-कमलेश भारतीय हिसार में नाटक मंचन की परम्परा बहुत समय से चली आ रही है । रामलीला मंचन का प्रभाव भी देखने को मिला, जो कटला रामलीला मैदान से शुरू हुई, अब पुराने गवर्नमेंट मैदान और बिजली कालोनी में भी रामलीला होने लगी है। प्रसिद्ध एक्टर यशपाल शर्मा ने रामलीला से ही अभिनय की शुरुआत की और फिर मुम्बई में लगान से लेकर दादा लखमी तक का सफर तय कर चुके हैं। वैसे रामलीला का मंचन मनीष जोशी भी करते आ हैं। वैसे इन दिनों मनीष रंग आंगन उत्सव के लिए जाने जाते हैं जिसका जिक्र इंडिया टुडे में भी आया। विष्णु प्रभाकर भी हिसार में रहते समय नाटकों में भाग लेते रहे।उन्होंने एक इंटरव्यू में यह बताया था। यह कहते हुए कि माशाअल्लाह तब चेहरा भी खूबसूरत था।वे बीस साल हिसार में रहे।इनके बाद की पीढ़ी में राजीव मनचंदा, रवि मेहता, राजीव भाटिया , वंदना भाटिया, अनूप मीचूज, सतीश कश्यप गुलशन भुटानी, लोकेश खट्टर , बलजिंद्र शर्मा, रवि चौहान,संध्या शर्मा, रामनारायण गर्ग, सुनील शेखू, वीणा वर्मा, नवीन निषाद , रमन नास्सा, रेखा कथूरिया , पूनम जांगडा, निधि चौधरी, गगनदीप, गुलशन थरेजा, शिव बांगां , राखी जोशी, विक्की मेहता, सौरभ ठकराल, अनूप बिश्नोई, स्नेहा बिश्नोई, रिम्स लीखा, कल्पना सुहासिनी, संजना कश्यप आदि आये। सतीश कश्यप और संध्या शर्मा सांग मंचन के लिए जाने जाते हैं। सतीश कश्यप अब फिल्मों व धारावाहिकों में भी काम करने लगे हैं । कितने कलाकार पर्दे के पीछे रहते हैं । राजीव मनचंदा, विजय लक्ष्मी, राजेश कपूर और जगत जाखड़ जैसे कलाकार साथ छोड़ गये पर उनका योगदान भुलाया नहीं जा सकता। जगत जाखड़ चंद्रावल के हीरो थे। हिसार में और बहुत से कलाकार हैं जिनके नाम तुरंत याद नही आये । बहुत से पुराने कलाकार हैं। वे मेरी भूल और याददाश्त को माफ कर देंगे । वे भी हिसार में नाटक मंचन की नींव बने। यशपाल शर्मा ने दादा लखमी फिल्म बनाई तो राजीव भाटिया ने पगड़ी-द आनर। दोनों फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। गिरीश धमीजा ने खूब नाम कमाया और नाटकों के बाद संवाद लेखक बने और यकीन फिल्म भी बनाई। चिराग भसीन ने भी हरियाणवी फिल्में बनाईं जो ज्यादा करिश्मा न दिखा सकीं। यशपाल और मीचूज की जोड़ी ने गुलज़ार को लाकर टिकट खरीद कर नाटक देखने की परम्परा शुरू की , जिसे मनीष जोशी ने कुछ हद तक अपनाया। ज्यादातर नाटक बाल भवन में होते हैं जो बिना टिकट ही मंचित होते हैं। कुछ नाटक जिंदल कंपनी के तुलसी सभागार में होते हैं। मनोज बंसल नाटक मंचन को प्यार करते हैं और सहयोग के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। बाल भवन को नाटक मंचन के लिए सुधार की बहुत आवश्यकता है, जिसकी ओर ध्यान देने की जरूरत है। हिसार के कलाकार संभवतः वर्ष भर में सबसे ज्यादा नाटक मंचित करते है़। फिर सुविधाओं की कमी क्यों? Post navigation ओबीसी समाज प्रदेश में जातिगत जनगणना की मांग को लेकर 17 फरवरी को रोहतक में करेगा गर्जना रैली क्यों नहीं अभिभावकों को सरकारी स्कूलों पर भरोसा ?