जातिगत जनगणना के आंकडे जारी होने के बाद मोदी-भाजपा-संघ बुरी तरह से बौखला गए है : विद्रोही

बिना जातिगत जनगणना के प्रमाणिक आंकडे सामने आये सामाजिक न्याय की अवधारणा पर कैसे प्रभावी अमल किया जा सकता है? विद्रोही
प्रधानमंत्री मोदीजी यह कहना कि मेरे लिए गरीब ही जाति है और जाति का कोई महत्व नही, यह मोदीजी की ओबीसी वर्ग को ठगने का एक और जुमला है : विद्रोही

4 अक्टूबर 2023 – बिहार में जातिगत जनगणना के आंकडे सार्वजनिक होने के बाद स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की कि वे गरीबी व जातिगत जनगणना पर जुमलेबाजी करके आमजनों को ठगने की बजाय 2024 के बाद होने वाली जनगणना 2021 में जातिगत जनगणना करवाके देश में किस जाति की कितनी आबादी है, इस पर स्थिति स्पष्ट करने जातिगत जनगणना के आदेश दे। विद्रोही ने कहा कि बिहार में कांग्रेस-जेडीयू-राजद महागठबंधन सरकार द्वारा कराई गई जातिगत जनगणना में पिछडे वर्ग, ओबीसी की बिहार में आबादी 63.22 प्रतिशत व अनुसूचित जाति की जनसंख्या 19.65 प्रतिशत पाई गई है। वहीं सामान्य वर्ग की आबादी मात्र 15.52 प्रतिशत है। अभी तक यह अनुमान था कि देशभर में पिछडे-ओबीसी की जनसंख्या 52 प्रतिशत के आसपास है लेकिन बिहार की जनगणना के बाद यह साफ दिख रहा है कि देशभर में ओबीसी की जनसंख्या 55 से 60 प्रतिशत के बीच हो सकती है। सवाल उठता है कि सामान्य वर्ग की 15 प्रतिशत आबादी के लिए सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण होना, वहीं देशभर की 55 से 60 प्रतिशत ओबीसी वर्ग के लिए केवल 27 प्रतिशत आरक्षण होना अपने आप में प्रमाण है कि आज ओबीसी वर्ग के साथ आरक्षण मामले में न केवल अन्याय हो रहा है अपितु उन्हे उनकी आबादी के अनुसार प्रशासन, न्यायपालिका, शैक्षणिक संस्थानों, उच्च सरकारी प्रतिष्ठानों में उचित हिस्सेदारी नही मिल रही।  

विद्रोही ने आरोप लगाया कि जनता को गुमराह करके व धर्म की अफीम चटाकर सत्ता पर काबिज भाजपा-संघ नही चाहते कि देश में जातिगत जनगणना की असली तस्वीर सामने आये ताकि देश की सत्ता व प्रशासन पर उच्च स्वर्ण वर्ग का वर्चस्व बना रहे और ओबीसी वर्ग को वादों व दावों का झुनझुना थमाकर उसे ठगा जाता रहे। सवाल उठता है कि बिना जातिगत जनगणना के प्रमाणिक आंकडे सामने आये सामाजिक न्याय की अवधारणा पर कैसे प्रभावी अमल किया जा सकता है? बिहार में जातिगत जनगणना न हो, इसमें अवरोध पैदा करने भाजपा-संध व मोदी सरकार ने सत्ता बल पर हरसंभव कुप्रयास किया, लेकिन बिहार महागठबंधन सरकार मोदी, भाजपा व संघ की तिकडमी चालों को असफल करके ना केवल बिहार में जातिगत जनगणना का कार्य पूरा किया अपितु इसके आंकड़े भी जारी करके देशभर में जातिगत जनगणना करवाने की मांग का औचित्य भी सिद्ध किया।  

विद्रोही ने कहा कि बिहार की जातिगत जनगणना के आंकडे जारी होने के बाद मोदी-भाजपा-संघ बुरी तरह से बौखला गए है। प्रधानमंत्री मोदीजी यह कहना कि मेरे लिए गरीब ही जाति है और जाति का कोई महत्व नही, यह मोदीजी की ओबीसी वर्ग को ठगने का एक और जुमला है। आश्चर्य है कि जब प्रधानमंत्री मोदी जी को वोट चाहिए होते है तब वे खुद को ओबीसी बताकर प्रचार करते है और जब ओबीसी वर्ग को जातिगत जनगणना करवाकर उनकी जनसंख्या के अनुपात में उनके जायज कानूनी हक देने की बारी आती है तो अब ओबीसी वर्ग से मुंह फेरकर कह रहे है कि मेरे लिए गरीब ही जाति है। सवाल उठता है कि मोदी सरकार गरीबों, ओबीसी को उनको वाजिब हक देना चाहते है और सामाजिके न्याय के पक्षधर है तो उन्हे जातिगत जनगणना करवाने से क्या आपत्ति है? विद्रोही ने हरियाणा व देशभर के ओबीसी वर्ग के लोगों से आग्रह किया कि वे जातिगत जनगणना की मांग को जोरदार ढंग से उठाये और सामाजिक न्याय पाने राहुल गांधी की बात पर विश्वास करके लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस-इंडिया गठबंधन को वोट की ताकत से सत्ता में लाकर सामाजिक न्याय की अवधारणा को पूर्ण रूप से लागू करने का रास्ता साफ करे। 

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