगी यानि सरकार महिलाओं को उनके मौलिक हकों से वंचित कर रही है। सरकार की इस धोखाधड़ी को लेकर पत्रकारों में भी रोष है। इतना ही नहीं पहले पेंशन पाने वाले पत्रकार के निधन पर उसके जीवन साथी ( यानि पत्नी या पति, जैसी भी स्थिति हो) को पूरी पेंशन पाने का हक़ था, लेकिन अब उसे घटाकर आधा कर दिया गया है। अर्थात् पहले पत्रकार के निधन होने पर उसके जीवन साथी को 10 हज़ार पेंशन मिलती थी और अब उसकी पेंशन 10 हज़ार से बढ़ाकर 15 हज़ार करने की बजाय सरकार ने घटाकर 7500 रुपए कर दिया है। इतना ही नहीं अब सरकार ने यह भी शर्त जोड़ दी है कि पत्रकार के खिलाफ कोई भी मामला दर्ज होते ही ( चाहे मामला झूठा ही हो) पत्रकार की पेंशन बंद कर दी जाएगी। आम तौर पर किसी को अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने या सजा सुनाये जाने के बाद ही कोई कार्रवाई की जाती है, लेकिन खट्टर सरकार पत्रकारों की पेंशन बंद करने के लिए इतनी उतावली है कि पत्रकार के खिलाफ अगर कोई झूठा मामला भी दर्ज करवा दे तो सरकार तुरंत उसकी पेंशन बंद कर देगी। कुमारी सैलजा ने सवाल किया कि क्या सरकार किसी अधिकारी, कर्मचारी, मंत्री या विधायक के खिलाफ कोई मामला दर्ज होता है तो उसके खिलाफ मामला दर्ज होते ही उसकी सभी सुविधाएँ बंद कर देती है या उसे दोषी ठहराए जाने तक इंतजार करती है। कुमारी सैलजा ने कहा कि अगर मामला दर्ज होते ही कार्यवाही होनी चाहिए तो मुख्यमंत्री खट्टर को तुरंत अपनी कैबिनेट से हटाना चाहिए और उन्हें मंत्री व विधायक के तौर पर मिलने वाली तमाम सुविधाएं भी वापस लेनी चाहिए। मीडिया को जारी बयान में अखिल भारतीय कांग्रेस की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य और हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की गठबंधन सरकार ने अब तक केवल जनता को गुमराह करने का कार्य ही किया है उसने समाज को आइना दिखाने वाली प्रबुद्ध कौम पत्रकारों को भी नहीं छोड़ा है। सरकार समाज के हर वर्ग के साथ भेदभाव करती है जबकि दावा यह है कि वह बिना किसी भेदभाव के काम करती है। सरकार की कथनी और करनी में अंतर है जो जनता को साफ दिखाई दे रहा है। सरकार ने पिछले दिनों पत्रकारों की पेंशन बढ़ाई तो पत्रकारों ने उसके लिए सरकार का आभार किया था पर पत्रकारों का क्या पता था कि अधिसूचना जारी कर सरकार ने पत्रकारों के हको पर कैंची चला दी है। सरकार की नई नीति के तहत परिवार में एक ही सदस्य को इस पेंशन का लाभ मिलेगा अगर एक परिवार में पति-पत्नी दोनों पत्रकार है तो आयु के हिसाब से पति को पहले पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी और पत्नी की आयु 60 वर्ष होने पर सरकार उसे पेंशन नहीं देगी। सरकार का यह फैसला सीधे सीधे महिलाओं के खिलाफ है, सरकार महिलाओं को उनके मौलिक हक से वंचित कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर एक परिवार में पति-पत्नी दोनों विधायक है, सांसद है, कर्मचारी और अधिकारी है तो क्या सरकार केवल एक को ही पेंशन देती है। जब वहां पर दोनों पेंशन के हकदार है तो पत्रकारों की पेंशन के मामले में ये भेदभाव क्यों। सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना से प्रदेश भर के पत्रकारों में भारी रोष है। सरकार को अपने फैसले को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकार समाज को आईना दिखाने का कार्य करता है सरकारी योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने का काम और लोगों की तकलीफ को सरकार तक पहुंचाने का काम पत्रकारों द्वारा किया जाता है। सरकार और लोगों के बीच की कड़ी है पत्रकार फिर भी सरकार उनका सम्मान करने के बजाए गलत नीति लागू कर उनका अपमान क्यों कर रही है। पत्रकार लोकतंत्र की सबसे मजबूत कड़ी है। Post navigation धरातल पर कोई काम नहीं, सिर्फ आंकड़ों का खेल खेल रही है गठबंधन सरकार : कुमारी सैलजा बेहद शर्मनाक : भाजपा सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए शौचालय की सुविधा न दे पाना : अभय सिंह चौटाला