भैया दूज पर विशेष सत्संग; इंसान का लालच और स्वार्थ सब नातों को खराब करता है : कंवर साहेब

कहा: अपने आप को सुधार लो बाकी सब सुधर जाएगा
— जब तक दिल का हुजरा साफ नहीं तो भक्ति कैसे करोगे : कंवर साहेब
कहा: पवित्र अन्न ही आपके मन को पवित्र रखता है।

 चरखी दादरी/रोहट जयवीर सिंह फौगाट,

15 नवंबर, – भैया दूज का त्योहार हिंदुस्तान की संस्कृति को दर्शाता है। हमारे देश में भाई बहन का नाता इतना पाक पवित्र और मजबूत है कि भाई बहन एक दूसरे पर अपनी जान भी वार देते हैं। यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने सोनीपत के रोहट कस्बे में रोहतक रोड़ पर स्थित राधास्वामी आश्रम में फरमाए। भैया दूज पर साध संगत को सत्संग देते हुए गुरु महाराज जी ने फरमाया कि भैया दूज की अनेक कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से एक यह भी है कि एक बहन थी जिससे मिलने उसका भाई आया तो रास्ते मे अनेक बाधाएं आई। नदी ने कहा मैं तुम्हे निकलने नहीं दूंगी। सांप मिला तो बोला कि मैं तुझे काटूंगा। इसी प्रकार शेर मिला तो बोला तुझे खाऊंगा। सबको भाई ने कहा कि मैं मेरी बहन से मिल आऊं वापिस आते वक़्त जो तुम चाहो मेरे साथ कर लेना। बहन से मिल कर जब जाने लगा तो बहन ने लड्डू दिए लेकिन लड्डुओं में कोई जहरीला जानवर मर गया था। बहन को जब पता लगा तो वो भाई के पीछे भागी। रास्ते मे उसे होनी मिली, बोली मैं तेरे भाई को खाऊँगी लेकिन वो तभी टलेगी जब तू साथ होगी। बहन साथ वापिस गई। सांप, शेर और नदी को उसने भेंट चढ़ाई और अपने भाई को बचाया। ये हमारे देश की संस्कृति है।

उन्होंने कहा कि नेक इंसानों की बड़ाई आज युगों बाद इसीलिए होती है कि नेकी को सदेव मान सम्मान मिलता है। नेक इंसानों से प्रेरणा पाकर हम अपने अवगुणों को भी सद्गुणों में तब्दील कर सकते है। वक़्त बड़ा बलवान है। वक़्त के फेर में हम कई बार गलत कर बैठते हैं क्योंकि हम मान बड़ाई में फंसे बैठे हैं। बाद में हमे अपनी करनी का पछतावा भी होता है लेकिन गया वक़्त वापिस नहीं आता। सन्तों की शरण मे जाकर ही हम वक़्त के फेर को पलट सकते हैं। आप जो कर्म करते हो उसका हजार गुना फल मिलता है। जमींदार एक बीज डालता है और बदले में हजारों बीज पाता है। इसी प्रकार कर्म का खेल भी है, इसलिए कर्म करो तो सोच समझ कर करो। हुजूर ने कहा अलि, पतंगा, मृग, मछली और हाथी अपनी इंद्री के स्वाद के बश में होकर अपना जीवन खो देते हैं तो इंसान के तो पांच हैं फिर वो कैसे बचें। वो बच सकता है केवल सतगुरु की शरणाई से।

उन्होंने फरमाया कि लालच और स्वार्थ ही इंसान के नातों को खराब करते हैं। अपने आप को सुधारो बाकी सब सुधर जाएगा। गुरु के हो तो गुण ही ढूढना। दुनिया आपकी लाख बुराई क्यों ना करे आप अपनी लीक मत छोड़ो। किसी चीज का अभिमान मत करो केवल परमात्मा के भाने में रहो। परीक्षाएं आती जाती रहेंगी। गुरु की ताकत आपको डिगने नहीं देती। हुजूर ने एक प्रसंग सुनाते हुए कहा कि गुरु अर्जुन देव का शिष्य जब उनका प्रसाद लेकर जा रहा था तो जोर से बारिश हो गई। शिष्य ने प्रार्थना की कि मैं गुरु का खाना लेकर जा रहा हूँ बारिश बाद में होना, बारिश रुक गई। जब गुरु के पास पहुंचा तो गुरु महाराज ने नाराज होकर मुह फेर लिया। शिष्य पैरों में गिर गया। गुरु महाराज जी बोले कि तूने अपने स्वार्थ में असंख्य जीवो का नुकसान किया है। इस बारिश के कारण ना जाने कितने जीवो को जीवन मिलना था। हुजूर ने कहा कि रहो तो परमात्मा की मौज में रहो।

उन्होंने कहा कि शिष्य का पावर हाउस गुरु है। गुरु रूठा तो शिष्य का जगत ही रुठ गया। जिस प्रकार पावर हाउस से लाइट कट होने पर आपके घरों की लाइट नहीं जलती उसी प्रकार बिना गुरु के इंसान की भक्ति की लाइट भी नहीं जलती। उन्होंने चेताया कि अपने शरीर को शरीर ना मानो। गुरु की रहमत पाकर फकीरी में जीवन जीवो। जैसे आपके विचार होंगे वैसे ही आप दूसरों पर असर डालते हो। भला करोगे तो भला होगा। प्रकृति का यही नियम है। शुद्ध हृदय में ही शुद्ध विचार पनपते हैं। ईमानदारी से जीवन यापन करो। जब दिल का हुजरा ही साफ नहीं है तो भक्ति कैसे कर पाओगे। धोखा करने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। आत्मा परमात्मा की रूप है। गुरु सैदेव आपका हित ही चाहता है। गुरु का हर वचन हितकारी है क्योंकि वो परमात्मा का रूप है। हुजूर ने भैया दूज के त्योहार की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भैया दूज का त्योहार केवल भाई बहन के प्रेम का प्रतीक भर नहीं है अपितु ये हमारी समृद्ध जड़ो की और इशारा करता है।उन्होंने कहा कि इसके अलावा भी अनेको लौकिक कथाएं हैं। कथाएं चाहे कितनी ही हो लेकिन उनका सन्देश हमेशा सकारात्मक ही होता है।

उन्होंने कहा कि दुनिया में सुखी रहने के दो ही रास्ते हैं, गलती हो जाए तो माफी मांग लो और दूसरा गलत है तो माफ कर दो। सन्तो की बात पर अमल किया करो। धोखा धड़ी को छोड़ कर परमात्मा की शरणाई रहो। अपने जीवन को पाक साफ करो। मेहनत का अन्न खाओ। पाक पवित्र अन्न आपके मन को पाक पवित्र रखता है। हक हलाल की कमाई खाओ। पर त्रिया और पर धन से कभी नेह ना लाओ। प्रकृति की रक्षा करो। सन्तान को अच्छे संस्कार दो। घरों में प्यार प्रेम बना कर रखो। उन्होंने कहा कि परमात्मा की भक्ति के तो बड़े साधारण से नियम हैं। घर में प्यार प्रेम हो, बड़े बुजुर्ग मां बाप की सेवा हो, परोपकार के संस्कार हो तो वो घर मंदिर है और उस घर के सारे कार्य भजन ध्यान हैं। गुरु जी ने कहा कि आज एक संकल्प लेकर जाओ कि हम अपने जीवन को पाक साफ रखेंगे। मेहनत का अन्न खाएंगे। पाक पवित्र अन्न आपके मन को पाक पवित्र रखता है। हक हलाल की कमाई खाओ। पर त्रिया और पर धन से कभी नेह ना लगाओ। प्रकृति की रक्षा करो। सन्तान को अच्छे संस्कार दो। घरों में प्यार प्रेम बना कर रखो।

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