कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर जिले से मिल रही हैं बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े की सूचनाएं
मिलर्स पहले भी लगा चुके प्रदेश सरकार को चूना, ठोस कार्रवाई न होने से हौंसले बुलंद

चंडीगढ़, 30 अक्तूबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य एवं हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के सांठगांठ के चलते राइस मिलर्स ने धान की खरीद में बड़ा फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपये का घालमेल किया है। उत्तर प्रदेश से सस्ता धान लेकर अपने गोदाम भर लिया हैं, जबकि प्रदेश सरकार को मार्केट फीस तक नहीं दी। इस फर्जीवाड़े में मिलर्स का साथ खरीद एजेंसियों से जुड़े कुछ अधिकारी भी बखूबी दे रहे हैं। ऐसे में धान की खरीद में जुटे सभी मिलर्स की फिजिकल वेरिफिकेशन की जानी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके। भ्रष्टाचार मुक्त शासन और प्रशासन की बात करने वाली सरकार ऐसे घोटालों की कैसे अनदेखी करती आ रही है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि चीका की मंडी में मिल चुका करीब साढ़े पांच करोड़ का फर्जीवाड़ा कोई नई बात नहीं है। इस तरह के फर्जीवाड़े की शिकायतें उनके पास कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर जिले की मंडियों से भी लगातार पहुंच रही हैं। इन शिकायतों में इसी तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं, जो मार्केटिंग बोर्ड की जांच में पकड़ में आए हैं। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है, हर साल हो रहा है, बल्कि ठोस कार्रवाई के अभाव में इस तरह का फर्जीवाड़ा लगातार बढ़ रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मिलर्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न होने से उनके हौंसले बुलंद हैं। भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में शामिल नेता इनके इस खेल में हिस्सेदार हैं और इसी वजह से एक बार भी इनके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की जाती। इसके विपरीत इन्हें हर बार शह दी जाती है और पहले के मुकाबले और अधिक बड़ा फर्जीवाड़ा ये करते हैं। जब भी धान खरीद का सीजन आता है जमकर घोटाला किया जाता है हर बार जांच की बात कही जाती है पर आज तक कोई जांच नहीं हुई, इस सरकार ने विपक्ष के  शोर मचाने पर धान घोटाले और शराब घोटाले की कथित जांच करवाई थी जिसकी रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई क्योंकि जांच में अपनों के हाथ ही काले दिखाई  दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की नाक के तले अफसर व राइस मिलर्स हर साल करोड़ों रुपये के चावल घोटाले को अंजाम देते आ रहे हैं। साल 2014 में भाजपा की सरकार बनने से साल 2021 तक 200 करोड़ का चावल घोटाला सामने आ चुका है, जबकि इस साल 38 करोड़ रुपये का चावल और डकार लिया गया। यह वह चावल था, जो सीएमआर स्कीम के तहत प्रदेश सरकार को वापस लौटाना था।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हर साल इस स्कीम में बड़ा खेल होता है, जो सिर्फ मिलर्स अपने स्तर पर नहीं खेल सकते। नियमों को ताक पर रखते हुए अफसर भी बार-बार इसे जमा कराने का समय बढ़ाने का खेल खेलते रहते हैं। मिलर्स चावल के महंगा होने की सूरत में इसे सरकार को देने की बजाए ओपन मार्केट में बेच देते हैं। इसके अलावा फोर्टिफाइल चावल के नाम पर भी प्रदेश में मिलर्स बड़ा घोटाला कर चुके हैं। एक बार भी ठोस कार्रवाई न होने के कारण हर बार और अधिक मजबूती से करोड़ों रुपये के घोटाले को अंजाम देना इनकी फितरत बन चुकी है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार वाकई सच के साथ खड़ी है और भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई करना चाहती है तो ईमानदारी से प्रदेश की सभी राइस मिलों के स्टॉक की वेरिफिकेशन करवाए तो सरकार को पता चल जाएगा कि धान कहां से आ रहा है कौन खरीद रहा है और मार्केटिंग बोर्ड को फीस के नाम पर करोड़ों का चूना लगा रहा है। सच तो यह है कि इस सरकार में घोटालों के सिवाय कोई काम ही नहीं हुआ। ऐसे घोटाले बिना किसी संरक्षण के नहीं हो सकते। इस घोटालेबाज सरकार को ये जनता ही सबक सिखाकर रहेगी क्योंकि लोकतंत्र में जनता ही सबसे बड़ी शक्ति होती है।

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