पंजाब में तुरन्त राष्ट्रपति शासन लगा बना देनी चाहिए एसवाइएल नहर : हनुमान वर्मा चंडीगढ़, 6 अक्टूबर – कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हनुमान वर्मा ने प्रेस में जारी बयान में कहा की सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी पंजाब सरकार का एसवाइएल निर्माण से मना करना सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना है । पंजाब सरकार की दादागिरी इस बात से स्पष्ट हो गई है क्यों पंजाब अपने छोटे भाई हरियाणा प्रदेश को एसवाइएल का पानी नहीं देना चाहते । वर्मा ने कहा कि सुप्रीम पावर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को जब पंजाब सरकार ने मानने से इनकार कर दिया तो सुप्रीम कोर्ट को भी चाहिए कि वह पंजाब में तुरन्त राष्ट्रपति शासन लागू करके नहर का निर्माण करवाए । पंजाब सरकार की नीयत में खोट है । वो बहुत सालों से अपने छोटे भाई हरियाणा के हक का पानी ना देकर छोटे भाई के साथ हक मारी कर रहा है। वर्मा ने कहा कि जल शक्ति मंत्रालय के मुताबिक यदि एसवाइएल का पानी हरियाणा को मिलता तो 4.46 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई होती और लोगों को खेती के लिए भूमिगत पानी पर निर्भर नहीं होना पड़ता । भू-जल के उपयोग से हर साल सरकार पर करीबन 1.50 करोड रुपए का अतिरिक्त भार पड़ता है । साथ ही हर साल 52 लाख तक अनाज का नुकसान पड़ रहा है । एसवाइएल नहर बन जाती तो हरियाणा को 130 टन अतिरिक्त अनाज का उत्पादन करता जिस राज्य को कृषि पैदावार के रूप में हर साल 19हजार 500 करोड रुपए का लाभ होता । एसवाइएल के पानी से 50 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन होता । हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में जैसे हिसार में भू-जल खारा है वो सभी नहर के पानी से ही सिंचाई करते हैं जो किसान भुखमरी का शिकार हो रहे हैं । वर्मा ने कहा इस से पहले भी पंजाब में भाजपा की सरकार थी । ट्रिपल इंजन की सरकार होते हुए भी भाजपा ने इस नहर का निर्माण नहीं करवाया। अब इस को क्या समझे कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करते हुए नहर का निर्माण व पानी दिलवाएगी या कहीं लोकसभा चुनाव में पंजाब में सीट आए इस लिए इसे ठंडे बस्ते में डालने का काम करेगी । Post navigation भावांतर योजना : किसानों को 300 रूपये प्रति क्विंटल का भाव अंतर देने का निर्णय किस आधार पर लिया ? विद्रोही हरियाणा कांग्रेस लीगल डिपार्टमेंट की बैठक में विभिन्न मुद्दों पर हुआ मंथन