अज्ञानी को कभी भगवान की प्राप्ति नहीं हो सकती है : डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि। धर्म को न मानने वालों का त्याग करना चाहिए। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र, 30 सितम्बर : पावन गीता की जन्मस्थली, तीर्थों की संगम स्थली एवं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में चल रही देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन व्यासपीठ से महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि प्रीति से ही विश्वास पैदा होता है। जब विश्वास होगा तो ही भक्ति होगी। इसलिए भगवान को प्राप्ति करने के लिए प्रीत का होना भी जरूरी है। तीसरे दिन कथा शुरू होने से पूर्व देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को नमन करते हुए व्यासपीठ पर यजमान परिवार ने पूजन किया। कथा व्यास महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि जब ज्ञान की निकटता होगी तो भगवान के स्वरूप को जानने का अवसर प्राप्त होगा। अज्ञानी को कभी भगवान की प्राप्ति नहीं हो सकती है। अगर मन में एकाग्रता होगी तो ही भक्ति हो सकती है। भक्ति के लिए भी भागवत में उतरना होगा। उन्होंने कहा कि जो झूठ, मिथ्य एवं असत्य को पहचानता है वही ज्ञान की प्राप्ति करता है। भक्ति के लिए ज्ञान एवं वैराग्य दोनों ही होने चाहिए। वैराग्य का मतलब ही ज्ञान एवं समझदारी की प्राप्ति है। तीसरे दिन श्रद्धालुओं ने बड़े भक्तिभाव से कथा का श्रवण किया। Post navigation रिफ्रेशर कोर्स शिक्षकों को सशक्त बनाने में सहायक : प्रो. बीवी रमना रेड्डी शहीद सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा का चौथा दिन