परमात्मा को जानने के लिए बड़े बड़े विद्वान भी सम्मोहित होते हैं : डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि।
परमात्मा ही सृष्टि का सत्य है।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

कुरुक्षेत्र, 1 अक्तूबर : गीता की जन्मस्थली, तीर्थों की संगम स्थली एवं धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के अखंड गीता पीठ शाश्वत सेवाश्रम में चल रही देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को समर्पित पितृ मोचनी श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन व्यासपीठ से महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि परमात्मा तो स्वयं की ही सत्ता है परमात्मा को किसी अन्य सत्ता की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने परमात्मा के स्वरूप की चर्चा करते हुए कहा कि परमात्मा के वास्तविक रहस्य को कोई जान नहीं सका है। परमात्मा को जानने के लिए बड़े बड़े विद्वान भी सम्मोहित हो जाते हैं।

चौथे दिन कथा शुरू होने से पूर्व देश के लिए शहीद हुए सैनिकों को नमन करते हुए भारत माता एवं व्यासपीठ का यजमान परिवार ने पूजन किया। कथा व्यास महामंडलेश्वर डा. स्वामी शाश्वतानंद गिरि महाराज ने कहा कि परमात्मा ही सृष्टि के सत्य हैं। सृष्टि का परम सत्य ही परमात्मा है। उन्होंने बताया कि भागवत पुराण वैदिक सिद्ध है। वेद व्यास ने ही वेदों को व्यवस्थित किया है। वेद व्यास ने ही स्वयं भागवत पुराण की रचना की है। वेद व्यास ही सूत्रों के ज्ञाता हैं। उन्होंने जगत में तथ्यों पर कथा में विस्तार से चर्चा की। चौथे दिन की कथा समापन पर संकीर्तन एवं आरती हुई। इस मौके पर रमेश चंद मिश्रा, शकुंतला शर्मा, भूपेंद्र शर्मा, अजय शर्मा, प्रेम नारायण शुक्ला एवं यमुना दत्त पांडे इत्यादि भी मौजूद रहे।

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