हरियाणा में जातिगत जनगणना के विरुद्ध दिया गया मुख्यमंत्री का बयान हास्यास्पद : लाल बहादुर खोवाल

जातिगत जनगणना के विरुद्ध माहौल बनाने में जुटे मुख्यमंत्री मनोहरलाल : लाल बहादुर खोवाला
हरियाणा में जातिगत जनगणना के महत्व को नकार रहे मुख्यमंत्री मनोहललाल : लाल बहादुर खोवाल

हिसार : हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट के प्रदेश अध्यक्ष लाल बहादुर खोवाल ने हाल ही में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर द्वारा राज्य में जातिगत जनगणना की जरूरत को नकारने संबंधी बयान को हास्यास्पद बताया है। खोवाल ने वार्ता के दौरान बताया कि मुख्यमंत्री का कहना है कि जातिगत जनगणना की हरियाणा में न तो कोई जरूरत है और न ही कोई मांग है। यह बयान लोगों को भ्रमित करने के लिए दिया गया है। यह बयान जातिगत जनगणना के महत्व को गौण सिद्ध करने की कोशिश है। दरअसल मुख्यमंत्री जातिगत जनगणना के विरुद्ध माहौल बनाने में जुटे हैं लेकिन वे इस कोशिश में कामयाब नहीं हो पाएंगे।

खोवाल ने कहा कि वास्तविकता तो यह है कि हरियाणा सरकार ने ही पिछले दिनों पंचायत व स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग ए को आरक्षण देने के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग गठित किया था। इस आयोग के समक्ष ऑल इंडिया बैकवर्ड क्लास फेडरेशन ने मांग की थी कि पंचायत व स्थानीय शहरी निकाय चुनावों में पिछड़ा वर्ग को उसकी आबादी के आधार पर आरक्षण दिया जाए। इसके लिए पहले सरकार जातीय जनगणना कराए और इंद्रा साहनी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में नौ जजों की संविधानिक पीठ द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार आरक्षण की व्यवस्था करे।

एडवोकेट खोवाल ने बताया कि उन्होंने स्वयं आयोग के समक्ष स्पष्ट किया था कि देशभर में वर्ष 1931 के बाद कोई जातीय जनगणना नहीं हुई। उस समय ओबीसी की आबादी 52 प्रतिशत बताई गई थी, जो अब बढ़कर 55 प्रतिशत से भी ज्यादा हो गई है क्योंकि उसके बाद बहुत की जातियां भी ओबीसी में शामिल हुई हैं। यदि आयोग वास्तव में पिछड़ा वर्ग को संवैधानिक अधिकार दिलाना चाहता है तो आर्टिकल 15, 16 के तहत सरकार द्वारा सबसे पहले जातीय आंकड़े एकत्र करे और इसके लिए सबसे पहले इंद्रा साहनी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के केस की गाइड लाइन के मुताबिक जाति आधारित जनगणना करवाए ताकि शहरी स्थानीय निकायों में आरक्षण सही तरीके से मिल सके।

एडवोकेट खोवाल ने कहा कि आजादी के इतने वर्ष बाद भी पिछड़ा वर्ग का सामाजिक बहिष्कार जारी है। इस वर्ग को राजनीतिक आधार पर पंचायत से लेकर लोकसभा तक उचित आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गई है और न ही राजनीतिक पार्टियों में इस वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व मिला है। यह तभी संभव है जब जातीय जनगणना के आधार पर आंकड़े सार्वजनिक हों और उसके आधार पर इस वर्ग को आरक्षण दिया जाए। उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग भी अपनी रिपोर्ट में लिख चुका है कि हरियाणा में जातिगत जनगणना की काफी मांग है । इसलिए पहले जातिगण जनगणना करवाएं फिर आरक्षण लागू करें लेकिन मुख्यमंत्री मनोहरलाल इस जनगणना के खिलाफ बयान दे रहे हैं। कांग्रेस पार्टी में 2011 में जातीगत जनगणना कराई थी, जिसको आज तक बीजेपी ने उजागर नहीं किया है लेकिन जबसे महिला आरक्षण का बिल आया है तब से संसद व जनसभाओं में राहुल गांधी ने खुलकर ओबीसी समाज के अधिकारों के लिए जातीगत जनगणना सहित अन्य मुद्दों पर खुलकर बोलना शुरू कर दिया है तब से भारतीय जनता पार्टी के नेता विचलित है तथा जनता को भ्रमित करने में लगे हुए हैं। लेकिन जनता ने अब बीजेपी को सता से बाहर करने का मन बना लिया है।

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