पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 और 18 के तहत संपत्तियों के हस्तांतरण के दस्तावेजों के पंजीकरण के उद्देश्य से हरियाणा में प्रत्येक उप-मंडल को एक उप-जिला के रूप में किया गठित कैबिनेट ने इससे संबंधित एक प्रस्ताव को दी मंजूरी चंडीगढ़, 11 अक्टूबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 और 18 के तहत संपत्तियों के हस्तांतरण के दस्तावेजों के पंजीकरण के उद्देश्य से प्रत्येक उप-मंडल को एक उप-जिला के रूप में बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। प्रस्ताव में कहा गया है कि जनता को व्यापक विकल्प प्रदान करने के लिए प्रत्येक उप-मंडल अधिकारी (नागरिक) के कार्यालय को उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय के रूप में तथा प्रत्येक जिला राजस्व अधिकारी के कार्यालय को भी प्रत्येक संबंधित उप-जिला के संयुक्त उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय के रूप में स्थापित करना उचित समझा गया है। इसके अलावा प्रत्येक उपमंडल अधिकारी (नागरिक) को संबंधित उप-जिले के उप-पंजीयक, प्रत्येक जिला राजस्व अधिकारी, उसके तैनाती स्थान के उप-जिले के संयुक्त उप-पंजीयक के रूप में नामित करने का निर्णय लिया गया है। पंजीकरण अधिनियम, 1908 (1908 का केन्द्रीय अधिनियम 16) की धारा 17 और 18 के तहत संपत्तियों के हस्तांतरण के दस्तावेजों के पंजीकरण के प्रयोजनों के लिए प्रत्येक तहसीलदार और नायब-तहसीलदार संबंधित उप-जिले का संयुक्त उप-रजिस्ट्रार होगा , जैसे कि समय-समय पर संशोधन किए गए हैं। इसके परिणाम स्वरूप 30 जून 2023 को राज्य के सभी मंडलायुक्तों, उपायुक्तों-सह-जिला रजिस्ट्रारों, उपमंडल अधिकारियों (नागरिक), जिला राजस्व अधिकारियों, तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों आदि को आदेश जारी किए गए हैं। हरियाणा सरकार के सभी विभागों, बोर्डों, निगमों, पीआरआई और यूएलबी के लिए राज्य में भूमि की बाजार दर के निर्धारण के लिए नीति में किया गया संशोधन नीति का उद्देश्य सरकार के कई विभागों, जिनमें उनकी इकाइयां भी शामिल हैं, को अपनी छोटी प्रकृति की अप्रयुक्त भूमि को निजी निकायों को हस्तांतरित करने में आने वाली कठिनाइयों को दूर करना चंडीगढ़, 11 अक्टूबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य सरकार के सभी विभागों, बोर्डों, निगमों, पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों के लिए राज्य में भूमि की बाजार दर निर्धारित करने की नीति में संशोधन किया गया है। जो कि पहले 25 नवंबर, 2021 को अधिसूचित की गई थी। इस नीति को राज्य में सरकार के सभी विभागों, बोर्डों, निगमों और पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों के लिए भूमि की बाजार दर निर्धारण नीति कहा जाएगा। वर्तमान संशोधन का उद्देश्य ‘उच्च स्तरीय भूमि खरीद समिति’ शब्दों में लिपिकीय त्रुटि को ‘उच्च अधिकार प्राप्त भूमि खरीद समिति’ के रूप में सही नामकरण के रूप में प्रतिस्थापित करना है, जो कि 2017 की सरकार की विकास परियोजनाओं के लिए स्वैच्छिक रूप से प्रस्तावित भूमि की खरीद की नीति में पहले से ही गठित किया गया है। इसके अलावा, इस समिति की परिभाषा को उक्त नीति में बिल्कुल वैसा ही डाला गया है जैसा कि 2017 की नीति में उल्लिखित है, ताकि स्पष्टता और पारदर्शिता लाई जा सके। मृत पुलिस कर्मियों के आश्रितों को बड़ी राहत हरियाणा मंत्रिमंडल ने मृत पुलिस कर्मियों के 50 आश्रितों को क्लर्क के पदों पर नियुक्ति प्रदान करने के लिए एक्स पोस्ट फैक्टो को दी मंजूरी चंडीगढ़, 11 अक्तूबर- मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा सिविल सेवा (नियुक्ति की अनुकंपा वित्तीय सहायता), नियम, 2019 के तहत मृत पुलिस कर्मियों के 50 आश्रितों को क्लर्क के पद पर नियुक्ति प्रदान करने के संबंध में एक्स-पोस्ट-फैक्टो मंजूरी प्रदान की। पुलिस विभाग में केवल 13 पद अनुग्रह कोटा (प्रत्यक्ष कोटा के 250 स्वीकृत पदों में से 5 प्रतिशत) के अंतर्गत आते हैं और सभी 13 पद हरियाणा सिविल सेवा (अनुकंपा वित्तीय सहायता या नियुक्ति) नियम, 2019 के तहत निर्धारित प्रावधानों के अनुसार भरे हुए हैं। अनुकंपा के आधार पर क्लर्क के पद पर नियुक्ति के लिए कोई रिक्ति नहीं है। अनुग्रह कोटा पदों की अनुपलब्धता के कारण मृत व्यक्तियों को वित्तीय पक्ष के अंतर्गत गंभीर कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। लिपिकों के अनुग्रह कोटे के पद उपलब्ध न होने के कारण मृत कर्मचारियों के आश्रितों को नियुक्तियाँ नहीं दी गईं। अत: क्लर्क के 50 रिक्त पदों (जो सीधे कोटे के अंतर्गत आते हैं) के नियमों में एक बार छूट की मंजूरी दी गई है, ताकि पुलिस विभाग में क्लर्क के सीधे कोटे के पदों पर 50 आश्रितों को नियुक्ति दी जा सके। हरियाणा ने मध्यम और कम क्षमता वाले शहरों का सतत विकास हासिल करने के लिए डीडीजेएवाई किफायती प्लॉटेड हाउसिंग नीति 2016 में संशोधन कैबिनेट ने संशोधन को इसलिए दी मंजूरी हैं क्योंकि मध्यम और कम क्षमता वाले शहर अधिकांश प्लॉट वाली कॉलोनियों को आकर्षित करते हैं मध्यम और निम्न क्षमता वाले शहरों में नीति उत्साहजनक चंडीगढ़, 11 अक्टूबर- हरियाणा मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई कैबिनेट की बैठक में मध्यम और कम क्षमता वाले शहरों का तेजी से विकसित करने के लिए दीन दयाल जन आवास योजना (डीडीजेएवाई) में किफायती प्लॉटेड हाउसिंग नीति 2016 के खंड 2 (1) में संशोधन को मंजूरी दी गई। मध्यम और निम्न क्षमता वाले शहरों में डीडीजेएवाई नीति उत्साहजनक है। मध्यम और निम्न क्षमता वाले शहर ग्रुप हाउसिंग कॉलोनियों की बजाय अधिकांश प्लॉट वाली कॉलोनियों को आकर्षित करते हैं। हालांकि, यह संज्ञान में आया है कि इन शहरों का सीमित विकास हुआ है। इसलिए यह संशोधन किया गया हैं। संशोधन अनुसार मध्यम और निम्न क्षमता वाले शहरों के लिए यदि किसी शहर का डीडीजेएवाई लाइसेंस प्राप्त कुल क्षेत्र के आवासिय क्षेत्र (मौजूदा शहर क्षेत्र को छोडक़र) से 10 प्रतिशत से कम है तो फाईनल डिवलेपमेंट प्लान के संबंधित शहर प्रत्येक सेक्टर में डीडीजेएवाई लाइसेंस की अनुमति के लिए नेट नियोजित क्षेत्र की 60 प्रतिशत की सीमा होगी जब तक प्रत्येक सेक्टर में यह 5 प्रतिशत तक नहीं पहुंच जाती तब तक उस पर 50 प्रतिशत की एनपीए सीमा नहीं होगी, जब तक यह 10 प्रतिशत तक नहीं पहुंच जाती। संबंधित शहरों के फाईनल डिवलेप प्लान के आवासीय क्षेत्र के 10 प्रतिशत क्षेत्र की उपर्युक्त सीमा का जब भी उल्लंघन होता है ओर किसी सेक्टर के आवासीय क्षेत्र में 40 प्रतिशत की सीमा में नेट नियोजित क्षेत्र पहुंच जाता है तो उस पर डीडीजेएवाई लाइसेंस नीति तुरंत प्रभाव लागू हो जाएगी। हरियाणा कैबिनेट ने मीडियाकर्मियों की पेंशन में बढ़ोतरी के प्रस्ताव को दी मंजूरी पेंशन योजना में संशोधन के बाद मीडियाकर्मियों की पेंशन 10,000 रुपये से बढक़र 15,000 रुपये हुई चंडीगढ़, 11 अक्टूबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में मीडिया कर्मियों के हित में एक और अहम निर्णय लिया गया। इस संबंध में हरियाणा के 60 वर्ष से अधिक आयु के मान्यता प्राप्त मीडियाकर्मियों के लिए पेंशन योजना में संशोधन से संबंधित एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इस निर्णय के बाद राज्य सरकार द्वारा पहले से चलायी जा रही पत्रकार पेंशन योजना के तहत मान्यता प्राप्त मीडिया कर्मियों की पेंशन 10,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये प्रतिमाह दी जाएगी। हरियाणा राज्य में वेतन/पारिश्रमिक के आधार पर पत्रकारिता के क्षेत्र में कम से कम 20 वर्षों का अनुभव रखने वाले 60 वर्ष से अधिक आयु के मीडियाकर्मी इस योजना के तहत मासिक पेंशन के हकदार हैं। मीडियाकर्मी को कम से कम पांच वर्षों के लिए सूचना, जनसंपर्क भाषा एवं सांस्कृतिक विभाग, हरियाणा से मान्यता प्राप्त होना चाहिए। किसी अन्य राज्य सरकार या समाचार संगठन से किसी भी प्रकार की पेंशन या मानदेय प्राप्त करने वाला मीडियाकर्मी भी पात्र होगा। हालाँकि, यदि कोई पात्र मीडियाकर्मी हरियाणा राज्य/केंद्र सरकार या किसी अन्य राज्य सरकार/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम से 15,000/- रुपये प्रति माह से कम राशि की पेंशन प्राप्त कर रहा है, तो इस योजना के तहत पेंशन की पात्रता उक्त संस्थानों से मिलने वाली पेंशन से कम हो जाएगी। योजना के तहत पेंशन प्राप्तकर्ता वृद्धावस्था सम्मान भत्ता प्राप्त करने के लिए अयोग्य होगा। पेंशन चाहने वाला आवेदक अगर हरियाणा का निवासी है तो उसको आधार कार्ड और परिवार पहचान पत्र की फोटो प्रतियां जमा करनी होंगी और अगर पात्र आवेदक हरियाणा का निवासी नहीं है तो उसको परिवार पहचान पत्र (अस्थायी) के साथ आधार कार्ड की प्रति जमा करनी होगी। योजना के तहत लाभ प्राप्त करने वाले मीडिया कर्मियों के लिए परिवार पहचान पत्र अनिवार्य होगा। लाभार्थी मीडियाकर्मी के निधन के मामले में, मासिक पेंशन राशि का आधा हिस्सा उसके जीवनसाथी को दिया जाता रहेगा, अगर उसे किसी अन्य संगठन या केंद्र/राज्य सरकार/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों से कोई वेतन /अनुबंध शुल्क/पेंशन/पारिश्रमिक नहीं मिल रहा है। परिवार का केवल एक सदस्य मासिक पेंशन के अनुदान के लिए पात्र होगा। हरियाणा मंत्रिमंडल ने यात्रियों की सुविधा के लिए राउण्ड ऑफ बस किराया करने को दी मंजूरी चंडीगढ़, 11 अक्टूबर – मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक ने आज यहां हरियाणा में यात्रियों के लिए सुविधा बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य में स्टेट कैरिज बसों के किराये में 5 रुपये तक के किराये को राउण्ड ऑफ करने की मंजूरी दी गई। बस किराए में अवलोकन करने पर यह पाया गया कि हरियाणा रोडवेज की सभी श्रेणियों की बसों में यात्रा करने वाले यात्रियों को टिकट जारी करते समय कंडक्टरों को सिक्कों/चेंज की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए यह निर्णय लिया गया है। सिक्कों/चेंज की समस्या का सामना करने के इस मुद्दे को हल करने के लिए 2.50 रुपये और उससे अधिक के अंश वाले बस किराए को 5 रुपये तक राउण्ड ऑफ करने यह निर्णय लिया गया है। इससे न केवल टिकट जारी करने की प्रक्रिया सुव्यवस्थित होने की उम्मीद होगी बल्कि आम जनता के लिए अतिरिक्त सुविधा भी प्रदान की जाएगी। हरियाणा रोडवेज 3,756 बसों के बेड़े के साथ देश में सबसे कुशल राज्य परिवहन सडक़ प्रबंधन उपक्रमों में से एक है। हरियाणा में नियोजित योजनाओं में आवासीय भूखंडों को वाणिज्यिक उपयोग में बदलने की अनुमति देने और नियमित करने के लिए नई नीति की घोषणा की चंडीगढ़, 11 अक्टूबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आज ‘हरियाणा नगर शहरी निर्मित-योजना सुधार नीति, 2023’ की घोषणा की है। इस नीति का उद्देश्य कम से कम 50 वर्षों से अस्तित्व में आने वाली नियोजित योजनाओं के भीतर आवासीय भूखंडों को व्यावसायिक उपयोग में बदलने की अनुमति देना है। अब यह यह शहरी विकास परिदृश्य के भीतर उभरती जरूरतों और मांगों को पूरी करेगा। मुख्यमंत्री ने आज यहां कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करने के बाद कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, व्यवस्थित शहरी विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए नगर निगम क्षेत्रों में मॉडल टाउन योजनाएं, पुनर्वास योजनाएं, टाउन प्लानिंग योजनाएं और सुधार ट्रस्ट योजनाओं सहित विभिन्न योजनाबद्ध योजनाएं लागू की गई हैं। बाद में इन योजनाओं को प्रबंधन और रखरखाव के लिए संबंधित नगर पालिकाओं को सौंप दिया गया। हालाँकि, बदलती परिस्थितियों ने भूखंड मालिकों को आवासीय भूखंडों को गैर-आवासीय उद्देश्यों के लिए परिवर्तित करने के लिए प्रेरित किया है, जिनकी मूल रूप से अनुमति नहीं थी। इसी के फलस्वरूप मानदंडों और प्रक्रियाओं की स्थापना करके ऐसे रूपांतरणों को विनियमित करने की आवश्यकता उत्पन्न हुई। यह नीति हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी), हाउसिंग बोर्ड (हरियाणा), हरियाणा राज्य औद्योगिक बुनियादी ढांचा विकास निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा शासित क्षेत्रों को छोडक़र नगरपालिका सीमा के मुख्य क्षेत्रों के भीतर नियोजित योजनाओं पर लागू होगी। यह अन्य सरकारी नीतियों/नियमों के तहत उप-विभाजन की अनुमति वाले भूखंडों पर भी लागू होगी। फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर), ग्राउंड कवरेज और प्लॉट की ऊंचाई जैसे पैरामीटर मूल आवासीय योजना के अनुरूप रहेंगे। मूल योजना की बिल्डिंग लाइन का भी रखरखाव किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रूपांतरण के लिए आवेदन हेतु संपत्ति मालिकों को टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग की अधिसूचना के अनुसार रूपांतरण शुल्क के रूप में 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर जांच-शुल्क का भुगतान और वाणिज्यिक कलेक्टर दर का 5त्न विकास शुल्क देना होगा। परिवर्तित क्षेत्र पर उन्हें 160 रूपये प्रति वर्ग मीटर का कंपोजीशन शुल्क भी देना होगा। अवैध गतिविधियों को संचालित करने वाले संपत्ति मालिकों पर दंडात्मक आरोप माने जाएंगे, जिन्हें उपद्रव गतिविधियां माना जाएगा। पॉलिसी की अधिसूचना तिथि से पहले छह महीनों तक कोई दंडात्मक शुल्क नहीं लगाया जाएगा। इसके बाद, परिस्थितियों के आधार पर शुल्क लागू होंगे। आवेदन प्रक्रिया को शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा विकसित एक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सुविधाजनक बनाया जाएगा। इसमें नीति में उल्लिखित जांच शुल्क और दस्तावेज़ जमा करना शामिल होगा। इस नीति से संपत्ति मालिकों और सरकार दोनों को लाभ होने की उम्मीद है। संपत्ति के मालिक आर्थिक अवसरों में वृद्धि के लिए अपने आवासीय भूखंडों को व्यावसायिक उपयोग में परिवर्तित करने में सक्षम होंगे, जबकि सरकार रूपांतरण शुल्क और विकास शुल्क से राजस्व उत्पन्न करेगी। इस नीति से नियोजित क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों को विनियमित करने में भी मदद मिलेगी जिससे बेहतर शहरी नियोजन और विकास हो सकेगा। प्रवर्तन – नगर पालिकाएँ अवैध व्यावसायिक रूपांतरणों की पहचान करने और रास्ते के अधिकारों और प्रभावित भूखंडों का नक्शा बनाने के लिए सर्वेक्षण करेंगी। वे अवैध रूपांतरण के संपत्ति मालिकों को नोटिस जारी करेंगे, उन्हें संपत्ति बहाल करने या नियमितीकरण के लिए आवेदन करने के लिए 30 दिन का समय देंगे। अनुपालन न करने पर सीलिंग या ढहाने सहित कानूनी कार्रवाई हो सकती है। यदि किसी संपत्ति को अस्वीकार कर दिया जाता है या नियमितीकरण के लिए आवेदन नहीं किया जाता है, तो नगर पालिकाएं इमारत को उसकी मूल स्थिति में बहाल कर सकती हैं, भवन मापदंडों के अनुपालन को लागू कर सकती हैं, या लाइसेंस/अनुमतियां रद्द कर सकती हैं। नगर पालिकाओं या नगर सुधार ट्रस्टों द्वारा आवंटित एकल स्तरीय बूथ, दुकानों और सर्विस बूथों पर पहली मंजिल या बेसमेंट या दोनों के निर्माण के लिए एक व्यापक नीति को मिली स्वीकृति चंडीगढ़, 11 अक्तूबर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में अनधिकृत निर्माणों को नियमित करने और नगरपालिका सीमा के भीतर नगर पालिकाओं या नगर सुधार ट्रस्टों द्वारा आवंटित एकल स्तरीय बूथ, दुकानों और सर्विस बूथों पर पहली मंजिल या बेसमेंट या दोनों के निर्माण के लिए नई अनुमति देने के उद्देश्य से एक व्यापक नीति को स्वीकृति प्रदान की गई। नीति प्रयोज्यता – मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने बताया कि यह नीति हरियाणा राज्य की सभी नगर पालिकाओं तक अपनी पहुंच बढ़ाती है। यह विशेष रूप से नगर पालिकाओं या नगर सुधार ट्रस्टों द्वारा आवंटित एकल-स्तरीय बूथों, दुकानों और सेवा बूथों पर लागू होता है। यह नीति बेसमेंट और पहली मंजिलों सहित मौजूदा अनधिकृत निर्माणों के नियमितीकरण की सुविधा प्रदान करती है और ऐसे निर्माणों के लिए नई अनुमति प्रदान करती है। बूथ पर पहली मंजिल या बेसमेंट या दोनों के मौजूदा अनधिकृत निर्माण के नियमितीकरण के लिए, यह नीति 31 मार्च, 2024 तक प्राप्त आवेदनों के लिए प्रभावी रहेगी। पहली मंजिल या बेसमेंट या बूथ के निर्माण के लिए नई अनुमति किसी भी समय सीमा से बंधी नहीं है। नीति बहिष्करण – गौरतलब है कि यह नीति उन नियंत्रित क्षेत्रों पर लागू नहीं होती, जिनके लिए भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) की अनुमति की आवश्यकता होती है। इसमें नगरपालिका सीमा के भीतर नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग द्वारा स्वीकृत लाइसेंस प्राप्त योजनाएं भी शामिल नहीं हैं। इसके अलावा, नीति में ‘तहबाजारी’ या ‘खोका’ के तहत दुकानों या नगर पालिकाओं द्वारा आवंटित किसी भी अन्य अस्थायी संरचना को शामिल नहीं किया गया है। आवेदन और शुल्क/प्रभार – अवैध निर्माणों को नियमित करने या एकल-स्तरीय बूथों, दुकानों या सर्विस बूथों पर पहली मंजिल या बेसमेंट बनाने का लक्ष्य रखने वाले आवेदकों को इस नीति का पालन करना होगा। आवेदनों पर कार्रवाई के लिए जिम्मेदार सक्षम प्राधिकारी नगर निगमों के आयुक्त और नगर परिषदों और समितियों के लिए जिला नगर आयुक्त हैं। इस नीति के तहत शुल्क संरचना में एक नॉन-रिफण्डेबल जांच शुल्क शामिल है जो निर्माण की प्रकृति के आधार पर भिन्न होता है। पहली मंजिल, बेसमेंट या दोनों को कवर करने वाली नई अनुमति के लिए, आवेदकों से प्रस्तावित कुल निर्मित क्षेत्र पर 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर का शुल्क लिया जाएगा। इसके विपरीत, मौजूदा प्रथम तल या बेसमेंट निर्माण के नियमितीकरण के लिए, शुल्क 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर है, लेकिन यह भूतल पर संरचना सहित, भूखंड पर प्रस्तावित और मौजूदा निर्मित क्षेत्र दोनों पर लागू होता है। इसके अतिरिक्त, किसी भी अतिरिक्त निर्मित क्षेत्र के लिए शुल्क, चाहे वह पहली मंजिल हो या बेसमेंट हो, अलग-अलग हैं – पहली मंजिल के लिए प्रति वर्ग मीटर वाणिज्यिक कलेक्टर दर का 5 प्रतिशत और बेसमेंट के लिए प्रति वर्ग मीटर वाणिज्यिक कलेक्टर दर का 2.5 प्रतिशत है। इसके अलावा, निर्धारित शमनीय सीमा के भीतर अवैध निर्माण को कम करने के लिए 200 रुपये प्रति वर्ग मीटर का कंपोजीशन शुल्क लागू है। भवन निर्माण मानदंड – इस नीति द्वारा निर्धारित भवन मानदंडों के अनुपालन में मौजूदा प्रथम तल या बेसमेंट निर्माण को बिना किसी बदलाव के अनुमति दी जाएगी। हालाँकि, पहली मंजिल या बेसमेंट निर्माण से संबंधित नई अनुमतियों के लिए, विशिष्ट दिशानिर्देश निर्धारित किए गए हैं अर्थात बेसमेंट निर्माण भूतल पर बूथ गलियारे के आयामों तक ही सीमित है, जबकि पहली मंजिल के निर्माण को पूर्व निर्धारित सीमा के भीतर बूथ की विशेषताओं के अनुरूप प्रावधान के पूरक के रूप में अनुमति दी गई है। बेसमेंट और पहली मंजिल दोनों के लिए न्यूनतम स्पष्ट ऊंचाई 2.4 मीटर अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त, बेसमेंट या पहली मंजिल तक पहुंचने के लिए सीढिय़ां बूथ के भीतर होनी आवश्यक हैं और कड़े नियम गलियारों, पीछे की स्थानों या बूथों के किनारों पर किसी भी प्रकार के अतिक्रमण पर रोक लगाते हैं। प्रवर्तन – नगर पालिकाएं संपत्ति आईडी डेटाबेस से एकल-स्तरीय बूथों, दुकानों या सर्विस बूथों पर अवैध रूप से उठाए गए निर्माणों की पहचान और सूची बनाएंगी। ऐसे निर्माणों के मालिकों को नोटिस जारी कर उन्हें नियमितीकरण के लिए आवेदन जमा करने का निर्देश दिया जाएगा। आवेदन प्रक्रिया – निर्दिष्ट दस्तावेजों और जांच शुल्क का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए आवेदक ऑनलाइन आवेदन जमा करेंगे। सक्षम प्राधिकारी 20 कार्य दिवसों के भीतर आवेदनों पर कार्रवाई करेंगे। अयोग्य आवेदनों को 30 दिनों की अनुपालन समय सीमा के साथ एक आशय पत्र (एलओआई) प्राप्त होगा। यह नीति अनुपालन और अंतिम अनुमति जारी करने के लिए व्यापक प्रावधान बताती है। हरियाणा मंत्रिमंडल ने हरियाणा डिजिटल मीडिया विज्ञापन नीति, 2023 को दी मंजूरी चंडीगढ़, 11 अक्टूबर – मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज यहां आयोजित हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक ने हरियाणा डिजिटल मीडिया विज्ञापन नीति, 2023 को मंजूरी दी गई। यह नीति सरकारी विकासात्मक नीतियों और कार्यक्रमों को उजागर करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया समाचार चैनलों और सोशल मीडिया इन्फलूएंसरस को शामिल करने के उद्देश्य से लाई जा रही है। वर्ष 2007 और 2020 की मौजूदा नीति केवल प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और वेबसाइटों तक ही सीमित थी। सोशल मीडिया समाचार चैनल और सोशल मीडिया इन्फलूएंसरस को शामिल करने का निर्णय ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। वर्तमान दौर में इंटरनेट-सक्षम उपकरणों और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को व्यापक रूप से अपनाने के साथ, डिजिटल मीडिया लोगों के दैनिक जीवन में सर्वव्यापी उपस्थिति बन गया है। सोशल मीडिया समाचार चैनलों, वेबसाइटों और प्रतिष्ठित सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर विज्ञापन जारी करने का प्राथमिक उद्देश्य सरकार की कल्याणकारी नीतियों एवं योजनाओं का व्यापक संभव कवरेज प्राप्त करना है। नीति के तहत, सोशल मीडिया समाचार चैनलों को उनके ग्राहकों, अनुयायियों और सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट की संख्या को ध्यान में रखते हुए पैनल में शामिल करने के लिए पांच श्रेणियां बनाई गई हैं। डीआईपीआर हरियाणा द्वारा इन श्रेणियों के अनुसार सोशल मीडिया समाचार चैनलों को सूचीबद्ध किया जाएगा। नीति के तहत, आवश्यकता पड़ने पर पैनल सलाहकार समिति प्रत्येक श्रेणी, विज्ञापन प्रारूप और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए समय-समय पर दरें तय, बढ़ाएगी या संशोधित करेगी। जब भी वह उचित समझे, वह सोशल मीडिया समाचार चैनलों से अन्य प्रासंगिक विज्ञापन प्रारूपों के लिए दरें साझा करने के लिए कह सकता है। एक बार विज्ञापन देने के बाद सोशल मीडिया न्यूज चैनलों को विज्ञापन की तारीख से एक महीने तक विज्ञापन रखना होगा। प्रत्येक श्रेणी के तहत पैनल सलाहकार समिति (धारा 7) द्वारा निर्धारित न्यूनतम आधार दर उस श्रेणी में आने वाले आवेदक सोशल मीडिया चैनल को प्रदान की जाएगी। यदि विज्ञापित/प्रायोजित सोशल मीडिया सामग्री 5 प्रतिशत ग्राहका/अनुयायियों तक पहुंचने में विफल रहती है तो विज्ञापन दरों में प्रासंगिक कटौती की जाएगी। प्रायोजित सामग्री सरकारी योजनाओं, सेवाओं, उपलब्धियों और अन्य नीतिगत पहलों पर आधारित होगी। पराली एक्स-सीटू प्रबंधन नीति, हरियाणा-2023 को दी मंजूरी चंडीगढ़, 11 अक्टूबर – मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके आस-पास लगते क्षेत्रों में पराली जलाने के मामलों में कमी लाने, टिकाऊ ऊर्जा के लिए धान की पराली का उपयोग करने और 2027 तक फसल अवशेष जलाने को खत्म करने के लिए पराली एक्स-सीटू प्रबंधन नीति हरियाणा 2023 को मंजूरी दी गई। हरियाणा एक्स-सीटू मैनेजमेंट ऑफ पैडी स्ट्रॉ पॉलिसी 2023 बेहरतरीन नीति है। यह नीति धान के भूसे-आधारित परियोजनाओं में निजी निवेश बढाने, किसानों को प्रोत्साहित कर जिम्मेदारी के साथ पराली का उपयोग सुनिश्चित करने और किसानों और उद्योगों के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करने पर ध्यान केन्द्रित करेगी। इस नीति के कार्यान्वयन से पराली जलाने में कमी होने के साथ ही वायु गुणवत्ता और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होगा और हरियाणा में पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसके अतिरिक्त यह नीति धान के भूसे के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर प्रदान करेगी। इस नीति से धान के भूसे के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए भी एमएसएमई के तहत वित्तीय कई प्रकार के प्रोत्साहन मिलेंगे। इस नीति का मुख्य ध्येय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और उसके आस-पास के लगते क्षेत्रों में पराली जलाने के मामलों को कम करना है। क्योंकि हरियाणा में हर वर्ष लगभग 30 लाख टन धान की पराली उपलब्ध होती है। धान की पराली से बिजली, बायोगैस, बायो सीएनजी, जैव-खाद, जैव-ईंधन, इथेनॉल उत्पन्न किए जा सकते हैं। किसानों को खेत में पराली काटने, गठ्ठे बनाने और भंडारण करने में भी उपयोगी होगी। बिजली संयंत्र में उपयोग किये जाने वाले पैलेट बनाने के लिए भी यह नीति कारगर होगी। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा हरियाणा जैव-ऊर्जा नीति 2018 बनाई जा चुकी है। इसमें बायोमास आधारित बिजली परियोजनाएं, कम्प्रेसड बायोगैस संयंत्र, इथेनॉल उत्पादन और प्राथमिक चारा सामग्री के रूप में धान के भूसे का उपयोग करने व अन्य जैव-ईंधन को प्रमुख सामग्री के रूप में शत प्रतिशत धान के भूसे का उपयोग करने वाली परियोजनाओं को सावधि ऋण पर ब्याज व सब्सिडी प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं। इस नीति में धान के भूसे को काटने, एकत्र करने, बेलने, भंडारण करने और भूसे-आधारित उद्योगों और संयंत्रों तक परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले कृषि उपकरणों और मशीनरी पर किसान और संबंधित संगठन सब्सिडी के लिए भी पात्र होंगे। इस नीति में किसानों, उद्योगों, गौशालाओं, डेयरियों और अंतिम उपयोगकर्ताओं के बीच ऑनलाइन संबंध स्थापित किया जाएगा, जिससे धान की फसल के अवशेषों की मांग और आपूर्ति का कुशल प्रबंधन संभव हो सकेगा। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग, हरियाणा के साथ धान की पराली की मांग की जिलेवार मैपिंग का समन्वय किया जाएगा। जैव ईंधन को अपनाने वाले उद्योग ईंट भट्टों, कागज उद्योग, कार्डबोर्ड और धान के भूसे का उपयोग करने वाले अन्य व्यवसायों को सूक्ष्म, लघु और मध्यम विभाग से वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। राज्य के सभी थर्मल पावर प्लांट विद्युत मंत्रालय और हरियाणा सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुपालन में बायोमास सह भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। हरियाणा के अन्दर थर्मल पावर प्लांटों में उपयोग किए जाने वाले पैलेट के लिए बायोमास को किसानों से कृषि और किसान कल्याण विभाग के माध्यम से ऑनलाइन प्राप्त किया जाएगा। इस नीति के तहत धान की पुआल के आर्थिक उपयोग और इससे जुड़े हानिकारक प्रभावों के बारे में किसानों को शिक्षित करने के लिए संबंधित विभागों द्वारा जागरूकता और शैक्षिक अभियान भी चलाए जाएगें। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग द्वारा कृषि और किसान कल्याण, उद्योग और वाणिज्य, पर्यावरण और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के सहयोग से यह नीति कार्यान्वित की जाएगी। Post navigation मुख्यमंत्री ने एक क्लिक में 5 करोड़ 90 लाख 99 हज़ार रूपये भेजे बाढ़ प्रभावितों के खाते में किसानों पर अफसरशाही हावी, लाखों क्विंटल फसल मंडियों में पड़ी: डॉ. सुशील गुप्ता