राव तुलाराम के शहीदी दिवस मनाने की होड़ में रामपुरा हाऊस कांग्रेस नेत्री किरण चौधरी को भी आशा की किरण दिखाई दे रही है शहीदी दिवस पर राव राजा इंद्रजीत सिंह भालखी माजरा में समारोह मनाने के लिए मोदी की हां के इंतजार में अशोक कुमार कौशिक दक्षिणी हरियाणा में अहीर बिरादरी में आज भी अपने राजा राव तुलाराम को लेकर अगाध श्रद्धा देखने को मिलती है। अहीर बिरादरी के साथ-साथ अन्य बिरादरी की 1857 के नायक को लेकर आस्था रखते हैं। इसी अगाध श्रद्धा के चलते दक्षिणी हरियाणा के अहीरवाल में स्वर्गीय ‘राव राजा’ वीरेंद्र सिंह की जनता में गहरी पैठ थी। पूर्व मुख्यमंत्री राव बिरेन्द्र सिंह और उसके बाद उनका परिवार बिखर सा गया और सबने किसी एक राजनीतिक दल का दामन न थाम अपनी अलग-अलग रही राहें चुन ली। उनके उत्तराधिकारी राव इंद्रजीत सिंह लंबे समय से दक्षिणी हरियाणा में बेबाक राजनीतिक करते आ रहे है। इस बार रामपुरा हाउस के वोटर को भुनाने के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टी की नजर है। यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शहीदी दिवस में शरीक होने की हामी भर दी तो इस बार भाजपा की ओर से यादगार समारोह होगा। भाजपा के पाले में रामपुरा हाउस की राजनीतिक विरासत संभाल रहे केंद्रीय मंत्री राव राजा इंद्रजीत सिंह पहले से है। 9 साल पहले वर्ष 2014 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा शामिल हुए थे। मोदी सरकार बनने के बाद दोनों कार्यकाल में केंद्र में राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के ओहदे पर है। जबकि उनके छोटे भाई कोसली से पूर्व विधायक यादुवेन्द्र सिंह तथा दूसरे मंझले भाई अजीत सिंह के बेटे अर्जुन राव फिलहाल कांग्रेस में है। यह दीगर बात है कि राव अजीत सिंह ने हमेशा कांग्रेस विरोध की राजनीति की थी। यादुवेंद्र हुड्डा के साथ तो अर्जुन सुरजेवाला गुट में देश की दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पहल पर कांग्रेस का दामन थामा था। एक समय रामपुरा हाउस में कांग्रेस का बोलबाला था। अचानक उनका कांग्रेस से मुंह बंद हुआ ओर राव राजा राव बीरेंद्र सिंह ने उनके बड़े बेटे राजीव गांधी के प्रधानमंत्री कार्यकाल में कांग्रेस को बाय-बाय कह दिया था। उसे समय भी बड़े बेटे राव इंद्रजीत सिंह ने कांग्रेस को नहीं छोड़ा। वह अपने सबसे छोटे भाई राव यादवेंद्र को कांग्रेस में लिया है जाटुसाना से विधायक बनाया। तब हरियाणा में कांग्रेस सरकार का नेतृत्व भूपेंद्र सिंह हुड्डा कर रहे थे। उनका और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच 36 का आंकड़ा था। यह चिंगारी तब ज्यादा बढ़ गई जब भूपेंद्र सिंह उठाने उनके भाई राव यादवेंद्र सिंह को अपने पाले में कर लिया। लेकिन बाद में पूर्व मुख्यमंत्री राव बिरेन्द्र सिंह के तीनों बेटों ने अपनी राजनीतिक की राह अलग-अलग कर ली। राव इंद्रजीत सिंह लंबे समय तक कांग्रेस में रहने के बाद भेदभाव का आरोप लगाकर लोकसभा चुनाव से एन वक्त पहले जनवरी 2014 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। उस वक्त राव इंद्रजीत सिंह रेवाड़ी में सैनिक रैली करवाकर भाजपा को हरियाणा में बढ़त दिलाई। हालांकि उनके छोटे भाई यादुवेन्द्र सिंह कांग्रेस में ही बने रहे और आज भी उनकी गिनती भूपेन्द्र सिंह हुड्डा गुट के नेताओं में होती है। जबकि उनके भाई राव अजीत सिंह के बेटे हुड्डा के राजनीतिक विरोधी कहे जाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला के मार्फत कांग्रेस में शामिल हुए और उन्हीं की सिफारिश पर पिछला विधानसभा चुनाव भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अटेली विधानसभा सीट से कांग्रेस का टिकट हासिल कर चुनाव लड़ा। हालांकि उन्हें जीत नहीं मिल आई और अपने ताऊ राव इंद्रजीत सिंह समर्थित भाजपा प्रत्याशी सीताराम यादव के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा। करारी हार के बावजूद वह फिर से अटेली से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार है। भले ही उनके सामने उनकी बहन आरती राव क्यों न हो। स्वतंत्रता संग्राम के महानायक राव तुलाराम का शहीदी दिवस मनाने के लिए कांग्रेस और भाजपा में होड़ शुरू हो गई है। राव तुलाराम के वंशज रामपुरा हाउस का पूरे अहीरवाल में खासा दबदबा है। आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले इस मौके को भुनाने के लिए कांग्रेस नेत्री किरण चौधरी ने पहली बार इस दिन नारनौल में रैली करने का ऐलान किया है। क्योंकि उनकी बेटी श्रुति चौधरी महेंद्रगढ़-लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की प्रबल दावेदार है। उसी क्षेत्र के अंतगर्त नारनौल सीट आती है और यहां पर रामपुरा हाउस का बड़ा जनाधार है। इसके साथ ही रामपुरा हाउस के ही वंशज और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के भतीजे कांग्रेस नेता अर्जुन राव अटेली विधानसभा में इसी दिन रैली करने की तैयारी में जुटे है। स्मरण रहे की अटेली विधानसभा सीट कभी उनके दादा की पसंदीदा सीट हुआ करती थी। नए परिसीमन के बाद जाटूसाना विधानसभा क्षेत्र का कुछ इलाका भी इसमें शामिल हुआ, फलस्वरुप यह रामपुर हाउस का गढ़ है। वहीं 23 सितंबर को शहीदी दिवस के मौके पर ही रेवाड़ी के भालखी-माजरा में राव इंद्रजीत सिंह की तरफ से कार्यक्रम प्रस्तावित हैं। हालांकि ये कार्यक्रम अभी फाइनल नहीं हुआ है। क्योंकि कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया गया था। लेकिन अभी प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से दौरे को लेकर कोई फाइनल प्रोग्राम नहीं दिया दिया गया है। अगर यह कार्यक्रम तय हो जाता है तो निश्चित ही 2014 की तरह राव राजा इंद्रजीत सिंह के लिए भावी लोकसभा चुनाव की जीत के साथ-साथ अपनी पुत्री आरती राव को राजनीति में स्थापित करने का काम कर सकता है। ऐसे में चर्चा शुरू हो गई है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही शहीदी दिवस के मौके को भुनाने की पुरजोर कोशिश में है। वैसे अन्य राजनीतिक दल भी अपने-अपने स्तर पर नारनौल के पास नसीबपुर स्मारक पर कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा फैक्टर रामपुरा हाउस का कोर वोटर है। डुंडाहेड़ा से लेकर गोद बलावा और नांगल चौधरी सहित गुरुग्राम का क्षेत्र, भिवानी व रोहतक जिले के कुछ इलाकों सहित राजस्थान के अलवर जिले तक रामपुरा हाउस के समर्थकों की लंबी फौज है। Post navigation नहरों में पानी कम, फसलों को बड़ा नुकसान: कुमारी सैलजा व्यक्तिगत जीवन में ज्यादा से ज्यादा हिन्दी का प्रयोग करके हिन्दी को यर्थाथ में राष्ट्र भाषा का दर्जा दे : विद्रोही