पिछले साल भी भावांतर योजना के तहत बाजरे में किसानों को 400 से 500 रूपये को भावांतर मिला था। फिर इस साल कम क्यों किया गया? विद्रोही
जब बाजरा एमएसपी 2500 रूपये प्रति क्विंटल है तब किसानों को मंडियों में बाजरे का भाव 500 से 600 रूपये प्रति क्विंटल कम क्यों मिल रहा है? विद्रोही
किसानों को सरकारी पोर्टल के आधार पर बाजरा खरीदने मंडियों में टोकन लेकर भी बाजरा बेचने में किसानों को न्यूनतम 4 से 6 दिन लग रहे : विद्रोही

6 अक्टूबर 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि किसानों के बाजरे का एक-एक दाना न्यूनतम समर्थन मूल्य 2500 रूपये प्रति क्विंटल भाव में खरीदने का दावा करने वाली भाजपा-जजपा खट्टर सरकार बाजरे की एमएसपी पर सरकारी खरीद करने से भागकर भावांतर योजना के तहत बाजरा खरीदने की नौटंकी कर रही है, पर किसानों का पूरा बाजरा खरीदने की बजाय मुठ्ठीभर बाजरा 2200 रूपये प्रति क्विंटल के भाव से खरीदकर मंडियो में बयान दागकर किसानों को ठगा जा रहा है। विद्रोही ने कहा कि दक्षिणी हरियाणा अहीरवाल में हालत यह है कि किसानों का बाजरा नही खरीदा जा रहा है जिसके कारण मंडिया बाजरे से अटी पडी है और जो बाजरा हैफेड ने खरीदा है, उसका उठान नही हो रहा। किसानों को सरकारी पोर्टल के आधार पर बाजरा खरीदने मंडियों में टोकन लेकर भी बाजरा बेचने में किसानों को न्यूनतम 4 से 6 दिन लग रहे है। सवाल उठता है कि जब किसान अपना बाजरा बेचने के लिए 4 से 6 दिन मडियों मे सडको पर खडा रहेगा तब वह रबी फसल की बिजाई की तैयारी कब करेगा?  

वहीं विद्रोही ने मुख्यमंत्री खट्टर से सवाल किया कि उन्होंने भावांतर योजना के तहत किसानों को 300 रूपये प्रति क्विंटल का भाव अंतर देने का निर्णय किस आधार पर लिया है? पिछले साल भी भावांतर योजना के तहत बाजरे में किसानों को 400 से 500 रूपये को भावांतर मिला था। फिर इस साल कम क्यों किया गया? क्या मंडियों में धरातल पर बाजरा 2200 रूपये प्रति क्विंटल पर बिक रहा है? सरकारी खरीद एजेंसी भी किसानों का बाजरा 2000 रूपये प्रति क्विंटल में खरीद रही है जबकि निजी व्यापारी किसानों को 1900 से 2000 रूपये प्रति क्विंटल भाव दे रहे है। सवाल उठता है कि जब बाजरा एमएसपी 2500 रूपये प्रति क्विंटल है तब किसानों को मंडियों में बाजरे का भाव 500 से 600 रूपये प्रति क्विंटल कम क्यों मिल रहा है? यदि सरकार किसानों को भावांतर योजना के तहत 300 रूपये प्रति क्विंटल भावांतर देती है, तब भी किसान का बाजरा एमएसपी से 200 से 300 रूपये प्रति क्विंटल कम भाव पर लूटा जा रहा है। विद्रोही ने सवाल किया कि बाजरा, धान फसल का उठान क्यों नही हो रहा? पूरे हरियाणा में खरीदी फसल का 40 से 50 प्रतिशत उठान ही क्यों हो रहा है? 50 से 60 प्रतिशत फसल मंडियों में क्यों पड़ी है? जब मंडियों में फसल रखने की जगह ही नही तो किसान अपना बाजरा, धान कहां बेचेगा?  

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