हिन्दी अधिकारी ने पढ़ा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का संदेश।
हिन्दी पखवाड़े में होंगी विविध प्रकार की प्रतियोगिताएं।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

पलवल : श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में हिन्दी दिवस पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। इसी के साथ हिन्दी पखवाड़े का शुभारंभ भी हुआ। इस अवसर पर शिक्षकों और अधिकारियों ने हिन्दी में अधिक से अधिक काम काज का संकल्प लिया और विद्यार्थियों ने हिन्दी में कविताएं प्रस्तुत कर खूब वाहवाही बटोरी। विश्वविद्यालय की राजभाषा शाखा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में हिन्दी पर स्मृद्ध विवेचना हुई। विश्वविद्यालय के हिन्दी अधिकारी भूपेंद्र प्रताप सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का संदेश पढ़ कर सुनाया। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने हिन्दी दिवस पर विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों को बधाई दी। कुल सचिव प्रो. ज्योति राणा की हिन्दी कविता की पंक्तियों ने नया उत्साह जगाया।

विशिष्ट अतिथि के रूप में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए डीन एवं परीक्षा नियंत्रक प्रो. निर्मल सिंह ने कहा कि विदेशों में भी हिन्दी की बहुत प्रबल पहचान है। गैर हिन्दी देशों में भी लोग हिन्दी को सम्मान देते हैं। प्रो. निर्मल सिंह ने कहा कि हम अपनी राजभाषा को इतनी सशक्त बनाएं कि दूसरे देशों में भी हिन्दी सीखने के प्रति रुझान बढ़े। उन्होंने राजभाषा के विकास में अपना योगदान सुनिश्चित करने का आह्वान किया।

विशिष्ट अतिथि प्रो. सुरेश ने राजभाषा हिन्दी को सम्मान देने के साथ-साथ क्षेत्रीय भाषाओं के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी को नजरंदाज किए बिना हमें हिन्दी को वरीयता देनी चाहिए।

प्रो. डी के गंजू ने भाषा के उच्चारण की शुद्धता पर बल देते हुए कहा कि हिन्दी के दूसरी भाषाओं के शब्दों को ग्रहण किया है, किन्तु उनका इस्तेमाल शुद्ध रूप में होना चाहिए। प्रो. गंजू ने विद्यार्थियों को हिन्दी के प्रति प्रोत्साहित किया।

विश्वविद्यालय के कई विद्यार्थियों ने हिन्दी कविताएं प्रस्तुत की और खूब तालियां बटोरी। हिन्दी अधिकारी भूपेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि पूरे पखवाड़े में हिन्दी पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा।

इस अवसर पर प्रो. ए के वाटल, डॉ. मोहित श्रीवास्तव, विशेष कर्तव्य अधिकारी संजीव तायल, विधि अधिकारी केशव शर्मा, विधि सहायक लखमी चन्द, आरपीएल के कैरिकुलम मैनेज संजय आनंद, अनुवादक सोनिया और गौरव भी उपस्थित थे।

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