– सैनिक स्कूलों में निजी संस्थाओं व एनजीओ की भागीदारी सरासर गलत

चंडीगढ़। अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार देश की सेना के निजीकरण की दिशा में लगातार कदम बढ़ा रही है। अग्निवीर की भर्ती और सैनिक स्कूलों में निजी संस्थाओं व एनजीओ की भागीदारी इसी प्लान का हिस्सा हैं। हरियाणा में निजी भागीदारी में एक स्कूल की स्थापना के बाद अब एक और सैनिक स्कूल इसी पैटर्न पर खोलने की तैयारी है।

मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि सैनिक स्कूल व मिलिट्री स्कूल का मुख्य कार्य छात्रों को विद्यार्थी जीवन से ही सेना की तरह अनुशासित जीवन में ढालना और सेना की जरूरत के अनुसार अफसर तैयार करना होता है। हरियाणा में दो सरकारी सैनिक स्कूल करनाल और रेवाड़ी जिले में पहले से चल रहे हैं। जबकि, पीपीपी मोड पर एक सैनिक स्कूल फतेहाबाद जिले के खारा खेड़ी में शुरू हो चुका है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सैनिकों व सेना के अफसरों का जीवन कैसा होता है, छात्रों को सैनिक स्कूल में पढ़ाई के दौरान बताया जाता है। बाकायदा अफसर लाइन में जाने के लिए उनका बेस मजबूत किया जाता है और राष्ट्रप्रेम की भावना भरी जाती है। ऐसे में पीपीपी मोड पर सैनिक स्कूल खुलते रहेंगे तो फिर भारतीय सेना के लिए छात्रों को तैयार करने का फार्मूला लीक हो जाएगा, जिसका फायदा दुश्मन भी बखूबी उठा सकते हैं।

कुमारी सैलजा ने कहा कि अब कुरुक्षेत्र जिले में पीपीपी मोड पर एक और सैनिक स्कूल शुरू करने का फैसला केंद्र सरकार ने लिया है, जो सरासर गलत है। जैसे-जैसे पीपीपी मोड वाले सैनिक स्कूलों की संख्या बढ़ेगी, सरकार पहले से चल रहे सैनिक स्कूलों व मिलिट्री स्कूलों को भी पीपीपी मोड पर ले आएगी। जबकि, सरकार को चाहिए कि वह सैनिक व मिलिट्री स्कूलों की संख्या को तो बढ़ाए, लेकिन पीपीपी मोड पर खोलने की बजाए पहले की तरह सरकारी पैटर्न पर खोले। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इसी तरह भारी भरकम विरोध के बीच अग्निवीर स्कीम शुरू की जा चुकी है। इससे साफ है कि निचले स्तर पर भाजपा की केंद्र सरकार सेना के निजीकरण की दिशा में आधार बनाने की शुरुआत कर चुकी है। ऐसे में वह दिन दूर नहीं, जब निजीकरण के इन प्रयासों को और आगे बढ़ाते हुए सेना की ट्रेनिंग में भी पीपीपी लागू कर दी जाएगी। देश की जनता भाजपा के इन कुत्सित प्रयासों को बखूबी समझ रही है, जिसका जवाब मतदान के दौरान वोट की चोट से देगी।

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