जल समझौतों के मुताबिक पानी नहीं ले पा रही गठबंधन सरकार कई फसलों में पकाने से पहले आखिरी पानी लगाने की जरूरत चंडीगढ़, 13 सितंबर। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं हरियाणा कांग्रेस की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार पड़ोसी राज्यों से जल समझौतों के अनुसार हरियाणा के हिस्से का पूरा पानी नहीं ले पा रही है। जिसकी वजह से नहरों में पानी एक-एक माह बाद छोड़ा जा रहा है, सिंचाई पानी की कमी का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। उन्हें अपनी फसल को पकाने के लिए आखिरी पानी लगाने की जरूरत है, लेकिन सिंचाई के अभाव में उनकी फसलों को भारी नुकसान होना शुरू हो गया है। स्वयं को किसान हितेषी होने का दावा करने वाली इस सरकार को फसलों की सिंचाई पानी की कमी को समय पर पूरा करना चाहिए। मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि इस समय नहरों में मांग के मुकाबले 34 प्रतिशत तक कम पानी आ रहा है। इससे प्रदेश के 19 जिलों में फसलों की सिंचाई का संकट खड़ा हो गया है। पश्चिमी यमुना नहर में 18500 क्यूसेक के मुकाबले औसतन 12165 क्यूसेक पानी आ रहा है तो भाखड़ा नहर में 3400 क्यूसेक की बजाए औसतन 2913 क्यूसेक पानी मिल रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मानसून सीजन में जींद, भिवानी, फतेहाबाद, हिसार, रोहतक, पलवल, चरखी दादरी, गुरुग्राम, झज्जर, रेवाड़ी, सिरसा, कैथल में सामान्य से कम बारिश हुई है। कई जगह ट्यूबवेल का पानी अच्छा न होने व लंबे समय से बारिश न होने के कारण किसान सिंचाई के लिए नहरों पर ही निर्भर हैं। नहरी पानी की कमी के कारण सबसे अधिक दिक्कत जींद, भिवानी, महेंद्रगढ़, हिसार, रेवाड़ी जिले के किसानों को होने वाली है। कुमारी सैलजा ने कहा कि नहरी पानी में कटौती के कारण अलग-अलग जिलों में किसान सिंचाई विभाग के अधिकारियों के पास पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें कोई ठोस आश्वासन भी नहीं मिल पा रहा। पानी की कमी के कारण धान व कपास की फसल खराब होने की सूचनाएं भी कुछ जगह से मिली हैं। ऐसे में अगर नहरों में सिंचाई के लिए पूरा पानी नहीं छोड़ा गया तो फिर किसानों को बड़ा नुकसान होना तय है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार शुरू से ही किसानों को विरोधी नजरिये से देखती आई है। इसलिए उन्हें न तो समय पर खाद-बीज उपलब्ध करवा पाती है और न ही उनकी किसी भी समस्या के निदान का कोई कदम उठाती है। इसलिए ही आज तक न तो बाढ़ प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया गया है और न ही उन्हें सिरसा, हिसार जिले के किसानों को बीमा कंपनियों से खराबे का भुगतान करवा पाई है। Post navigation हरियाणा सरकार ने आई.एम.टी. मानेसर के विस्तार के लिए अधिग्रहित जमीन के मामले के समाधान हेतु नो-लिटिगेशन पॉलिसी-2023 बनाई 23 सितंबर: शहीदी दिवस समारोह में राजनीतिक वजूद की तलाश