देश की सर्वोच्च अदालत ने 21 साल 9 माह पहले ही हरियाणा के पक्ष में निर्णय देकर केन्द्र सरकार को सेना की निगरानी में केन्द्रीय सीमा सड़क संगठन द्वारा एसवाईएल नहर निर्माण का आदेश दे रखा है। अब सुप्रीम कोर्ट अपने इस आदेश का पालन करवाने को कठोर रूख अपनाता दिख रहा है : विद्रोही 5 अक्टूबर 2023 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने एसवाईएल नहर निर्माण केस की सुनवाई दौरान सुप्रीम कोर्ट के पंजाब आप सरकार के रवैये पर लगाई कड़ी फटकार व केन्द्र सरकार को एसवाईएल नहर निर्माण भूमि का सर्वे करके दो माह में तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश का स्वागत करते हुए आशा जताई कि पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए केन्द्र सरकार के नहर निर्माण सर्वे करने में रोड़े अटकाने की बजाय सहयोग करके न्यायालय के आदेश का सम्मान करेगी। विद्रोही ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ताजे निर्देशों से यह एकबार फिर स्पष्ट हो गया कि पंजाब सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने ही जनवरी 2002 के आदेशों की परिपालना करके पंजाब मेें आधी-अधूरी पडी एसवाईएल नहर का निर्माण करना ही होगा। देश की सर्वोच्च अदालत ने 21 साल 9 माह पहले ही हरियाणा के पक्ष में निर्णय देकर केन्द्र सरकार को सेना की निगरानी में केन्द्रीय सीमा सड़क संगठन द्वारा एसवाईएल नहर निर्माण का आदेश दे रखा है। अब सुप्रीम कोर्ट अपने इस आदेश का पालन करवाने को कठोर रूख अपनाता दिख रहा है। एसवाईएल नहर निर्माण में पहले ही 50 साल की देरी हो चुकी है। अब पंजाब सरकार के पास जनवरी 2002 का आदेश मानने के अलावा कोई अन्य विकल्प भी नही है। विद्रोही ने कहा कि पंजाब सरकार व पंजाब केे सभी राजनीतिक दलों को एसवाईएल पर राजनीति करके हरियाणा के हिस्से का पानी हडपने की बजाय देश के संघीय ढांचे के अनुरूप व्यवहार करके हरियाणा को उसका संवैद्यानिक वाजिब हक बिना किसी ना-नुकर देकर 57 साल पुराने इस विवाद को सौहार्दपूर्ण हल करने की दिशा उदारता से कदम उठाने चाहिए। पंजाब में जब 1976 में सरदार प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री थे, तब पंजाब सरकार ने हरियाणा से एसावईएल नहर निर्माण के लिए ना केवल एक करोड़ रूपये लिये थे अपितु 1977 में ही एसवाईएल नहर निर्माण करने का आवश्यक कानूनी आदेश भी जारी किए थे। सवाल उठता है कि जिस अकाली-जनसंघ सरकार ने 1977 में ही पंजाब क्षेत्र में एसवाईएल नहर निर्माण करने के विधिवत आदेश दे दिये थे, वे वोट बैंक की राजनीति के लिए विगत 45 वर्षो से नहर निर्माण में रोड़ क्यों अटका रहे है? विद्रोही ने कहा कि अब वह समय आ गया है जब पंजाब सरकार व पंजाब के सभी राजनीतिक दलों को ना केवल एसवाईएल नहर निर्माण के प्र्रति अपनी नकारात्मक सोच को बदलना होगा अपितु 21 साल 9 माह पुराने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करके ना केवल पंजाब की धरती पर अधूरी पडी एसवाईएल नहर का निर्माण करना होगा अपितु हरियाणा को उसके हिस्से का बचा 1.9 लाख एमएएफ पानी भी देना होगा। Post navigation एसवाईएल नहर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य: कुमारी सैलजा डीपी वर्ल्ड, आईसीसी और सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट को विस्तार देने की वैश्विक पहल के लिए मिलाया हाथ