दिल्ली हरियाणा एनसीआर में 3 वर्ष पुराने कार, स्कूटर एवं मोटरसाइकिल के रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर पर भी लगा दी गई ग़ैरकानूनी पाबंदी।

गुरूग्राम, 30 अक्तुबर। भारत के कानून एवं माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए 3 वर्ष पुराने कार, स्कूटर एवं मोटरसाइकिल के रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर पर भी दिल्ली एनसीआर एवं हरियाणा एनसीआर में थोप दी गई ग़ैरकानूनी पाबंदी। गुड़गांव कोर्ट में हरियाणा एवं केंद्र के IPS IAS अधिकारियों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज, गुड़गांव कोर्ट ने लिया संज्ञान, समन किए जारी।

दिल्ली हरियाणा एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों पर ग़ैरकानूनी प्रतिबंध के बाद 3 वर्ष पुराने कार, स्कूटर एवं मोटरसाइकिल के अंतरराज्यीय रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर पर भी ग़ैरकानूनी पाबंदी लगा दी गई है।

इस ताज़ा नई ग़ैरकानूनी पाबंदी को एक ग़ैरकानूनी एवं एक सोची समझी साजिश करार देने के मामले में एक कानूनी चुनौती ने यथास्थिति को हिला कर रख दिया है।

एक नाटकीय मोड़ में, वकील मुकेश कुल्थिया ने गुड़गांव अदालत में हरियाणा प्रदेश एवं केंद्रीय परिवहन मंत्रालय के उच्च पदस्थ आईपीएस आईएएस अधिकारियों के खिलाफ एक विस्फोटक आपराधिक मामला दर्ज करवा दिया है।

इस कानूनी टकराव का केंद्र बिंदु है दिल्ली एनसीआर में 3 वर्ष पुराने कार, स्कूटर एवं मोटरसाइकिल के रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर पर भी ग़ैरकानूनी पाबंदी, जिसे कुल्थिया ने ‘कारबंदी घोटाला’ का नाम दिया है।

मामले पर संज्ञान लेते हुए माननीय गुड़गांव न्यायालय की मजिस्ट्रेट सुश्री हिमानी गिल की कोर्ट ने नवदीप सिंह विर्क -आईपीएस सचिव परिवहन मंत्रालय हरियाणा एवं सचिव सड़क परिवहन मंत्रालय भारत सरकार अरामाने गिरधर-आईएएस, सुश्री अलका उपाध्याय-आईएएस, अनुराग जैन-आईएएस एवं अन्य अधिकारियों के कार्यालयों को भी समन जारी कर दिए हैं।

इस कानूनी विषय के केंद्र में एडवोकेट मुकेश कुल्थिया का कानूनी दावा एवं तर्क यह है कि किसी भी कानून में दिल्ली एनसीआर में 3 वर्ष पुराने कार, स्कूटर एवं मोटरसाइकिल के रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर पर कोई पाबंदी है ही नहीं इसलिए ये पाबंदी ग़ैरकानूनी है।

उनका कानूनी दावा है कि साजिश में शामिल अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का गलत इस्तेमाल करके ये गैरकानूनी प्रतिबंध लगा रहे हैं। उनका कानूनी दावा है कि साजिश में शामिल अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के यूरो 6 मानक के आदेशों का गलत व्याख्यान कर इन आदेशों को तोड़ मरोड़ कर इन आदेशों का झूठा हवाला देते हुए ये गैरकानूनी प्रतिबंध लगा रहे हैं। 

कुल्थिया के दावे के अनुसार इस ग़ैरकानूनी प्रतिबंध के पीछे का मकसद मिडिल क्लास एवं लोअर मिडिल क्लास की रोजी रोटी कमाने के साधन वाले वाहनों को स्क्रैप कर इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ावा दे कर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को आर्थिक मुनाफा पहुंचाना है एवं आम जनता को बर्बाद कर देना है।

कुल्थिया का दावा है कि साजिश में शामिल अधिकारियों की लिस्ट और भी लंबी है जो उचित दस्तावेजों के साथ माननीय न्यायालय में जल्द ही पेश की जाएगी।

कुल्थिया का कहना है कि इस साजिश के पाप में इन साजिशकर्ताओं ने देश के मीडिया को गुमराह कर उसे भी इस पाप का भागीदार बना दिया है जिस कारण इस साजिश की हकीकत आज तक उजागर नहीं हो पाई।

दिल्ली एनसीआर में 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल कारों पर ग़ैरकानूनी प्रतिबंध के बाद अब 3 वर्ष पुराने वाहनों पर भी ग़ैरकानूनी प्रतिबंध लगा दिया गया है।

प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए सरकार ने कड़ा रुख अपनाया। फिर भी, एक मुखर वकील के कानूनी आधार पर दर्ज दावे ने इस कहानी के हालिया मोड़ में इस प्रतिबंध को सवालों के घेरे में डाल दिया है। वकील मुकेश कुल्थिया का कहना है कि वो इस मामले में किसी भी मुवक्किल का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं, बल्कि, वो एक चिंतित नागरिक हैं और व्यक्तिगत रूप से इस ग़ैरकानूनी प्रतिबंध से पीड़ित हैं अतः माननीय अदालत में, सडक से लेकर संसद तक एवं  तमाम मीडिया एवं जनता के बीच इस ग़ैरकानूनी साजिश घोटाले प्रतिबंध के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने का कानूनी एवं संवैधानिक अधिकार रखते हैं।

कुल्थिया के तर्क का सार संशोधित मोटर वाहन अधिनियम पर केंद्रित है, जिसके अनुसार अप्रैल 2020 के बाद रजिस्टर्ड होने वाले वाहन यूरो 6 मानक होने का प्रावधान है, इस दृष्टिकोण से, कुल्थिया ने एक वाजिब विस्फोटक दावा किया है कि अप्रैल 2020 से पहले रजिस्टर्ड हो चुके वाहनों पर यूरो 6 मानक लागू नहीं होते और इस ग़ैरकानूनी प्रतिबंध की साजिश में शामिल अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का गलत इस्तेमाल करके ये गैरकानूनी प्रतिबंध लगा रहे हैं जिस साजिश का मक़सद मिडिल क्लास एवं लोअर मिडिल क्लास की रोजी रोटी कमाने के साधन वाले वाहनों को स्क्रैप कर इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ावा दे कर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री एवं स्क्रेपिंग एजेंसियों को आर्थिक मुनाफा पहुंचाना है एवं आम जनता को बर्बाद कर देना है।

कोई शक नहीं कि गुड़गांव निवासी एडवोकेट मुकेश कुल्थिया ने एक ज्वलंत विस्फ़ोट करते हुए देश के अत्यंत ज्वलनशील घोटाले का पर्दाफ़ाश करते हुए इस घोटाले की जड़ें तो खोद ही डाली हैं।

एडवोकेट मुकेश कुल्थिया के अनुसार देश के कानून, देश की माननीय अदालत के साथ साथ देश की ईमानदार मीडिया पर मुकेश कुल्थिया एवं जनता की उम्मीदें जिंदा है और ये ग़ैरकानूनी प्रतिबंध अब और ज्यादा समय नहीं टिक पाएँगे।

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